कोल ब्लॉक की अनुशंसा: राज्य सरकार ने गारे पेलमा सेक्टर-2 कोल ब्लॉक के लिए केंद्र को भेजी अनुशंसा, 214 हेक्टेयर वनभूमि आएगी जद में
इसके एवज में तीन गांवों में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए कंपनी ने शर्तें पूरी कर ली है
रायपुर, 19 अप्रैल 2022। राज्य सरकार ने रायगढ़ वन मंडल के गारे पेलमा सेक्टर-2 खुली कोयला खदान उत्खनन परियोजना के वन भूमि व्यपवर्तन की स्वीकृति के लिए भारत सरकार के पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को अनुशंसा पत्र भेजा है। यह पत्र छत्तीसगढ़ के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा मेसर्स महाराष्ट्र स्टेट पावर कंपनी लिमिटेड गारे पेलमा कोल माइंस सेक्टर-2 विद्युत भवन, कटोल रोड नागपुर से प्राप्त आवेदन पर सभी औपचारिकताएं और निर्धारित 44 बिंदुओं की शर्तों व विवरणों को पूर्ण कर भेजा गया है।
महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री ने सीएम भूपेश बघेल से की थी मुलाकात
गौरतलब है कि सीएम भूपेश बघेल से पिछले दिनों महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री ने मुलाकात कर इस संबंध में आवश्यक चर्चा की थी। सीएम ने महाराष्ट्र की ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए गारे पेलमा सेक्टर-2 कोल ब्लॉक के क्लीयरेंस के लिए नियमानुसार यथासंभव जल्द मदद करने का आश्वासन दिया था। रायगढ़ जिले में स्थित यह कोल ब्लॉक महाराष्ट्र की विद्युत कंपनी (महाजेनको) को आबंटित है। महाराष्ट्र में विद्युत उत्पादन के लिए कोयला की आपूर्ति इस कोल ब्लॉक से की जानी है, जिससे भविष्य में कोयले की आपूर्ति की निरंतरता बनी रहे।
214.869 हेक्टेयर वनभूमि पर है माइंस
मेसर्स महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड गारे पेलमा कोल माइंस सेक्टर-2 विद्युत भवन, कटोल रोड नागपुर द्वारा व्यपवर्तन हेतु 214.869 हेक्टेयर वनभूमि पर है। परियोजना की कुल लागत 300 लाख करोड़ रुपए है। रायगढ़ डीएफओ ने परीक्षण के बाद प्रस्ताव को स्वीकृति योग्य माना है। डीएफओ के मुताबिक आवेदित वनभूमि न्यूनतम है। इसके एवज में समतुल्य निजी भूमि ग्राम चक्रधरपुर, नटवरपुर और धुमाबहाल में 214.869 हेक्टेयर में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण की राशि जमा करने हेतु आवेदक संस्थान द्वारा आवश्यक शर्तों की प्रक्रिया पूरी कर ली है। इसके तहत स्थल विशेष वैकल्पिक वृक्षारोपण हेतु रायगढ़ वन मंडल के ग्राम चक्रधरपुर के निजी भूमि 115.207 हेक्टेयर, ग्राम नटवरपुर में 95.483 हेक्टेयर और ग्राम बंगुरसिया में 4.248 हेक्टेयर कुल 214.938 हेक्टेयर रकबा प्रस्तावित है। स्थलवार 10 वर्षीय क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण योजना तैयार की गई है।