चिंतामणि महाराज की जीवनी : Chintamani Maharaj Biography Hindi
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Chintamani Maharaj Biography Hindi, Age, Wiki, Wife, Family, Chunav Chetr, Date of Birth, Wife, Family, Height, Career, Nick Name, Net Worth: चिंतामणि महाराज का जन्म 26 जनवरी 1968 को छत्तीसगढ़ में रामेश्वर गहिरा गुरु महाराज के घर हुआ था। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं और वह 18वीं लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ के सरगुजा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। इससे पहले, वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के सदस्य थे। 2008 में, उन्होंने सामरी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन 15% वोट शेयर हासिल करके सिद्ध नाथ पैकरा के खिलाफ हार गए।
- पूरा नाम चिंतामणि महाराज
- जन्म की तारीख 26 जनवरी 1968 (आयु 56 वर्ष)
- जन्म स्थान बलरामपुर, छत्तीसगढ़
- दल का नाम भारतीय जनता पार्टी
- शिक्षा 11वीं पास
- पेशा कृषि, किराया आय और जेसीबी किराया और वेतन भत्ता
- पिता का नाम स्वर्गीय श्री रामेश्वर गहिरागुरु महाराज
- मां का नाम ना
- स्थायी पता गहिरागुरु आश्रम, भाथुपारा (मधीपुर), अंबिकापुर जिला, छत्तीसगढ़- 497116
- संपर्क संख्या 96173 70471
- ईमेल [email protected]
जन्म और परिवार:
चिंतामणि महाराज के पिता का नाम रामेश्वर है। चिंतामणि महाराज ने 11 वीं मेट्रिक तक की शिक्षा ग्रहण की है। सबसे खास बात यह है कि उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शुरू से आखिरी तक संस्कृत में ही पूरी की है। चिंतामणि महाराज की शादी 26 मई 1992 को रविकला सिंह के साथ हुई थी। उनके 2 पुत्र व तीन पुत्री है। जो सभी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कृषि उनका मुख्य पेशा है और उन्होंने अपना स्थायी निवास गहिरा गुरु आश्रम,बिलासपुर चौक भाथुपारा, अंबिकापुर में बना रखा है। चिंतामणि महाराज खुद तो खेती करते ही है, साथ ही युवाओं को खेती के लिए प्रेरणा देते हैं। उनका मानना है कि खेती देश का परंपरागत व्यवसाय है और 80 प्रतिशत लोगो की आजीविका पहले खेती से चलती थी। अब भी युवा खेती से जुड़ कर बेरोजगारी दूर करने के साथ ही अच्छी आय अर्जित कर सकतें है और देश को आगे बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं। खेती के अलावा गौ पालन व गौ सेवा भी करना चिंतामणि महाराज को पसंद है।
राजनीतिक और सामाजिक कार्य:
चिंतामणि महाराज 2004 से 2008 तक अध्यक्ष राज्य संस्कृत बोर्ड रहें थे। फिर उन्होंने 2008 में बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा से ही निर्दलीय चुनाव लड़ा। जिसमे उन्हें हार का सामना करना पड़ा। फिर 2013 में वे फिर से सामरी विधानसभा से ही चुनाव मैदान में कूदे। पर अंतर सिर्फ इतना था कि वे इस बार निर्दलीय चुनाव न लड़ कर कांग्रेस की टिकट पर खड़े हुए थे और चुनावी मैदान फतह कर पहली बार विधायक बने थे। जिसके बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फिर से उन पर भरोसा जताया और एक बार फिर वे सामरी विधानसभा से चुनावी मैदान में कूद पड़े। इस बार उन्होंने भाजपा के अपने करीबी प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को शिकस्त दी। चिंतामणि महाराज को कुल 80,620 वोट प्राप्त हुए तो वही उनके करीबी प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी सिद्धनाथ पैकरा को 58697 वोट मिले।
चिंतामणि महाराज 2014-15 में सदस्य आचरण समिति छतीसगढ़ विधानसभा रहें। फिर 2016- 17 में छतीसगढ़ प्राक्कलन समिति रहे। 2017-18 में सदस्य याचिका समिति छतीसगढ़ विधानसभा रहे। 2018- 19 में सदस्य पुस्तकालय समिति, बने। सन 2020 से संसदीय सचिव बनें। वे लोकनिर्माण विभाग, गृह,जेल धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व एवं पर्यटन विभाग से संबद्ध है। चिंतामणि महाराज ने अपने विधानसभा मे जनता की ऐसी समस्याओ की नब्ज टटोली जो कि सीधे सीधे आमजनमानस के रोजाना के जीवन को प्रभावित करती है। और उसे दूर करने का प्रयास उन्होंने किया। उनकी विधानसभा में एक क्षेत्र है चांदो। चांदो कुसमी ब्लॉक के अंतर्गत आता था। जिसकी दूरी ब्लाक मुख्यालय से 60 किलोमीटर है। चांदो में तहसील नही होने के चलते वहां के लोगो को छोटे छोटे कामों के लिए ब्लॉक मुख्यालय कुसमी आना पड़ता था। चिंतामणि महाराज ने लोगो की समस्याओं को देखते हुए चांदो को तहसील घोषित करवा दिया। जिससे अब लोगो को छोटी छोटी समस्याओं के लिए लंबी दूरी तय नही करनी पड़ती है। इसके अलावा सामरी का तहसील दफ्तर कुसमी में था, चिंतामणि महाराज ने अब सामरी को भी तहसील बनवा दिया। साथ ही बरियो को भी उपतहसील बनवाया। शंकरगढ़ के लोगो को एसडीएम से काम पड़ने पर कुसमी जाना पड़ता था पर चिंतामणि महाराज की पहल से अब शंकरगढ़ में भी एसडीएम बैठने लगे हैं।