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Bihar Election Results 2025: बिहार में एनडीए की बंपर जीत, महागठबंधन क्यों हुआ फेल? पढ़ें पूरा विश्लेषण

Bihar Election Results 2025: बिहार चुनाव 2025 में एनडीए की बंपर जीत और महागठबंधन की हार के पीछे क्या कारण रहे? महिला वोट, योजनाएं, जातीय समीकरण और विपक्ष की चूक सहित पूरा विश्लेषण यहां पढ़ें।

Bihar Election Results 2025: बिहार में एनडीए की बंपर जीत, महागठबंधन क्यों हुआ फेल? पढ़ें पूरा विश्लेषण
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By Ragib Asim

Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। कई महीनों से माहौल बनाने की कोशिश कर रहा महागठबंधन इस बार चुनावी जादू नहीं दिखा पाया। इसके उलट नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए पूरे बिहार में मजबूत बढ़त बनाते हुए बंपर जीत की ओर बढ़ चुका है। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि जेडीयू ने भी उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है।

महागठबंधन क्यों हार गया?
गिनती शुरू होते ही यह साफ दिखने लगा कि जनता ने इस बार स्थिरता और भरोसे के नाम पर वोट किया है। महागठबंधन के उम्मीदवार कई सीटों पर उम्मीद से कमजोर दिखाई दिए। जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाओं की पकड़, महिलाओं का झुकाव और विपक्ष की आंतरिक समस्याएं इस चुनाव का निर्णायक मोड़ बनीं।
नीतीश की योजनाएं क्यों बनीं गेमचेंजर
1. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना यानी दस हजारी योजना
महिलाओं में नीतीश सरकार की सबसे बड़ी पहुंच इसी योजना से बनी। एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं को दस हजार रुपये की सहायता और दो लाख रुपये तक बैंक लोन दिलाने की गारंटी ने सरकार के प्रति भरोसा मजबूत किया। यह वोट सीधे एनडीए के खाते में जुड़ते दिखे।
2. सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं की बड़ी पहुंच
वृद्ध, दिव्यांग और विधवा महिलाओं को मिलने वाली पेंशन बढ़ाकर 1100 रुपये की गई, जिसका लाभ एक करोड़ से ज्यादा लोगों को मिला। चुनाव में इस वर्ग ने निर्णायक समर्थन दिया।
3. लाड़ी-लक्ष्मी मॉडल ने महिलाओं का रुख बदला
पिछले पंद्रह वर्षों में नीतीश कुमार की महिला समर्थक नीतियों शराबबंदी, साइकिल योजना, छात्रवृत्ति, सुरक्षा योजना का असर सीट-दर-सीट दिखा। महिलाओं ने बड़ी संख्या में एनडीए के पक्ष में वोट किया।
जातीय समीकरण में किसने किसे हराया
4. EBC, महिला और महादलित वोट एनडीए के साथ रहे
माहौल भले ही तेजस्वी के पक्ष में दिख रहा था, लेकिन वोटिंग दिन पर ईबीसी और महादलित समुदायों ने एनडीए के पक्ष में मजबूत झुकाव दिखाया। यह कई महत्वपूर्ण सीटों पर निर्णायक साबित हुआ। राजद का ओबीसी-मुस्लिम समीकरण इस बार अपनी पारंपरिक ताकत नहीं दिखा सका।
एनडीए का संगठन क्यों पड़ा भारी
5. भाजपा-जदयू का सुचारू समन्वय
इस बार सीट बंटवारे को लेकर किसी तरह का टकराव नहीं दिखा। दोनों दलों ने ज़मीनी स्तर पर साझा रणनीति बनाई, जिससे बूथ-लेवल मैनेजमेंट बेहद मजबूत रहा।
6. माइक्रो-कनेक्ट और बूथ रणनीति
भाजपा का संगठन और जेडीयू की ग्रामीण पहुंच एक साथ काम करती दिखी। गांव-गांव में माइक्रो प्लानिंग ने एनडीए को निर्णायक बढ़त दिलाई।
महागठबंधन की रणनीतिक चूक
7. सीट बंटवारा और उम्मीदवार चयन की समस्या
राजद, कांग्रेस और लेफ्ट के बीच तालमेल आखिरी समय तक बिगड़ा रहा। कई जगहों पर फ्रेंडली फाइट और कमजोर उम्मीदवार उतारने से विपक्ष को नुकसान हुआ।
वोटरों में सरकार बदलने का उत्साह नहीं दिखा। नीतीश को भरोसेमंद नेतृत्व के रूप में चुना गया।
स्थिरता के नाम पर जनता ने चुना एनडीए
अंतिम परिणाम यह बताते हैं कि जनता नीतीश कुमार और एनडीए को ही स्थिर विकल्प मान रही थी। महागठबंधन की उम्मीदें हर मोर्चे पर कमजोर पड़ीं। यह चुनाव बिहार की सामाजिक और राजनीतिक दिशा को आने वाले पांच वर्षों के लिए तय करता हुआ दिख रहा है।

Ragib Asim

Ragib Asim is a senior journalist and news editor with 13+ years of experience in Indian politics, governance, crime, and geopolitics. With strong ground-reporting experience in Uttar Pradesh and Delhi, his work emphasizes evidence-based reporting, institutional accountability, and public-interest journalism. He currently serves as News Editor at NPG News.

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