School News: संविदा कर्मी कर रहे फर्जीवाड़ा, अब अधिकारी करेंगे स्कूलों का निरीक्षण, शिक्षा विभाग का सख्त आदेश जारी
School News: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आईएएस एस सिद्धार्थ ने निरीक्षण को लेकर नया फरमान जारी किया है. अब स्कूलों का निरीक्षण केवल विभाग के नियमित अधिकारी ही करेंगे.

Shiksha Vibhag
School News: पटना: बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आईएएस डॉ. एस सिद्धार्थ(IAS Dr. S Siddharth) राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने के लिए लगातार प्रयास कर हैं. इसी कड़ी में आईएएस एस सिद्धार्थ ने निरीक्षण को लेकर नया फरमान जारी किया है. अब स्कूलों का निरीक्षण केवल विभाग के नियमित अधिकारी ही करेंगे.
नियमित पदाधिकारी करेंगे स्कूल का निरीक्षण
शिक्षा विभाग अपर मुख्य सचिव आईएएस एस सिद्धार्थ ने स्कूलों के निरीक्षण को लेकर आदेश जारी किया है. आईएएस एस सिद्धार्थ ने कहा, अल्प अवधि संविदा पर नियोजित या आउटसोर्स के माध्यम से नियोजित कर्मी अब स्कूलों का निरीक्षण नहीं कर सकेंगे. केवल शिक्षा विभाग एवं बीईपी के नियमित पदाधिकारी ही विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे. इनमें जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक (बीईपी) और सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी शामिल हैं.
आदेश हुआ जारी
अपर मुख्य सचिव ने इस सम्बन्ध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश भेजा है. जिसके अनुसार, सभी पदाधिकारियों को प्रत्येक माह कम से कम 25 विद्यालयों का औचक निरीक्षण करना है. निरीक्षण केवल शिक्षा विभाग एवं बीईपी के नियमित पदाधिकारी ही करेंगे. इसके अलावा जिन विद्यालयों का निरीक्षण किया जाना है, उनका चयन प्रत्येक निरीक्षण के लिए निर्धारित दिन अपर मुख्य सचिव के द्वारा किया जाएगा.
साथ ही हर निरीक्षण की सूचना संबंधित पदाधिकारियों को एक दिन पहले रात में नौ बजे मोबाइल पर अपर मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा भेजी जाएगी. निरीक्षण के बाद रिपोर्ट विभाग को देनी होगी. आदेश में यह भी कहा गया है कि निरीक्षण प्रतिवेदन फर्जी या भ्रामक पाए जाने पर संबंधित पदाधिकारियों पर आवश्यक अनुशासनिक कार्रवाई भी की जाएगी.
बता दें, विभाग ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि फर्जी निरीक्षण रोके जा सके. विभाग ने कुछ समय पहले किये गए निरीक्षण की जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी पायी थी. संविदा कर्मियों द्वारा किए गए कई स्कूल निरीक्षण की रिपोर्ट फर्जी थी. लम्बे समय से यह फर्जीवाड़ा किया जा रहा था. जिसके बाद शिक्षा विभाग ने अब यह फैसला लिया है.