Mountaineer Nisha: निशा की राह के अड़चनों को पिता ने किया दूर, बेटी अब पिता के साथ ही छत्तीसगढ़ का बढ़ाएगी मान
Mountaineer Nisha: बेटी के सपनों को पूरा करने एक पिता के संघर्ष की कहानी सुनकर मन रोमांचित हो जाता है। सोहन लाल द्विवेदी की प्रसिद्ध कविता की चंद लाइनों में बेटी निशा के सपनों को साकार करने आटो चालक पिता के संघर्ष और समर्पण को कुछ इस अंदाज में अनुभव कर सकते हैं। लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
Mountaineer Nisha: बिलासपुर। आटो चालक श्याम कार्तिक यादव की छोटी बेटी निशा राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है। पर्वतारोही निशा के नाम कई कीर्तिमान है। रिकार्डधारी निशा के इस कीर्तिमान के पीछे पिता की कड़ी मेहनत के साथ ही बेटी के लिए समर्पण का भाव भी नजर आता है। आटो चालक पिता ने बेटी के सपनों में रंग भरने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की। पिता की मेहनत को निशा अपने आंखों से ना केवल देखा करती थी वरन उसी अंदाज में अनुभव भी किया करती थी।
निशा बताती है कि पिता ने उनके सपनों में सफलता का रंग भरने के लिए जिस समर्पण भाव से कड़ी मेहनत की है,उसे देखकर मन ही मन मैंने संकल्प लिया था कि पिता के सपर्मण को वह यूं ही बेकार नहीं जाने देगी। मेरे सपनों में सफलता का रंग भरने वाले पिता की कड़ी मेहनत में खुशियों का रंग भरने का मैने भी संकल्प लिया था। निशा यह बताते हुए भावुक भी हुई। आंखों की चमक और आत्मविश्वास से भरे चेहरे आज दमक रहे थे। बातों ही बातों में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव के फोन और पर्वतारोहण के लिए उनके द्वारा की गई मदद की पेशकश का जिक्र करते हुए वे भावुक हो उठी थी। निशा बताती है कि उनके जीवन का यह पहला और बेहद खुशियों भरा अनुभव रहा। राज्य के मुखिया ने फोन कर बधाई दी और आगे आने वाले राह के हर रोड़े को दूर करने का एक पिता व अभिभावक की भांति आश्वासन दिया।
आटो ही भरण पोषण माध्यम
निशा बताती हैं कि उनके पिता आटो चालक है। यही उनके घर परिवार के भरण पोषण का एकमात्र जरिया है। जब उसने पिता को पर्वतारोह बनने के अपने सपने के बारे में बताई और इसी दिशा में आगे बढ़ने के अपने संकल्प को दोहराया तो पिता ने झट हां कर दी। मैंने तब मन ही मन सोचा कि इसके लिए रुपयों का इंतजाम कहां से और कैसे होगा। दूसरे दिन से पिता और भी ज्यादा मेहनत करने लगे। सुबह से निकल जाते थे और देर रात तक घर आते थे। कड़ी मेहनत से पाई-पाई जोड़कर उनके सपनों में रंग भरने का काम किया। पिता की मेहनत को देखकर मैंने भी संकल्प लिया कि चाहे जो हो जाए,लक्ष्य को हासिल करना है। इस बीच मोहल्ले वालों से लेकर ना जाने कितने लोगों के ताने भी सुनने और सहने पड़े।
अरुणाचल प्रदेश से किया कोर्स
निशा बताती के पिता ने पर्वतरोहण की पढ़ाई के लिए उसे अरुणाचल प्रदेश भेजा। अरुणाचल प्रदेश भेजते वक्त पिता ने कहा था कि किसी बात की चिंता मत करना,बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना। उसी वक्त मैंने सोच लिया था कि पिता की मेहनत और संघर्ष को यूं ही जाया होने नहीं दूंगी।
सफलता के पीछे एक कारण यह भी
आर्थिक तंगी के बावजूद निशा मेहनत करती रही। निशा बताती है कि बचपन से ही उसे प्रकृति और पहाड़ों के बीच रहना और पर्वतारोहण पसंद है। निशा का सपना अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलीमंजारो को फतह करना है।
निशा का सपना है कि 19341 फीट ऊंची चोटी पर चढ़ कर भारत देश का झंडा तिरंगा फहराना। इसके लिए पैसे की जरुरत थी। 3 लाख 45 हजार रुपए की फीस निशाकी राह में रोड़ा अटका रही थी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बेटी के सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया है।
पोस्ट ग्रेजुएट है निशा,कई रिकॉर्ड है उनके नाम:–
निशा यादव ने राजनीति विज्ञान से पोस्टग्रेजुएट किया है। उन्होंने पर्वतारोहण में कई रिकॉर्ड बनाए हैं। उनके नाम निम्न रिकॉर्ड है...
उत्तराखंड में नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक ट्रैक-8522 फीट
उत्तराखंड केदारकंठा ट्रैक-12500 फीट
छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी गौरलाटा-2952 फीट
अरुणाचल प्रदेश की पर्वत चोटी गोरीचेन-21,286 फीट
यूरोप महाद्वीप का सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एलब्रुस-18510 फीट
दो बहनों में छोटी है निशा:–
निशा के पिता श्याम कार्तिक यादव ऑटो चालक है। माता राजकुमारी यादव गृहिणी है। निशा दो बहनों में छोटी है। बड़ी बहन प्रिया यादव की शादी हो चुकी है। निशा ने मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल से 10 वीं व 12वीं की कक्षा पास की है। 12 वीं उन्होंने जीव विज्ञान समूह से पास किया है। इसके बाद आर्ट्स विषय लेकर बीए किया फिर राजनीति विज्ञान में एमए किया है।