Bihar NDA Ticket War: भाजपा ने 125 सीटों की बनाई रिपोर्ट, दो दर्जन विधायकों के टिकट पर संकट! इनका कटेगा पत्ता
Bihar NDA Ticket War: बिहार चुनाव से पहले भाजपा में अंदरूनी मंथन, धर्मेंद्र प्रधान ने 600 दावेदारों की रिपोर्ट खंगाली

Bihar NDA Ticket War: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) की तारीखों का ऐलान भले अभी न हुआ हो, लेकिन राजनीतिक हलचल तेज़ हो चुकी है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अब पूरी तरह चुनावी मोड में प्रवेश कर लिया है। पार्टी ने राज्य की 125 विधानसभा सीटों (Assembly Seats) पर विस्तृत रिपोर्ट (Report) तैयार कर ली है। इनमें से 110 सीटें पिछली बार भाजपा के कब्ज़े में थीं, जबकि 15 नई सीटों पर इस बार खास नज़र है।
धर्मेंद्र प्रधान की अहम बैठक
भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने शनिवार, 4 अक्टूबर को पटना में एक हाई-लेवल बैठक की। इसमें करीब 600 संभावित उम्मीदवारों (Potential Candidates) के नामों पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में यह तय हुआ कि कमजोर प्रदर्शन (Poor Performance) करने वाले या विवादों में घिरे विधायकों (Controversial MLAs) का टिकट इस बार काटा जा सकता है।
पार्टी की रणनीति साफ है No Winnability, No Ticket, यानी टिकट केवल उसी को मिलेगा जिसकी जनता के बीच पकड़ मज़बूत है।
नए चेहरों और महिलाओं पर फोकस
भाजपा इस बार युवा (Youth) और महिला उम्मीदवारों (Women Candidates) को ज्यादा मौका देने की तैयारी में है। केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि जनता अब नए और ईमानदार चेहरों को प्राथमिकता दे रही है। कुछ सीटों पर सीट स्वैप (Seat Swap) भी हो सकता है — मतलब, कमजोर विधायकों की जगह दूसरे क्षेत्रों के लोकप्रिय नेता उतारे जा सकते हैं।
केंद्रीय नेतृत्व जल्द लगाएगा मुहर
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा पहले चरण में 6 से 7 नामों की सूची (Candidate Shortlist) तैयार करेगी, जिसे बाद में घटाकर तीन नामों तक सीमित किया जाएगा। इसके बाद ही केंद्रीय चुनाव समिति (Central Election Committee) अंतिम मुहर लगाएगी।
बैठक में अनुशासनहीन (Indisciplined) और बागी नेताओं (Rebel Leaders) पर भी चर्चा हुई। पार्टी ने साफ कहा है कि इस बार अनुशासन भंग करने वालों को टिकट नहीं मिलेगा।
इन विधायकों की कुर्सी खतरे में!
सूत्रों के मुताबिक, अलीपुर (Alipur) के मिश्रा लाल यादव, नरकटियागंज (Narkatiaganj) की रश्मि वर्मा, रामनगर (Ramnagar) की भागीरथी देवी और लोरिया (Lauriya) के विनय बिहारी जैसे विधायकों के टिकट पर तलवार लटक रही है। भाजपा ने राज्यव्यापी सर्वे (Statewide Survey) में सभी विधायकों के जनसंपर्क (Public Connect) और कामकाज (Performance) का मूल्यांकन कराया है।
भाजपा का आंतरिक सर्वे
इस सर्वे में जनता से पूछा गया कि आपके विधायक का काम कैसा है? और क्या उन्हें दोबारा मौका मिलना चाहिए? रिपोर्ट में जिन नेताओं का जनसमर्थन (Public Support) घटा है, उनके टिकट पर संकट है। भाजपा चाहती है कि इस बार केवल विजेता उम्मीदवार (Winning Candidate) ही मैदान में उतरें।
500 से अधिक नाम पहुंचे संगठन तक
भाजपा के 52 संगठनात्मक जिलों (Organizational Districts) से अब तक 500 से अधिक नाम (Applications) टिकट के लिए आ चुके हैं। इनमें से 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने सीधे प्रदेश नेतृत्व (State Leadership) के सामने दावेदारी जताई है। कई सीटों पर 10 से ज्यादा दावेदार हैं, जिससे टिकट वितरण एक बड़ी चुनौती बन गया है।
चुनाव से पहले बड़ा मंथन
भाजपा का यह टिकट मंथन दिखाता है कि पार्टी इस बार किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतेगी। पार्टी चाहती है कि हर सीट पर लोकप्रिय (Popular) और मेहनती (Hardworking) उम्मीदवार उतरे। हालांकि, टिकट कटने की अटकलों से कुछ विधायकों में नाराज़गी (Discontent) भी है, जिसे संभालना भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के लिए चुनौती होगा।
बिहार NDA (National Democratic Alliance) के भीतर सीट शेयरिंग और टिकट वितरण 2025 के चुनाव का टोन सेट करेगा। भाजपा यदि टिकट चयन में पारदर्शिता और जनभावना का संतुलन बना लेती है, तो यह उसे जमीनी स्तर पर फायदा पहुंचा सकता है। वहीं, टिकट कटने से उपजे असंतोष को मैनेज करना भी आसान नहीं होगा।
