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Rawatpura Sarkar University: रावतपुरा सरकार इंस्टिट्यूट ने सरकार की तय 39300 फीस को ओवरलुक करते हुए विवि विनियामक आयोग से 1.20 लाख फीस तय करा लिया

मेडिकल कॉलेज के मान्यता स्कैम में रिश्वतखोरी में फंसे रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी ने यूनिवर्सिटी से लेकर फार्मेसी इंस्टिट्यूट की फीस में भी कमाल की धांधलियां की है। राज्य सरकार ने फीस विनियामक कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर प्रोफेशनल कोर्सेज संचालित करने वाले सारे कॉलेजों के लिए फीस तय की है। मगर रावतपुरा सरकार संस्थान ने छात्रों की जेब काटने के लिए विश्वविद्यालय विनियामक आयोग से तीगुना फीस निर्धारित करा लिया। आश्चर्य तो यह कि विवि विनियामक आयोग को पावर नहीं होने के बाद भी फीस तय कर दिया। इस मामले में रावतपुरा सरकार संस्थान के साथ विवि विनियामक आयोग भी कटघरे में आ गया है। खबर के नीचे देखिए सरकार का आदेश और विवि विनियामक आयोग द्वारा निर्धारित फीस....

Rawatpura Sarkar University: रावतपुरा सरकार इंस्टिट्यूट ने सरकार की तय 39300 फीस को ओवरलुक करते हुए विवि विनियामक आयोग से 1.20 लाख फीस तय करा लिया
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Rawatpura Sarkar University

By Radhakishan Sharma

रायपुर। ऊंची पहुंच,रसूख और मनमानी का बानगी देखिए। निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग को फीस तय करने का अधिकार ही नहीं है। इसके बाद भी रावतपुरा कालेज प्रबंधन की पहुंच और दबदबे के आगे आयोग में बैठे अफसरों ने आंख मुंदकर कालेज प्रबंधन के अनुसार फीस के लिए आदेश जारी कर दिया है। NPG.NEWS के पास उपलब्ध दस्तावेजों में भर्राशाही की कहानी का अंदाजा लगाया जा सकता है।

निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने 20 सितंबर 2024 को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जारी जाते हुए D.Pharma/B.Pharma/M.Pharma में प्रवेश के लिए फीस तय कर दी। वह भी तय फीस से तीन गुना से भी अधिक। नियमानुसार आयोग को वर्ष 2008 के बाद से व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की फीस तय करने का अधिकार ही नहीं है। आयोग के अफसर से लेकर कर्मचारी और रावतपुरा सरकार प्रबंधन को भी इस बात की जानकारी थी। इसके बाद भी चारसौबीसी किया गया।


D.Pharma/B.Pharma/M.Pharma के फीस तय करने के लिए उचित और वैधानिक संस्था का गठन राज्य सरकार ने वर्ष 2008 में कर दिया है। व्यवसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश व फीस तय करने का अधिकार फीस विनियामक समिति को दिया गया है। यही एक वैधानिक समिति है, जो राज्य के सभी व्यवसायिक पाठ्यक्रमों को संचालित करने वाली संस्थाओं के लिए फीस तय करती है। इसी समिति के आदेश से तय हुई फीस के आधार पर राज्य शासन आदेश निकालती है। फीस विनियामक समिति ही छात्रवृत्ति की राशि भी तय करती है, लेकिन रावतपुरा संस्थान के ऊंची पहुंच के कारण इस संस्थान की फीस दो अलग-अलग विभाग द्वारा तय की जा रही है। यही कारण है कि रसूख के चलते रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स से मोटी रकम वसूल रही है।

पढ़िए क्या है आदेश-

छत्तीसगढ़ निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थान (प्रवेश का विनियमन एवं शुल्क का निर्धारण) अधिनियम 2008 में गठित प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति द्वारा पारित संकल्प 22 अगस्त 2024 को अधिनियम की धारा 9 (1) एवं 9 (2) के प्रावधानों के अंतर्गत निजी फार्मेसी कॉलेजों में संचालित एम. फार्मेसी /बी. फार्मेसी/डी. फार्मेसी पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु वर्ष 2024-2025, 2025-2026 एवं 2026-2027 के लिए फीस का पुनरीक्षण दर निर्धारण किया गया है। उक्त निर्धारित शुल्क पर सहमति व्यक्त करते हुए इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाता है। अत: शुल्क तब तक लागू रहेगी जब तक की समिति द्वारा कोई अन्य शुल्क निर्धारित नहीं कर दिया जाता। संस्था का निर्धारित संलग्न परिशिष्ट अनुसार निर्धारित किया गया है। कुल शुल्क प्रति सेमेस्टर निर्धारित किया गया है।








1 यह फीस परिशिष्ट-1 में दर्शित संस्थाओं हेतु उनके नाम के सम्मुख वर्षों प्रवेशित छात्रों के लिए लागू होगी और यही फीस पूरे पाठ्यक्रम की अवधि के लिए लागू रहेगी।

