एनपीजी न्यूज डेस्क
लोकसभा से लेकर देश के सभी राज्यों की विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर बनाए जाते हैं। अब तक की परंपरा यही रही है कि चुनाव जीतकर आए सबसे वरिष्ठ विधायक को ही प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। वरिष्ठता की गणना आयु से नहीं की जाती है बल्कि संसदीय अनुभव से किया जाता है। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो यह स्वभाविक है कि जो सबसे ज्यादा बार चुनाव जीता होगा वह आयु में भी सबसे बड़ा ही होगा।
जानिए... कैसे होती है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति
संसदीय कामकाज के जानकारों के अनुसार प्रोटेम स्पीकार का चुनाव मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्यपाल करते हैं। प्रोटेम स्पीकार को राजभवन में ही शपथ दिलाया जाता है।
जानिए...क्या है प्रोटेम स्पीकार का काम
प्रोटेम स्पीकार नई विधानसभा के पहले दिन की कार्यवाही का संचालन करता है। नवनिर्वाचित विधायकों को विधानसभा की सदस्यता की शपथ प्रोटेम स्पीकार ही दिलाता है। सदस्यों के शपथ के बाद विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होता है। स्पीकर के पदभार ग्रहण करने के साथ ही प्रोटेम स्पीकार का काम और कार्यकाल स्वत: समाप्त हो जाता है।