Supreme Court: CG सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी आई सामने, कहा- बेटे को पिता का शव दफनाने कोर्ट का चक्कर काटना पड़ रहा है.... यह शर्मनाक
Supreme Court: छत्तीसगढ़ के बस्तर में बीते दिनों एक अमानवीय घटना घटी। बेटे को पिता का शव दफनाने डेढ़ गज जमीन नसीब नहीं हो पाई। छत्तीसगढ़ हाई काेर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। परेशान बेटे ने विशेष अनुमति याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पिता को दफनाने डेढ़ गज जमीन की गुहार लगाई। मामले की सुनवाई सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। नाराज कोर्ट ने कहा कि शर्मनाक और दुख की बात है कि एक बेटे को पिता का शव दफनाने के लिए शीर्ष अदालत आना पड़ा। नाराज कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

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Supreme Court: बिलासपुर। पूरी घटना बस्तर जिले के छिंदवाड़ा गांव का है। यहां ईसाई समुदाय का व्यक्ति अपने पिता का शव दफनाने के लिए कोर्ट का चक्कर काट रहा है। उसने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। जिसकी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के रवैये को लेकर नाराजगी जताई और जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दुखद है कि एक व्यक्ति को अपने पिता के शव को दफनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट आना पड़ा। ग्राम पंचायत, जिला प्रशासन और राज्य सरकार बल्कि हाई कोर्ट भी इस समस्या को हल करने में असफल रहा। इस मामले की सुनवाई अब बुधवार को होगी।
दरअसल, बस्तर के दरभा निवासी याचिकाकर्ता रमेश बघेल के पिता की 7 जनवरी को मृत्यु हो गई। उनकी मौत के बाद से याचिकाकर्ता और उनके परिवार के सदस्यों ने गांव के आम कब्रिस्तान में ईसाईयों के लिए सुरक्षित जगह पर उनका अंतिम संस्कार करने की तैयारी की थी। लेकिन, इसकी जानकारी होने पर गांव के लोगों ने विरोध कर दिया और तनाव की स्थिति निर्मित हो गई। ग्रामीणों ने कहना है कि किसी ईसाई व्यक्ति को उनके गांव में दफनाया नहीं जा सकता। चाहे वह गांव का कब्रिस्तान हो या याचिकाकर्ता की अपनी निजी भूमि। जिसके बाद रमेश बघेल ने अपने पिता का शव अपनी खुद की जमीन पर दफन करने और सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
कहीं से नहीं मिली मदद
याचिकाकर्ता ने विशेष अनुमति याचिका में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पहले स्थानीय अधिकारियों के साथ ही सरकार से सुरक्षा और मदद मांगी थी। जहां से मदद नहीं मिलने पर उसे हाई कोर्ट आना पड़ा। याचिका में कहा कि छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत नियम, 1999 के प्रावधानों के अनुसार मृत व्यक्ति के धर्म की रीति के अनुसार शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह उपलब्ध कराना ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि ग्राम छिंदवाड़ा में ईसाइयों के लिए कोई अलग कब्रिस्तान नहीं है। हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि याचिकाकर्ता अपने मृत पिता का अंतिम संस्कार गांव छिंदवाड़ा से 20-25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नजदीकी गांव करकापाल में करता है, जहां ईसाइयों का एक अलग कब्रिस्तान है, तो कोई आपत्ति नहीं होगी। शासन का पक्ष सुनने के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था।
पिता का शव अस्पताल के मरच्युरी में है रखा
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर बेटा रमेश बघेल ने अपने एडवोकेट के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसमें हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि अंतिम संस्कार के अभाव में उसके पिता का शव अब भी अस्पताल में रखा है।