Arpa Bhainsajhar Land Scame: 34 करोड़ का घोटाला दबाने की कोशिश! अरपा भैंसाझार में सिर्फ दो दोषी नपे, बाकी 9 अफसर अब भी आज़ाद
अरपा भैंसाझार भूअर्जन घोटाले में 11 अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया है। साढ़े 34 करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर लंबी जांच चली। जांच रिपोर्ट के बाद बिलासपुर के तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य शासन को पत्र भी लिखा। घोटालेबाज अफसरों ने ऐसी चकरी चलाई कि फाइल दब सी गई। इस बीच एनपीजी ने महीने भर में लगातार छह खबरें प्रकाशित कर घोटाले को उजागर किया। एनपीजी की खबर के बाद राज्य शासन ने घोटाले की जांच का जिम्मा EOW को सौंप दिया। इस बीच सिस्टम ने रफ्तार पकड़ी और कोटा के तत्कालीन एसडीएम व बिलासपुर आरटीओ आनंदरुप तिवारी को सस्पेंड कर दिया। तीन साल बाद भी 9 घोटालेबाज अधिकारी अब भी छुट्टा घूम रहे हैं।

Arpa Bhainsajhar Land Scame
बिलासपुर। अरपा भैंसाझार नहर निर्माण के लिए भूअधिग्रहण के बाद भूअर्जन की कार्रवाई की गई थी। इस दौरान कोटा के तत्कालीन एसडीएम आनंद रुप तिवारी व कीर्तमान सिंह राठौर पदस्थ थे। ये दोनों भूअर्जन अधिकारी की भूमिका में भी रहे। नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण और भूअर्जन की प्रक्रिया एसडीएम व बतौर भूअर्जन अधिकारी इनके कार्यकाल में ही भूमि स्वामियों को मुआवजा का वितरण किया गया। कोविड काल जिसे केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय आपदा घोषित किया था, आपदा को दोनों एसडीएम के अलावा राजस्व व जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने अवसर में तब्दील कर दिया और सरकारी खजाने को साढ़े 34 करोड़ का नुकसान पहुंचा। घोटाले की शिकायत के बाद जांच बैठी और जांच में शिकायत की पुष्टि की गई और घोटालेबाज अफसरों के नाम भी सामने आए।
जांच रिपोर्ट के आधार पर बिलासपुर के तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य शासन को पत्र लिखा और फाइल भी चलाई। खटराल अफसरों ने राजधानी रायपुर में ऐसी चकरी चलाई की घोटाले की फाइल ही दब गई। एनपीजी ने घोटाले को लेकर लगातार खबरें प्रकाशित की। एनपीजी की खबरों के बाद राज्य शासन ने EOW से घोटाले की जांच कराने का निर्णय लिया और जांच का जिम्मा सौंप दिया है। ईओडब्ल्यू से जांच के साथ ही राज्य सरकार ने एक और बड़ी कार्रवाई की, कोटा के तत्कालीन एसडीएम व भूअर्जन अधिकारी आनंद रुप तिवारी को सस्पेंड कर दिया है। तीन साल से चल रही फाइल का नतीजा ये रहा कि अब तक सिर्फ दो लोगों पर ही कार्रवाई की गई है। घोटाले में शामिल 9 अफसर अब भी सिस्टम के लिए चुनौती बने हुए हैं।
पटवारी से आरआई बने साहू पर पहले गिरी कार्रवाई की गाज-
भू अधिग्रहण और भूअर्जन प्रक्रिया के दौरान दो-दो एसडीएम से मिलकर अगर सबसे बड़ा खेला किसी ने किया तो वह बतौर पटवारी मुकेश साहू ही है। बड़े और रसूखदार लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नहर का अलाइमेंट बदल दिया। जहां नहर के लिए जिस जगह जमीन अधिग्रहण किया गया है वहां से 200 मीटर दूर नहर बना दिया। इस दायरे में जिनकी जमीन आ रही थी से लाखों रुपये का मुआवजा भी दे दिया। यह सब कागजों में किया। कागज में 200 मीटर दूर नहर लाइन बिछा दी और लाखों रुपये का चूना सरकारी खजाने का एक झटके में लगा दिया। घोटालेबाज पटवारी पर अफसरों व सरकार की मेहरबानी कुछ ऐसी कि आरआई के पद पर पदोन्नत भी कर दिया। कलेक्टर की रिपोर्ट जब राजधानी रायपुर पहुंची तब खानापूर्ति करने पटवारी से आरआई बने मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया। तकरीबन साल बाद अब जाकर एक एसडीएम को सस्पेंड किया गया है।
इन अफसरों पर होनी है कार्रवाई-
राजस्व अफसर-
कीर्तिमान सिंह राठौर तत्कालीन एसडीएम कोटा, मोहरसाय सिदार नायब तहसीलदार,हुल सिंह आरआई, दिलशाद अहमद पटवारी सकरी,मुकेश साहू पटवारी सकरी।
जल संसाधन विभाग-
आरएस नायडू कार्यपालन अभियंता, एके तिवारी कार्यपालन अभियंता,राजेंद्र प्रसाद मिश्रा अनुविभागीय अधिकारी,आरपी द्विवेदी अनुविभागीय अधिकारी,आरके राजपूत सब इंजीनियर।