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Misa Bandi: सीजी के मीसाबंदियों को फिर से मिल सकती है सम्‍मान राशि: कांग्रेस ने सत्‍ता में आते ही खत्‍म कर दी थी यह योजना

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Misa Bandi: सीजी के मीसाबंदियों को फिर से मिल सकती है सम्‍मान राशि: कांग्रेस ने सत्‍ता में आते ही खत्‍म कर दी थी यह योजना
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By Sanjeet Kumar

Misa Bandi: रायपुर। मैंने मीसा बंदियों के तकलीफों को बहुत करीब से देखा है। उनके संघर्ष और पीड़ा को मैंने महसूस किया है। आपातकाल के दौरान मेरे बड़े पिताजी स्वर्गीय नरहरि साय भी 19 महीने तक जेल में रहे। यह बात मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर के वृंदावनहाल में लोकतंत्र सेनानी संघ द्वारा आयोजित प्रांतीय परिवार सम्मेलन और सम्मान समारोह में कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार मीसाबंदियों की सम्मान राशि की बहाली के लिए पहल करेगी। सम्मेलन में प्रदेश भर से आए मीसा बंदी और उनके परिजनों ने अपनी आपबीती भी साझा की। आपबीती सुन भावुक हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आपातकाल के समय का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र सेनानी जब जेल जाते थे तो उस परिवार की स्थिति बड़ी पीड़ादायक हो जाती थी। इन परिवारों के सामने आजीविका का संकट हो जाता था। मीसा बंदियों के साथ हमारी सरकार न्याय करेगी। पूर्ववर्ती डॉ रमन सिंह की सरकार ने मीसाबंदियों के लिए सम्मान राशि देने की शुरुआत की थी। हम मीसाबंदियों के लिए बेहतर कार्य करेंगे।

राज्यसभा सांसद और लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश सोनी ने कहा कि लोकतंत्र के लिए संघर्ष की बात जब भी आएगी, तब इन लोकतंत्र के प्रहरी मीसा बंदियों के संघर्षों से प्रेरणा ली जाएगी। इन्होंने लोकशाही के लिए लड़ाई लड़ी। यह भारत के इतिहास में एक बड़ा उदाहरण है।

कार्यक्रम को विधायक पुरंदर मिश्रा, लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में रामप्रताप सिंह, लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संतोष शर्मा, नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष दिवाकर तिवारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष द्वारिका जायसवाल सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

जानिए...कौन हैं मीसा बंदी

मीसा (MISA) यानी, आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (Maintenance of Internal Security Act)। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में देश में आपातकाल लागू किया गया था। इस दौरान गैर कांग्रेसी नेताओं और आपातकाल का विरोध करने वालों को जबरन जेल में बंद कर दिया गया था। छत्‍तीसगढ़ में भाजपा सरकार के दौरान इन मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी नाम देते हुए जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि के तहत पेंशन शुरू की गई। मीसा बंदियों को दो श्रेणी में 10 और 25 हजार रुपये पेंशन दिया जाता था। 2018 में सत्‍ता परिवर्तन के बाद तत्‍कालीन सरकार ने इसे बंद कर दिया। प्रदेश में लगभग 700 से अधिक मीसा बंदी हैं।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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