अंग्रेजी नहीं, देसी चाहिए... 7 करोड़ में बने मदर एंड चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में वेस्टर्न टॉयलेट, इसलिए 24 घंटे में ही मरीज और परिजन पुराने हॉस्पिटल में शिफ्ट

कांकेर, 22 अक्टूबर 2021। अंग्रेज चले गए पर अंग्रेजी छोड़ गए ऐसे जुमले तो आपने सुने होंगे, लेकिन ठेठ ग्रामीण आज भी अंग्रेजी के बजाय देसी लाइफस्टाइल पर ही भरोसा करते हैं और जीते हैं। पखांजूर में भी कुछ ऐसा ही हुआ। पखांजूर सिविल अस्पताल परिसर में आधुनिक सुविधाओं के साथ 7 करोड़ की लागत से मदर एंड चाइल्ड केयर अस्पताल बनाया गया। एक दिन पहले ही उसमें मरीजों को शिफ्ट किया गया, लेकिन 24 घंटे में ही मरीजों के साथ-साथ उनके परिजन को पुराने हॉस्पिटल में शिफ्ट करना पड़ा। इसके पीछे जो कहानी सामने आई वह यह है कि आधुनिक सुविधाओं के साथ वहां टॉयलेट वेस्टर्न स्टाइल के लगे थे। आप ट्रेन में सफर करते हैं तो वहां भारतीय शैली और पाश्चात्य शैली दोनों किस्म के टॉयलेट रहते हैं। यहां नहीं थे। ग्रामीणों को इसका इस्तेमाल करना नहीं आता था। कुछ ने बाथरूम को टॉयलेट की तरह इस्तेमाल कर लिया तो कुछ ने वेस्टर्न स्टाइल के टॉयलेट को कूड़ेदान समझ कर कचरा डाल दिया। 24 घंटे में ही ऐसा कुछ हो गया कि अस्पताल प्रशासन को आनन-फानन में सबको पुराने हॉस्पिटल में शिफ्ट करना पड़ गया। बीएमओ दिलीप सिन्हा के मुताबिक अब इंडियन स्टाइल के टॉयलेट बनवाए जाएंगे। 15 दिन में यह काम पूरा हो जाएगा, फिर मरीजों को शिफ्ट करेंगे।
2019 में भवन बना पर कोरोना की वजह से लोकार्पण भी नहीं
महिलाओं के सुरक्षित प्रसव और बच्चों की देखभाल के लिए पूर्व सांसद विक्रम उसेंडी की पहल पर यह मदर एंड चाइल्ड केयर हॉस्पिटल का निर्माण कराया गया था। 2019 में अस्पताल भवन तैयार हुआ। जनवरी 2020 में इसके लोकार्पण की तैयारी थी, लेकिन कोरोना की वजह से लोकार्पण नहीं हुआ। हालांकि दूसरी लहर में इसे कोरोना केयर सेंटर के रूप इस्तेमाल किया गया। इसके बाद से यह खाली था और परसों ही इसमें 37 मरीजों को शिफ्ट किया गया था।