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Raipur News: जानिये.. कैसे मलेरिया, डेंगू के लिए नगर निगम और स्वस्थ विभाग से ज्‍यादा जिम्मेदार है पर्यावरण संरक्षण मंडल

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Raipur News: जानिये.. कैसे मलेरिया, डेंगू के लिए नगर निगम और स्वस्थ विभाग से ज्‍यादा जिम्मेदार है पर्यावरण संरक्षण मंडल
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By Sanjeet Kumar

Raipur News: रायपुर। जलवायु परिवर्तन के कारण बदली हुई मौसम स्थितियों के कारण बढ़ी हुई आर्द्रता और गर्मी के संयोजन के कारण मच्छरों की प्रजनन दर बढ़ेगी। लम्बे समय का अनुकूल मौसम होने के कारण मादा ज्यादा अंडे देंगी, इससे मच्छरों की आबादी बढेगी। परिणामस्वरूप, मलेरिया, डेंगू और नई वेक्टर जनित बीमारियां विकसित होंगी और पनपेंगी, जिससे कभी-कभी COVID-19 जैसी न संभलने वाली महामारी की स्थितियां पैदा हो सकती हैं।

पर्यावरण प्रेमी ने पत्र लिखकर उच्च स्तरीय समिति के गठन की मांग की थी

इस गंभीर चेतावनी से अवगत करते हुए रायपुर के पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी ने मुख्य सचिव को पत्र लिख कर बताया कि हम मच्छरों के अनुकूल हुए मौसम की स्थिति नहीं बदल सकते हैं। लेकिन कुछ हद तक, हम स्थानीय स्तर पर इन वेक्टर जनित बीमारियों को नियंत्रित कर सकते हैं। स्थिर पानी वाली नालियाँ मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक हैं। पूरे साल, हमारी नालियाँ पॉलीथीन के कारण स्थिर पानी से भरी रहती हैं, और हम अक्सर स्थानीय निकायों को उन्हें साफ करने में विफल रहने के लिए दोषी ठहराते हैं। हर बार जब मलेरिया या डेंगू का हमला होता है, तो हम स्थानीय निकायों, स्वास्थ्य विभाग और उसके अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे को दोष देते रहते हैं। नालियों के जाम होने का प्राथमिक कारण स्थानीय निकाय, स्वास्थ्य विभाग या खराब स्वास्थ्य ढाँचा नहीं है। इसके लिए छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल को दोषी ठहराना चाहिए, जिसे पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 (अधिनियम) के तहत प्रतिबंधित पॉलीथिन के निर्माण, भंडारण, आयात, बिक्री, परिवहन और उपयोग को रोकने के लिए व्यापक अधिकार दिए गए हैं और जो कि प्रतिबन्ध लागू करने में विफल रहा है। पत्र में प्रतिबंधित प्लास्टिक को नियंत्रित करने के लिए जलवायु परिवर्तन विभाग के तहत उच्च स्तरीय समिति गठित करने का सुझाव दिया गया।

कौन-कौन सी प्लास्टिक सामग्री प्रतिबंधित है

आवास एंव पर्यावरण विभाग ने 2017 में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत तीन प्रकार के प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया है (1) प्लास्टिक कैरी बैग (2) अल्पकालिक पीवीसी और क्लोरीनेटेड प्लास्टिक के बैनर, फ्लेक्स, होर्डिंग्स, प्रचार और विज्ञापन सामग्री (3) खानपान के लिए उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक की वस्तुएं, जैसे कप, गिलास, प्लेट, कटोरे और चम्मच। इन सभी का निर्माण, भंडारण, आयात, बिक्री, परिवहन और उपयोग पर पूर्ण: प्रतिबन्ध है। 2020 में सभी प्रकार के नॉन-वीवन कैरी बैग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया, जिसे बाद में संशोधित करके 60 ग्राम प्रति वर्ग मीटर (जीएसएम) से कम वजन वाले नॉन-वीवन कैरी बैग के निर्माण, बिक्री, भंडारण, आयात, परिवहन और उपयोग को प्रतिबंधित किया है। पूर्ण प्रतिबन्ध के बावजूद छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल ने कैटरिंग मटेरियल के कुछ निर्माताओं की निर्माण की अनुमतियों का नवीनीकरण भी किया।

