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Nand Kumar Sai: नंद कुमार साय ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, बीजेपी छोड़ कांग्रेस में हुए थे शामिल...

Nand Kumar Sai: नंद कुमार साय ने कांग्रेस से दिया इस्तीफा, बीजेपी छोड़ कांग्रेस में हुए थे शामिल...
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By Sandeep Kumar

Nand Kumar Sai रायपुर। वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। इसी साल नंद कुमार साय ने बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस जॉइन किया था। अब इन्होंने कॉग्रेस का भी साथ छोड़ दिया है। कांग्रेस सरकार में नंद कुमार साय को छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था।


मालूम हो कि नंद कुमार साय ने विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका दिया था। साय ने अप्रैल में बीजेपी छोड़ी थी। उनकी इस घोषणा के बाद बीजेपी में हड़कंप मच गया था। उन्होंने बीजेपी पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया था। बीजेपी छोड़ने के बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली थी।

जानिए कौन हैं नंद कुमार साय

नंदकुमार साय का जन्म एक जनवरी 1946 को छत्तीसगढ़ के वर्तमान जशपुर जिले के भगोरा गांव में हुआ। उनके जन्म के समय यह गांव रायगढ़ जिले में आता था। उनके पिता का नाम लिखन साय और माता का नाम रूपिनी देवी है। उन्होंने पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी से संबद्ध एनईएस कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की। यह कॉलेज जशपुर नगर में स्थित है। नंदकुमार साय कृषक परिवार में पैदा हुए हैं। उन्होंने खेती भी की है। वे एनईएस कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे हैं।

उनका चयन नायब तहसीलदार की नौकरी के लिए हुआ था, लेकिन उन्होंने नौकरी के बजाय राजनीति को चुना। वे तीन बार विधायक, तीन बार लोकसभा के सांसद और दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। अविभाजित मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के भाजपा अध्यक्ष रहे। छत्तीसगढ़ के पहले नेता प्रतिपक्ष रहे। साथ ही, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रहे। उन्हें केंद्रीय मंत्री का दर्जा था।

साय प्रारंभ से ही आदिवासी समाज में नशे के विरोधी भी रहे। राजनीति में आने का एक कारण यह भी रहा. नशे के कारण आदिवासी युवाओं की बिगड़ती स्थिति से चिंतित होकर वे जोर-शोर से नशे के विरुद्ध अभियान चलाने लगे। जशपुर के एनईएस कॉलेज में अध्ययन के दौरान वे सन् 1972 से 73 तक कालेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। उसके बाद 1986 से 1988 तक भाजपा के कार्यकारी सदस्य भी रहे। 1988 से मध्यप्रदेश में भाजपा के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य बने व भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी रहे। 1980 से 82 तक वह रायगढ़ जिले के भाजपा अध्यक्ष भी रहे। 2003 से 2004 तक उन्होंने भाजपा छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष के रूप में काम किया। अविभाजित मध्यप्रदेश में भाजपा के महासचिव भी रहे।

पहली बार वे जशपुर जिले के तपकरा विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए। 1985 में दूसरी बार और 1998 में तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। साय 1989 और 1996 में रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद जब मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बनने पर वर्ष 2004 में सरगुजा से सांसद बने। वे 1997 से 2000 तक अविभाजित मध्य प्रदेश के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वह प्रथम नेता प्रतिपक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जमकर खिलाफत की। 2003 में छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में उन्होंने प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ मरवाही विधानसभा से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। उसके अगले ही साल 2004 में सरगुजा से लोकसभा सांसद बने। 1989 में पहली बार 1996 में दूसरी बार व 2004 में तीसरी बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए थे।

हिंदी व संस्कृत पठन-पाठन में रुचि लेने वाले साय 1973 में नायब तहसीलदार पद के लिए चयनित हुए पर उन्होंने समाज सेवा चुना। 2009 में वे राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए। मोदी सरकार ने उन्हें 2017 में अनुसूचित जनजाति आयोग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। उनके तीन बेटे और चार बेटियां हैं।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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