Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने कहा: ऐसे ही विकास होते रहा तो एक दिन हिमाचल प्रदेश देश के नक्शे से गायब हो जाएगा...
Supreme Court News: हिमाचल प्रदेश में अनियंत्रित विकास को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा ही अनियंत्रित विकास जारी रहा तो एक दिन पूरा हिमाचल प्रदेश देश के नक्शे से गायब हो जाएगा।

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Supreme Court News: दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के अनियंत्रित विकास को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी चिंता जताते हुए कहा कि ऐसा ही विकास चलते रहा तो एक दिन पूरा हिमाचल प्रदेश नक्शे से ही गायब हो जाएगा। प्रदेश में पारिस्थितक असंतुलन पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पर्यावरणीय क्षरण की कीमत पर राजस्व प्राप्त करना सरकारों का प्राथमिक उद्देश्य नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्षेत्र में बिगड़ती पारिस्थितिक और पर्यावरणीय स्थितियों से निपटने के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए हैं। इस दिशा में क्या काम किया जा रहा है। चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश की बिगड़ती हालात की चिंता करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम राज्य और केंद्र सरकार का समझाना चाहते हैं कि राजस्व प्राप्ति और राजस्व अर्जित करना ही सब कुछ नहीं होता। पर्यावरण संतुलन और पारिस्थितिकी की कीमत पर राजस्व अर्जित नहीं किया जा सकता। हिदायत के बाद भी जिस रफ्तार में प्रदेश में अनियंत्रित विकास चल रहा है,ऐसा ही चलते रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा हिमाचल प्रदेश देश के नक्शे से गायब हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इतना ही चाहते हैं कि राज्य सरकार हमारी टिप्पणियों पर गंभीरता से ध्यान दे और जितनी जल्दी हो सही दिशा में आवश्यक और जरुरी कार्रवाई शुरू करे। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार का भी यह दायित्व बनता है कि प्रदेश में पारिस्थितिक असंतुलन और ना बिगड़े, प्राकृतिक आपदाएं ना हो। मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि बेशक हिमाचल प्रदेश को बहुत नुकसान हुआ है। कहावत है ना कुछ ना होने से कुछ हाना बेहतर है। समय रहते इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरुरत है।
मेसर्स प्रिस्टीन होटल्स एंड रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड ने हाई कोर्ट के फैसले काे चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट नेराज्य सरकार की उस अधिसूचना को बरकरार रखा था, जिसमें तारा माता पहाड़ी पर होटल के निर्माण के अधिकार को अस्वीकार कर दिया गया था, जिसे "हरित क्षेत्र" घोषित किया गया था। हरित क्षेत्र घोषित करने के साथ ही इस पूरे इलाके में सभी निजी निर्माण कार्य पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की सराहना की
मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए इस तरह की अधिसूचना लाने के राज्य सरकार के फैसले की सराहना की है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की अधिसूचनाएं पहले लागू कर देनी चाहिए थी। राज्य को पहले ही बहुत नुकसान हो चुका है। कोर्ट ने
कुल्लू और मनाली में हाल ही में बादल फटने की घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया और इसके परिणामस्वरूप हुई त्रासदियों के लिए पेड़ों की अवैध कटाई और अनियमित बुनियादी ढांचे के विकास को जिम्मेदार ठहराया।
लैंड स्लाइउ का किया जिक्र
सुप्रीम कोर्ट ने अनियंत्रित विकास और इस तरह की गतिविधियों ने मिट्टी की संरचना को कमजोर कर दिया है। जिससे मिट्टी के कटाव में तेजी आई है। प्राकृतिक आपदाओं में भी बढ़ाेतरी हो रही है। कोर्ट ने कहा कि वन क्षेत्र के नुकसान से न केवल जैव विविधता कम होती है, बल्कि मिट्टी भी कमजोर होती है, जिससे भूस्खलन और कटाव का खतरा बढ़ जाता है।
हिमाचल प्रदेश में वन स्थानीय जलवायु को नियंत्रित करने, कार्बन को अलग करने और जल चक्र को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन के लिए उनका संरक्षण आवश्यक हो जाता है।
राज्य के विभिन्न स्थानों पर पहले से स्थापित वन रक्षक चौकियों को हटाने से यह स्थिति और भी बदतर हो गई है।