2 छात्रावास मेस और कॉलेज आने-जाने के लिए ट्रांस्पोर्टेशन की सुविधा वैकल्पिक रहेगी। प्रत्येक छात्र/छात्राओं के लिए यह बाध्यता नहीं है कि उसका उपयोग करें। यह स्वैच्छिक है। छात्रावास, मेस एवं ट्रांस्पोर्टेशन शुल्क 'न लाभ न हानि (NO PROFIT NO LOSS) के आधार पर केवल उपयोगकर्ता छात्र/छात्राओं से ही लिया जाना है अन्य छात्रों से नहीं लिया जा सकेगा।

3 संस्था द्वारा ट्यूशन फीस के अतिरिक्त अन्य मदों में जो फीस ली जावेगी उसका पूरा विवरण नोटिस बोर्ड, संस्था की वेबसाईड तथा प्रवेश हेतु जारी किए जाने वाले प्रास्पेक्टस में उल्लेखित होगी। प्रास्पेक्टस काउसिलिंग के पूर्व अनिवार्य रूप से जारी करेंगे तथा प्रॉस्पेक्टस की एक प्रति प्रवेश तथा फीस विनियामक सचिवालय में जमा करनी होगी।

4 संबंधित संस्था अपनी उक्त फीस के अतिरिक्त और कोई भी शुल्क यूनिफार्म, आई.डी. कार्ड, लायब्रेरी-कार्ड, लेबोरेटरी, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेल-कूद, स्किल लैब एवं एन.एस.एस. फीस आदि मदों भवन, फर्नीचर, उपकरण आदि मदों में वसूल नहीं कर सकेगी।

5 संस्था छात्र से रू. 2,000/- (रूपये दो हजार मात्र) प्रति छात्र एकमुश्त प्रवेश के समय काशनमनी के रूप में प्रावधानित राशि ले सकेगी, जो छात्र के संस्था छोड़ने पर वापसी योग्य होगी।

6 संस्था द्वारा निर्धारित फीस से अधिक फीस लेना अथवा समिति द्वारा निर्धारित मद से अन्य मद में फीस लेना केपिटेशन फीस कहलाएगी यदि संस्था द्वारा इस प्रकार अधिक फीस ली जाती है तो उसे दोषी मानते हुए उस पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कार्यवाही की जा सकेगी।

7 विश्वविद्यालय शुल्क एवं काउंसिलिंग शुल्क, राज्य शासन एवं विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गये नियमों के तहत ही लिया जा सकेगा।

8 प्रवेश तथा फीस विनियामक समिति द्वारा निर्धारित की गई फीस अधिकतम है. कोई संस्था चाहे तो इससे कम फीस भी ले सकती है।

9 संस्था द्वारा छात्र से प्रवेश के समय स्थानांतरण प्रमाण पत्र एवं माइग्रेशन प्रमाण पत्र के अतिरिक्त और कोई भी मूल प्रमाण पत्र (जैसे 10वीं, 12वीं की मूल अंकसूची, मूल निवासी एवं जाति प्रमाण पत्र आदि) जमा नहीं कराया जाना है। केवल सत्यापन हेतु उसका अवलोकन किया जा सकता है।

10 छात्र द्वारा निर्धारित अवधि में प्रवेश के एक माह के अंदर फीस जमा न करने पर संस्था छात्र से रू. 10/- (रूपये दस मात्र) प्रतिदिन की दर से पहले महीने एवं दूसरे महीने से रू. 15/- (रूपये पन्द्रह मात्र) प्रतिदिन के दर से विलम्ब शुल्क ले सकेगी। इससे अधिक राशि वह नहीं वसूल कर सकेगी।

11. श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, रायपुर बनाग छत्तीसगढ़ शासन एवं अन्य में पारित निर्णय 02 फरवरी 2017 में प्रतिपादित सिद्धांतों के अनुसार यदि कोई छात्र कॉउसिलिंग के दौरान संस्था छोड़ना चाहता है एवं अपना प्रवेश निरस्त कराना चाहता है तो उसे काउंसिलिंग के अंतिम तिथि के 05 दिन पूर्व संबंधित संस्था में जमा करना होगा, तभी उसकी जमा फीस नियगानुसार वापसी योग्य होगी। अन्यथा हाई कोर्ट के आदेशानुसार फीस वापस नहीं की जा सकेगी।

12 छात्र से ली जाने वाली फीस या वापस की गई राशि बैंक के माध्यम से जैसे चेक अथवा बैंक ड्राफ्‌ट द्वारा ली जा सकेगी।

13 संस्था प्रतिवर्ष गत वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट नोटिस बोर्ड में चरपा करेगी।

14 उपरोक्त निर्देशों के उल्लंघन होने पर दोषी संस्था के विरूद्ध अधिनियम के प्रावधानों अनुसार कार्यवाही की जा सकती है, जिसकी जिम्मेदारी स्वयं संस्था की होगी।



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