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उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में कटफोड़वा खास प्रजाति वाइट बेलीड वुडपेकर भी, कई देशों में विलुप्त हो चुकी है यह प्रजाति...

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में कटफोड़वा खास प्रजाति वाइट बेलीड वुडपेकर भी, कई देशों में विलुप्त हो चुकी है यह प्रजाति...
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By Gopal Rao

रायपुर. पेड़ के तने पर लगातार चोंच मारने वाले पक्षियों को आपने देखा ही होगा. इसे कटफोड़वा या वुडपेकर कहते हैं. जंगल के भीतर की खामोशी को ये वुडपेकर अपनी ड्रम बीट यानी चोंच मारने की आवाज से तोड़ते हैं. छत्तीसगढ़ में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में कटफोड़वा की ऐसी 11 किस्में मिली हैं. इसमें एक खास किस्म वाइट बेलीड वुडपेकर की है.

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व बेहद खूबसूरत और विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों से भरा हुआ है. यह भारत के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत आता है. अंतराष्ट्रीय संस्था IUCN द्वारा प्रमुख जैव विविधता क्षेत्र (Key Biodiversity Area) घोषित किया गया है. टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर वरुण जैन द्वारा पक्षियों के संरक्षण के साथ-साथ उनके शिकार की रोकथाम के लिए भी कोशिश की जा रही है.

नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी द्वारा वन विभाग के साथ उदंती सीतानदी में दुर्लभ और विलुप्तप्राय जीवों पर अनुसंधान और उनके संरक्षण की दिशा में काम किया जा रहा है.

सोसाइटी के अध्यक्ष एम. सूरज द्वारा तैयार 2018 के एक रिसर्च पेपर के अनुसार टाइगर रिजर्व 246 प्रकार के पक्षियों का आशियाना है. इसमें एक खास समूह हैं वुड पेकर यानी कटफोडवा का.

कटफोड़वा (Woodpecker) पारिस्थितिकी के लिए बेहद जरूरी होते हैं, क्योंकि वे पेड़ों के तने में रहने वाले कीटों का भक्षण करते हैं, जिससे पेड़ों का संवर्धन होता है.

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में 11 प्रजाति के वुडपेकर पाए जाते हैं. इनमें एक बेहद खास प्रजाति हैं वाइट बेलीड वुडपेकर. ये दुनिया के बड़े कटफोड़वा में से एक हैं, जिसकी छाती सफेद होती है और शरीर काला. इसकी लाल रंग की कलगी होती है. एक वयस्क वाइट बेलीड 41 से 45 सेंटीमीटर तक होता है. एशिया में दूसरा सबसे बड़ा कटफोड़वा है. इसकी आवाज और ड्रम बीट (पेड़ों पर चोंच मारने की आवाज) अन्य कटफोड़वा के मुकाबले ज्यादा होती है और काफी दूरी से इसे सुना जा सकता है.

भारत में यह पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट के कुछ जगहों पर पाए जाते हैं. IUCN के अनुसार इनकी संख्या कम होती जा रही है. जापान व कोरिया देशों से यह विलुप्त हो चुकी हैं.

ऐसे में मध्य भारत के जंगलों में इनका मिलना इनके लिए अनुकूल पारिस्थितिकी को दर्शाता है. ऐसे दुर्लभ जीवों के संरक्षण के लिए उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व को बचाना और ऐसे जीवों के संरक्षण में कार्य करना बेहद जरूरी है.

Gopal Rao

गोपाल राव रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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