यह फोटो रायपुर के सूरज नगर लाभांडी की है। जहां पानी का जमाव पिछले दो माह से हो रहा है। क्षेत्र में तेजी से बीमारी बढ़ रही है। 20 लोग विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हो गए हैं।

विफल रहा है पर्यावरण संरक्षण मण्डल?

छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत अदालत में शिकायत दर्ज करने का अधिकार है जिसके तहत पांच साल की सजा या एक लाख का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है। एक बार इस्तेमाल होने वाले पॉलीथिन बैग से लदे कई ट्रक प्रतिदिन राजधानी सहित प्रदेश पहुंचते हैं, न तो कभी किसी ने राज्य में प्रवेश करने वाले ट्रक को जब्त किया गया है और न ही प्लास्टिक कैरी बैग के माइक्रोन या नॉन-वोवन कैरी बैग के जीएसएम का सत्यापन किया जाता है। पूरे साल प्रदेश के सभी शहर प्रतिबंधित प्लास्टिक से निर्मित बैनर, फ्लेक्स, होर्डिंग्स से पटे रहते है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत दंडात्मक प्रावधानों के साथ दी गई व्यापक शक्तियों के बावजूद, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

क्या हैं शासन के निर्देश

सिंघवी ने बताया कि पत्र प्राप्ति के पश्चात छत्तीसगढ़ शासन, आवास एवं पर्यावरण विभाग ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नगरी प्रशासन एवं विकास विभाग तथा परिवहन विभाग को निर्देश जारी किए हैं कि मच्छरों से जनित होने वाले रोग तथा मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए उचित स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं का विकास किया जावे तथा इसके रोकथाम के लिए जागरूकता हेतु प्रचार किया जाए। जलवायु परिवर्तन के रोकथाम एवं इसके प्रभाव की जानकारी जन सामान्य की जागरूकता हेतु प्रचार प्रसार किया जावे। नगरी एवं ग्रामीण निकायों के अंतर्गत जल निकासी मार्गो (ड्रेनेज) की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलने, जमाव से बचने तथा जमाव होने पर उसे हटाने की व्यवस्था करना होगा। हॉट बाजारों में प्रतिबंधित प्लास्टिक की उपलब्धता की जांच कर आवश्यक जुर्माना लगाना एवं समान जप्ती की कार्यवाही की जावे तथा प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग न किए जाने हेतु जागरूकता एवं प्रचार प्रसार किया जावे। प्रतिबंध प्रतिबंधित प्लास्टिक के अन्य राज्यों से हो रहे परिवहन को रोका जावे।

आपत्ति दर्ज कराएंगे पर्यावरण प्रेमी

सिंघवी ने चर्चा में बताया कि हम हमेशा बीमारियों के इलाज को प्राथमिकता देते हैं लेकिन बीमारी को जड़ से खत्म करने का प्रयत्न नहीं करते। वर्षो से हम जागरूकता पैदा करने का प्रयत्न करने में पूर्णत: असफल रहे हैं। शासन के आदेश में प्रतिबंधित प्लास्टिक सामग्रियों के आयत, निर्माण, भंडारण, बिक्री, आतंरिक परिवहन इत्यादि को नियंत्रित करने के लिए कोई भी निर्देश नहीं दिए गए हैं। इसे कौन रोकेगा? प्रतिबंधित प्लास्टिक से निर्मित बैनर, फ्लेक्स, होर्डिंग्स को कौन रोकेगा? इसे वे मुख्य सचिव के संज्ञान में लायेंगे ताकि नलियां जाम से मच्छर जनित बीमारियों को नियंत्रित और पर्यावरण की रक्षा की जा सके।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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