फांसी के फंदे पर झूलीं आदिवासी महिलाएं: काजू के बगीचों को ग्रेनाइट खनन के लिए लीज पर दिया, इसलिए विरोध-प्रदर्शन
काजू के बगीचों को खत्म करना फांसी देने के समान इसलिए महिलाएं अपनी साड़ी का फंदा बनाकर लटक गईं
NPG डेस्क, 09 अप्रैल 2022। फंदे पर लटकी ये महिलाएं आंध्रप्रदेश के अनकापल्ली जिले की आदिवासी महिलाएं हैं, जो अपने लगाए काजू के बगीचों को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रही हैं। इन महिलाओं का कहना है कि दशकों से वे वी मुडुगुला मंडल के उर्वाकोंडा इलाके में चट्टानों से भरी बंजर जमीन को खेती के लायक बनाकर उसमें काजू के पेड़ लगाकर उसकी कमाई से अपना गुजारा करते आ रहे थे, लेकिन उनको बिना बताए ही उनकी इजाजत के बगैर उनके काजू के बगीचों को ग्रेनाइट खनन के लिए कंपनियों को लीज पर दे दिया गया है। उन्हें उनके बगीचों का मुआवजा भी नहीं चुकाया गया। अब उनके सामने भूखे मरने की स्थिति है।
आदिवासी महिलाओं का आरोप है कि वी मुडुगुला मंडल के रेवेन्यू अधिकारी ने उनकी इजाजत के बगैर काजू के बगीचे को बंजर खाली जमीन बताकर ग्रेनाइट माइनिंग कंपनियों को लीज पर दे दी है। साथ ही उनका कहना है कि रेवेन्यू अधिकारी के अनुसार माइनिंग कंपनियों ने आदिवासियों को 45 लाख रुपए मुवावजा दिया है, जबकि उनको कोई रुपए नहीं दिए गए हैं। आदिवासी महिलाओं का कहना है कि काजू के बगीचों को खत्म करना उनको फांसी दिए जाने के समान जैसा है। इस मामले में आदिवासी महिलाएं लगातार धरना और विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। मामले में कोई कार्रवाई ना होता देख शुक्रवार को आदिवासी महिलाओं ने बड़ा फैसला लेते हुए साड़ी को पेड़ से बांधते हुए उसका फंदा बनाकर अपने गले में लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। आदिवासी महिलाओं ने सरकार से अपील करते हए कहा कि काजू बगीचे ही उनकी रोजी-रोटी का साधन है, अगर इनको खत्म कर दिया जाएगा तो वो भूखे मर जाएंगे। महिलाओं ने साफ किया कि उनका ये प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा और वो इसी महीने 11 अप्रैल को अनाकापल्ली कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन करेंगी।