Bihar News: बिहार शिक्षा विभाग एक्शन में, IAS केके पाठक के बैठक में नहीं आने पर VC और रजिस्टर पर FIR, जानिए पूरा मामला..
Bihar News: शिक्षा विभाग ने द्वारा बुलायी बैठक में शामिल नहीं होने वाले विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कुलसचिवों समेत सभी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया जा रहा है.
Bihar News: बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव रहे केके पाठक के जाने के बाद भी शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच विवाद जारी है. शिक्षा विभाग ने द्वारा बुलायी बैठक में शामिल नहीं होने वाले विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कुलसचिवों समेत सभी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया जा रहा है. तो वहीँ राजभवन ने शिक्षा विभाग के वेतन रोकने के आदेश को खारिज कर दिया है.
इन विश्वविद्यालय के नाम एफआईआर में है शामिल
जानकारी के मुताबिक़, रविवार को मधेपुरा के भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ सदर थाना में एफआईआर दर्ज कराया गया है. दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के धर्म समाज संस्कृत महाविद्यालय, पूर्णिया के पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपतियों, कुलसचिवों और परीक्षा नियंत्रकों के खिलाफ जिलों के पदाधिकारियों ने एफआईआर के लिए आवेदन दे दिया है. सभी पदाधिकारियों ने सम्बंधित थाना में आवेदन दिए हैं. जिसके जांच के बाद कार्रवाई की जायेगी. सभी अधिकारियों के भारतीय दंड संहिता के धारा 174, 175, 176, 179, 186 और 187 के तहत प्रारंभिक कार्रवाई की जायेगी.आवेदन के मुताबिक बता दें शिक्षा विभाग बिहार विद्यालय परीक्षा संचालन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता 1860 के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत केस दर्ज करना चाहते हैं. आवेदन में बैठक में उपस्थित नहीं होने, लंबित परीक्षाओं के संबंध मे पूरा प्रतिवेदन नहीं देने, जानबूझकर परीक्षाओं से जुड़ी जानकारी देने से बचने और इंकार करने, आवश्यक सूचना नहीं देने को लेकर कार्रवाई की मांग की गयी है.
वहीँ शिक्षा विभाग सभी विश्वविद्यालयों के वित्तीय मामलों की जांच कराएगा. सभी विश्वविद्यालय के कुलसचिवों को उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी ने निर्देश दिया है कि वेतन, बकाया वेतन, और अन्य खर्च सभी के आवश्यक कागजात अंकेक्षक टीम को उपलब्ध कराएं.
क्या है मामला
शिक्षा विभाग की ओर से 28 फरवरी को बैठक बुलाई गयी थी. इसमें विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव् और परीक्षा निरीक्षक समेत सभी अधिकारियों को अनिवार्य रूप से शामिल होने को कहा गया था. शैक्षणिक सत्र को नियमित करने और विश्वविद्यालयों में समय से परीक्षा को लेकर बैठक करना था. इसके बावजूद कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे.बता दें इस बैठक को लेकर राजभवन ने अनुमति नहीं दी थी. दरअसल राजभवन के ओर से विश्वविद्यालय पदाधिकारिओं को बैठक में शामिल नहीं होने का निर्देश दिया गया था. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने राजभवन का निर्देश माना और बैठक में शामिल नहीं हुए.