Wild wolf in Kanger Ghati National Park: छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में जंगली भेड़ियों की हुई वापसी, कैमरे में कैद हुए तीन भेड़िये
Wild wolf in Kanger Ghati National Park: राष्ट्रीय उद्यान द्वारा निगरानी के लिए लगाए गए ट्रैप कैमरा के माध्यम से तीन जंगली भेड़ियों की तस्वीर सामने आई है, जो लगातार कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अलग अलग जगहों पर देखे जा रहे हैं।
Wild wolf in Kanger Ghati National Park: रायपुर। छत्तीसगढ़ में बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में लगातार चल रहे वन्य प्राणियों के संरक्षण और संवर्धन के प्रयास सफल होते नजर आ रहे हैं। राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा जगह-जगह पर पेट्रोलिंग कैंप और वन्य प्राणियों के सुरक्षा हेतु स्थानीय आदिवासी युवाओं को पैट्रोलिंग गार्ड के रूप में नियुक्त कर लगातार मॉनिटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने से वन्य प्राणियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हाल ही में जंगली भेड़ियों की ट्रैप कैमेरा में तस्वीर और वीडियो सामने आया है, जिसमे 3 के झुंड में भेड़िया विचरण करते देखे जा रहे हैं। राष्ट्रीय उद्यान द्वारा निगरानी के लिए लगाए गए ट्रैप कैमरा के माध्यम से तीन जंगली भेड़ियों की तस्वीर सामने आई है, जो लगातार कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अलग अलग जगहों पर देखे जा रहे हैं।
भारतीय भेड़िया प्रजाती संकटापन्न स्थिति में है एवं बाघ के जैसे यह प्रजाति वन्यजीव सरंक्षण अधिनियम में अनुसूची में रखी गई है। भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक सर्वे के अनुमान से भारत में इनकी संख्या लगभग 3100 के करीब है, जो मुख्य रूप से भारत में भारतीय भेड़िया (प्दकपंद ॅववसि) गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरला और आंध्रप्रदेश राज्यों में टॉप प्रिडिएटर वर्ग में पाए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में इनके लिए प्री बेस बढ़ने और रहवास सुरक्षित होने के कारण जंगली भेड़िया कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की ओर आकर्षित हो रहे हैं।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के डायरेक्टर धम्मशील गणवीर ने बताया कि राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीवों की सुरक्षा हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय उद्यान में 18 पैट्रोलिंग कैंप स्थापित हैं, जहां स्थानीय युवा पेट्रोलिंग गार्ड के रूप में कार्य कर रहे हैं। इस कार्य से वन्य प्राणियों का रहवास भी सुरक्षित हुआ है एवं ग्रामीणों की वन्यजीव सरंक्षण में सहभागिता के परिणाम स्वरूप यहां संकटपन्न प्रजातियों की रिकवरी देखी जा रही है। साथ ही स्थानीय आदिवासी समुदाय के युवाओं को वन्य जीव संरक्षण में सहभागी बनाने से उन्हें रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। साथ ही वन्य प्राणियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।