Bihar Voter List Controversy: मतदाता सूची से हटेंगे 89 लाख नाम? शिकायत पर एक्टिव हुआ चुनाव आयोग, जानिए पूरा मामला
Bihar Voter List Controversy: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची विवाद ने जोर पकड़ लिया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर 89 लाख फर्जी वोटर्स की पहचान करने का दावा किया है और उनके नाम हटाने की मांग की है।

Bihar Voter List Controversy: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची विवाद ने जोर पकड़ लिया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर 89 लाख फर्जी वोटर्स की पहचान करने का दावा किया है और उनके नाम हटाने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में फर्जी वोटर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने कांग्रेस की आपत्तियों को संज्ञान में तो लिया है, लेकिन साफ कहा है कि ये आपत्तियां तय फॉर्मेट में नहीं दी गई हैं। इसलिए उन्हें सीधे अमल में लाना संभव नहीं है।
कांग्रेस का दावा
कांग्रेस जिलाध्यक्षों ने चुनाव आयोग को बताया कि बिहार के अलग-अलग जिलों में 89 लाख वोटर्स फर्जी हैं या दोहराए गए नामों के साथ सूची में दर्ज हैं। पार्टी ने इन नामों को मतदाता सूची से हटाने का अनुरोध किया है।पार्टी नेताओं का कहना है कि अगर इन नामों को समय रहते नहीं हटाया गया तो चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल खड़े होंगे।
चुनाव आयोग की सफाई
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने रविवार (31 अगस्त) को विज्ञप्ति जारी कर कह कांग्रेस जिलाध्यक्षों ने 89 लाख वोटर्स पर आपत्तियां दर्ज कराई हैं, लेकिन ये निर्धारित प्रपत्र में नहीं हैं। निर्वाचन नियम-1960 के तहत केवल फॉर्म-7 में आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त 2025 के आदेश के मुताबिक भी, किसी भी गलत नाम की जानकारी तय प्रारूप में ही दी जानी चाहिए। इसलिए इन आपत्तियों को संबंधित निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को भेजा गया है, ताकि नियमों के मुताबिक जांच की जा सके। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि 89 लाख नाम हटाना बेहद बड़ी प्रक्रिया है। इसके लिए कांग्रेस जिलाध्यक्षों को शपथपत्र देना होगा और फिर निर्वाचन अधिकारी नियमों के तहत कार्रवाई करेंगे।
SIR (स्पेशल रिवीजन) में पहले ही हटे 65 लाख नाम
बिहार में पहले से ही SIR यानी मतदाता सूची विशेष पुनरीक्षण चल रहा है। इसमें अब तक 65 लाख नाम हटाए जा चुके हैं। 1 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची जारी हुई थी। दावा और आपत्ति दर्ज कराने की अंतिम तिथि 1 सितंबर तय की गई है। अब तक 33,000 से अधिक लोगों ने नए नाम जोड़ने के लिए आवेदन दिया। वहीं 2 लाख से अधिक लोगों ने नाम हटाने की मांग की। इस बीच राजद (RJD) ने आपत्ति दर्ज करने की अंतिम तिथि बढ़ाने की मांग भी की है।
क्यों बढ़ा विवाद?
चुनाव से पहले इतनी बड़ी संख्या में फर्जी वोटर्स की शिकायत होना अपने आप में बड़ा मुद्दा है। कांग्रेस का दावा है कि ये वोटर्स चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं आयोग का कहना है कि बिना तय फॉर्मेट और नियमों के पालन के इतनी बड़ी कार्रवाई संभव नहीं है।
बिहार में 89 लाख फर्जी वोटर्स का मुद्दा अब राजनीति का केंद्र बन गया है। कांग्रेस ने अपनी शिकायत दर्ज कर चुनाव आयोग पर दबाव बनाया है, जबकि आयोग नियमों की ओर इशारा कर रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि आयोग इस विवाद पर क्या कदम उठाता है और क्या वास्तव में इतनी बड़ी संख्या में वोटर्स सूची से हटाए जाते हैं या नहीं।
