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SECR: SECR का मनमाना आदेश, हाई कोर्ट ने रद्द किया कैट का फैसला, याचिकाकर्ता रेल कर्मी की वरिष्ठता पर कैट दोबारा करेगा सुनवाई

SECR के अफसरों की मनमानी का एक बड़ा नमूना सामने आया है। कैट के आदेश के बाद एसईसीआर ने रेलवे बोर्ड को फैसले की कापी प्रेषित करते हुए मार्गदर्शन मांगा था। नियमानुसार मार्गदर्शन मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जानी थी। रेलवे के अफसरों ने ऐसा नहीं किया। बोर्ड सिकरेट्री का निर्देश मिलने से पहले ही याचिकाकर्ता रेल कर्मचारी के अभ्यावेदन को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता एरेल कर्मी एल. प्रभाकर राव ने कैट में दोबारा गुहार लगाई। कैट ने याचिका खारिज कर दी। हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने कैट के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता रेल कर्मी की वरिष्ठता पर सभी पक्षों को सुनने के बाद नए सिरे से आदेश जारी करने का निर्देश कैट को दिया है। कैट में इस मामले की दोबारा सुनवाई होगी।

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Bilaspur High Court

By Radhakishan Sharma

SECR: बिलासपुर। SECR के अफसरों की मनमानी का एक बड़ा नमूना सामने आया है। कैट के आदेश के बाद एसईसीआर ने रेलवे बोर्ड को फैसले की कापी प्रेषित करते हुए मार्गदर्शन मांगा था। नियमानुसार मार्गदर्शन मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जानी थी। रेलवे के अफसरों ने ऐसा नहीं किया। बोर्ड सिकरेट्री का निर्देश मिलने से पहले ही याचिकाकर्ता रेल कर्मचारी के अभ्यावेदन को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता एरेल कर्मी एल. प्रभाकर राव ने कैट में दोबारा गुहार लगाई। कैट ने याचिका खारिज कर दी। हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने कैट के आदेश को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता रेल कर्मी की वरिष्ठता पर सभी पक्षों को सुनने के बाद नए सिरे से आदेश जारी करने का निर्देश कैट को दिया है। कैट में इस मामले की दोबारा सुनवाई होगी।

याचिकाकर्ता एल. प्रभाकर राव ने अपनी याचिका में बताया कि 5000-8000 रुपये के पूर्व संशोधित वेतनमान में हेड टाइपिस्ट के पद पर कार्य कर रहा था। इसी बीच 12.06.2008 को उसे 5500-9000 रुपये के पूर्व संशोधित वेतनमान में ओएस टू के पद पर पदोन्नति के लिए सूचीबद्ध किया गया था। 16.07.2008 को वरिष्ठता सूची तैयार की गई। सूची में नाम शामिल होने के बाद उसे प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। 61 दिनों का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उसे ओएस-टू के पदोन्नति देते हुए ज्वाइनिंग का आदेश मिला। 5.10.2012 को सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद चीफ ओएस के पद पर पदोन्नति प्राप्त की और तब से वह इसी पद पर कार्य कर रहे हैं।

23.11.2012 को सीपीसी की सिफारिशों के तहत स्थापना नियम जारी हुआ । सीपीओ (एसईसीआर ) ने 12.11.2013 को सीनियर डीपीओ को पूर्व में जारी की गई वरिष्ठता सूची की समीक्षा और संशोधन करने की सलाह दी। लिहाजा सीनियर डीविजन पर्सनल अफसर ने उसे चीफ ओएस जीपी 4600/- से ओएस जीपी 4200/- के पद पर रिवर्ट करने 09.04 2014 को कारण बताओ नोटिस जारी किया। रेलवे को नोटिस का जवाब देने के साथ ही रेलवे के इस फैसले के खिलाफ कैट जबलपुर में याचिका पेश की। मामले की सुनवाई के बाद कैट ने एसईसीआर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। इसके लिए रेलवे को कैट ने 60 दिनों की मोहलत दी।

एसईसीआर ने रेलवे बोर्ड सचिव का निर्देश मिलने से पहले अभ्यावेदन कर दिया खारिज

कैट की नोटिस के बाद रेलवे अफसरों ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखकर कैट द्वारा नोटिस का हवाला देते हुए मार्गदर्शन मांगा था। इस बीच कैट द्वारा तय की गई समय सीमा भी पास आने लगा था। लिहाजा रेलवे ने रेलवे बोर्ड से मार्गदर्शन मांगने का हवाला देते हुए कैट से और माेहलत मांगी। कैट ने रेलवे के आवेदन को स्वीकार करते हुए समय सीमा बढ़ा दी थी। इसी बीच रेलवे के अफसरों से सिकरेट्री रेलवे बोर्ड की तरफ से दिशा निर्देश मिलने से पहले ही याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को निरस्त कर दिया।

एसईसीआर के मनमाने आदेश के खिलाफ पहले कैट फिर हाई कोर्ट में दायर की याचिका

रेलवे के इस निर्णय के खिलाफ याचिकाकर्ता ने दोबारा कैट में याचिका पेश की । मामले की सुनवाई के बाद कैट ने याचिका को खारिज कर दिया। कैट के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस संजय जायसवाल की डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने कैट के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कैट को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता के वरिष्ठता को लेकर सभी पक्षों को सुनने के बाद नए सिरे से आदेश जारी करें।

अब क्या होगा

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश के बाद दोबारा इस मामले की सुनवाई कैट में होगी। कैट को एक बार फिर सभी पक्षों को सुनना होगा। सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिकाकर्ता के वरिष्ठता को लेकर कैट को आदेश जारी करना होगा।

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