Land Scam: SDM ने लैंड यूज बदल 10 हजार करोड़ का किया खेला फिर बाल बांका नहीं, उत्तराखंड में 39 करोड़ के फेर में कलेक्टर, कमिश्नर समेत 12 सस्पेंड हो गए...
Land Scam: उत्तराखंड में कल कृषि भूमि को कमर्शियल कर महंगे रेट में खरीदने पर सरकार ने कलेक्टर, नगर निगम के आईएएस कमिश्नर, एसडीएम समेत 12 मुलाजिमों को सस्पेंड कर दिया। मगर छत्तीसगढ़ के एक एसडीएम ने भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाने 10 हजार करोड़ की ब्लैम मनी को व्हाइट कर दिया...इस चक्कर में इंकम टैक्स को 500 करोड़ से अधिक का चूना लगा। पंजीयन विभाग को चार-पांच सौ करोड़ का नुकसान हो गया, फिर भी एसडीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

Land Scam: रायपुर। उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार लैंड स्कैम में वहां के कलेक्टर, कमिश्नर, एसडीएम समेत 12 को निलंबित कर दिया। इनके खिलाफ आरोप था कि कृषि भूमि का लैंड यूज बदल कामर्शियल कर दिया गया, ताकि वास्तविक रेट से अधिक भुगतान कर सरकारी खजाने को चूना लगाया जा सकें। बताते हैं, कृषि जमीन का रेट करीब 15 करोड़ होता मगर कामर्शियल हो जाने से उसका रेट बढ़कर 54 करोड़ हो गया। अफसरों ने पैसे खाने की नीयत से लैंड यूज बदल दिया। उत्तराखंड सरकार ने इसमें कोई समझौता नहीं करते हुए कलेक्टर, कमिश्नर, एसडीएम समेत 12 को सस्पेंड कर दिया।
इसी तरह का मामला पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ में भी आया था। हालांकि, यह जमीन खरीदने का केस नहीं था। लैंड यूज बदलकर बड़े राजनेताओं, भूमाफियाओं और बिल्डरों को फायदा पहुंचाने का स्कैम किया गया। कांग्रेस शासनकाल में जमीनों के डायवर्सन में खेला तो पूरे छत्तीसगढ़ में हुआ। मगर रायपुर और बिलासपुर इसमें सबसे आगे रहा। इन दोनों शहरों में आरगेनाइज ढंग से काम किया गया। डायवर्टेड जमीन का लैंड यूज बदलकर उसे कृषि कर दिया गया। और रजिस्ट्री होने के बाद फिर एसडीएम ने उसका लैंड यूज बदल दिया।
दरअसल, लैंड डायवर्सन का अधिकार एसडीएम के पास होता है। एसडीएम अपनी टीम से सर्वे के बाद उसका लैंड यूज तय करता है। एसडीएम के बाद फिर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का काम प्रारंभ होता है। रायपुर, बिलासपुर के एक एसडीएम ने गजब का खेला किया। इक्का-दुक्का मामला होता तो शायद ये मामला उजागर भी नहीं होता। मगर सैकडां की संख्या में माफिया की तरह किया गया कारनामों की कलई अब धीरे-धीरे सामने आ रही है। सबसे बड़ी बात कि इस गड़बड़झालों से राज्य के खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ। जानकारों का कहना है कि जिस तरह के मामलों को अंजाम दिया गया है, उससे रजिस्ट्री और इंकम टैक्स को 500 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ होगा। वहीं करीब 10 हजार करोड़ की ब्लैकमनी, व्हाईट की गई।
आवासीय जमीन कृषि
अगर एक बार किसी जमीन का लैंड यूज बदलकर कृषि से आवासीय या फिर कामर्सियल हो गया तो फिर ये कतई संभव नहीं कि उसे फिर से लैंड यूज बदलकर कृषि कर दिया जाए। वो भी एकाध केस नहीं, रायपुर, बिलासपुर में 100 से अधिक भूखंडों का लैंड यूज बदल दिया गया। जाहिर है, लैंड यूज आम आदमी नहीं बदलवाता। बडे़ रसूखदार लोग या फिर राजनेता या बिल्डर और भूमाफिया ही एकड़ में बड़े भूखंड खरीदे रहते हैं। और इस केस में वे लोग ही एसडीएम के जरिये इस खेला को अंजाम दिए।
मनी लॉड्रिंग
कृषि जमीन की तुलना में आवासीय और कामर्सियल लैंड का सरकारी रेट दस गुना अधिक रहता है। मसलन, कृषि भूमि का रेट अगर 300 रुपए फुट होगा तो आवासीय और कामर्सियल का 3000 फुट से भी अधिक। आवासीय को अगर कृषि भूमि में एसडीएम ने चेंज कर दिया तो रजिस्ट्री 300 रुपए के रेट से होगा। इससे राज्य सरकार और इंकम टैक्स का नुकसान होता है। क्योंकि, रजिस्ट्री 300 के रेट से होगा ही एक नंबर में 300 रुपए के हिसाब से विक्रेता को देना होगा। बाकी पैसा कैश में। इससे बड़े राजनेताओं, भूमाफियाओं और बिल्डरों का ब्लैकमनी व्हाइट हो गया। उपर से इंकम टैक्स को नुकसान हुआ सो अलग। अगर आवासीय और कामर्सियल रेट से जमीन की रजिस्ट्री होगी तो रजिस्ट्री विभाग को दस गुना अधिक पैसे मिले होते, वहीं इंकम टैक्स विभाग को भी उसी हिसाब से टैक्स मिला होता।
पांच साल की जांच
राज्य सरकार सिर्फ रायपुर और बिलासपुर में पिछले पांच साल के लैंड यूज चेंज की जांच करा ले तो जानकारों का दावा है कि अब तक का सबसे बड़ा लैंड स्केम सामने आएगा। इसमें एसडीएम, तहसीलदार से लेकर बड़े राजनेता, नौकरशाह, भूमाफिया और बिल्डर लपेटे में आएंगे। क्योंकि, बहती गंगा में इन लोगों ने खूब डूबकी लगाई है।
किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं
छत्तीसगढ़ में इतना बड़ा स्कैम होने के बाद भी कार्रवाई तो दूर की बात इसकी जांच कराने के बारे में भी नहीं सोचा गया। जबकि, सारे अधिकारियों और नेताओं को पता है कि रायपुर, बिलासपुर में लैंड यूज बदलकर कैसे भूमाफियाओं को फायदा पहुंचाया गया। एनपीजी न्यूज के पास इसके पेपर हैं कि कैसे एक अ-सरदार व्यक्ति का राजधानी में स्थित 80 एकड़ जमीन को पहले कृषि किया गया। और रजिस्ट्री होते ही फिर उसे कामर्शियल में बदल दिया गया। जाहिर है, इससे रजिस्ट्री विभाग को कई सौ करोड़ का चूना लगाया गया।