मनेन्द्रगढ़। ज़िला मुख्यालय मनेन्द्रगढ में बना शासकीय रेस्ट हाउस नेताओं और अधिकारियों का घर बन गया है। वैसे तो नाम से लगता है कि केवल विश्राम करने के लिए बने इस रेस्ट हाउस में कई सालो से अधिकारियों, विधायक और विधायक के कर्मचारियों का क़ब्ज़ा है। और जब कभी किसी गेस्ट को रेस्ट करने यहाँ आना होता है तो फिर आनन में सामान शिफ़्टिंग की जाती है। यहाँ के गेस्ट हाउस में जिसका क़ब्ज़ा है उसमे विधायक और दो अधिकारी शामिल हैं। वैसे तो शासन से इनको मकान किराया मिलता होगा। लेकिन फोकट के जुगाड़ में रहकर इसको भी बचाने की क़वायद में ये सभी रेस्ट हाउस को ही अपना माकान बना चुके है।
किसी भी शहर का रेस्ट हाउस वहाँ आने वाले व्हीआईपी, बड़े अधिकारी और विशेष अतिथियों के अस्थाई रूप से ठहरने का ठिकाना होता है. मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और विधायक से लेकर तमाम अधिकारियों के लिए नाम मात्र का शुल्क पटाकर रूकने की यहाँ व्यवस्था होती है। पर नए बने ज़िले के ज़िला मुख्यालय मनेन्द्रगढ में कुछ अधिकारी और विधायक का पिछले कई साल से स्थाई कब्जा हो गया है। और ज़िला प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
शासकीय मकान फिर भी रेस्ट हाउस में क़ब्ज़ा
जानकारी के मुताबिक़ सोनहत भरतपुर विधायक गुलाब कमरों एक कमरे में और उनके पीएसओ और ड्रायवर दूसरे कमरे में क़ब्ज़ा जमाए हुए है। जबकि इसी रेस्ट हाउस के ठीक पीछे कमरों को शासकीय माकान मिला है। जिसमें उनका परिवार रहता है। विधायक और उनके पीएसओ के अलावा 6 महीने से दो डिप्टी कलेक्टर रेस्ट हाउस में क़ब्ज़ा जमाए हुए हैं। इनमे प्रवीण भगत और एक महिला संयुक्त कलेक्टर के नाम शामिल है। हालांकि, अभी हाल फ़िलहाल में महिला संयुक्त कलेक्टर की शादी के बाद रेस्ट हाउस के उस रूम एक अन्य अधिकारी ने अपना क़ब्ज़ा जमा लिया है. इस अव्यवस्था और क़ब्ज़े का नतीजा है कि जब कोई व्हीआईपी या बड़े नेता जब मनेन्द्रगढ आते है. तब रूम ख़ाली करवाने के लिए यहाँ के कर्मचारियों को सामान शिफ़्टिंग का काम एक बार नहीं दो दो बार करना होता है। एक बार तब जब व्हीआईपी आते हैं और एक बार तब जब व्हीआईपी आकर जाते हैं। मतलब कुल मिलाकर मनेन्द्रगढ का रेस्ट हाउस विधायक और अधिकारियों का बेस्ट हाउस बनकर रह गया है।
कराना पड़ता है शिफ़्टिंग..एसडीएम
जबकि रेस्ट हाउस में ऐसी अवस्था को रोकने के लिए कलेक्टर द्वारा सत्कार अधिकारी की नियुक्ति की जाती है. मनेन्द्रगढ एसडीएम और सत्कार अधिकारी अभिषेक कुमार ने बताया कि विधायक गुलाब कमरों को रेस्ट हाउस के पीछे घर मिला है. गेस्ट हाउस में मीटिंग वग़ैरह लेते हैं. और जब कोई गेस्ट आते हैं तो शिफ़्टिंग करते उस रूम को दिया जाता है. इसी तरह अधिकारियों के क़ब्ज़े के सवाल पर एसडीएम ने कहा कि अभी नया ज़िला बनने से जल्दी रूम किराए में नहीं मिल पा रहे हैं. जैसे जैसे रूम मिल रहा है. वैसे वैसे रेस्ट हाउस को ख़ाली कराया जा रहा है.