Jashpur News: छत्तीसगढ़ में पहाड़ी कोरवा परिवार के 4 ने की एक साथ खुदकुशी, राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र हैं पहाड़ी कोरवा
Jashpur News: जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर से एक बड़ी खबर सामने आई है। पहाड़ी कोरवा परिवार के चार लोगों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतकों में पति पत्नी और दो बच्चे भी शामिल है। घटना बगीचा थाना क्षेत्र की है।
घटना सामरबहार गांव के डुमरपारा की है। बगीचा पुलिस को आज सुबह सूचना मिली थी कि डुमरपारा में पहाड़ी कोरवा परिवार के चार लोगों ने आत्महत्या कर ली। घटना की सूचना के बाद एडिशनल एसपी और बगीचा थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। मृतकों के शव घर के सामने मौजूद पेड़ पर लटके हुए थे।
पुलिस आशंका जता रही है कि पति पत्नी ने पहले बच्चों को फांसी पर लटकाया होगा इसके बाद खुद भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली होगी। मृतकों में संजू राम कोरवा 35, भिन बाई 22 वर्ष, पुत्री देवंती 4 वर्ष, पुत्र देवन 1 वर्ष शामिल है।
जशपुर एसएसपी डी रविशंकर ने एनपीजी से चर्चा करते हुए कहा कि सुबह पुलिस को सूचना मिली, मौके पर थाना प्रभारी, एडिशनल एसपी पहुंचे हुए है। एफएसएल की टीम भी अम्बिकापुर से निकल चुकी है। घटना के संबंध में हर पहलुओं पर जांच की जा रही है। जांच के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पायेगा।
पहाड़ी कोरवा छत्तीसगढ़ की एक विशेष जनजाति हैं जो मूलत:- छत्तीसगढ़ के जशपुर व कोरबा जिले में ही ज्यादातर पाई जाती हैं। यह आम आबादी से दूर पहाड़ों व जंगलों में निवास करता है और जंगली कंदमूल फल से ही इनका गुजारा होता है। लगातार इनकी घटती जनसंख्या को देखते हुए राष्ट्रपति ने इन्हें दत्तक पुत्र के रूप में गोद ले लिया है और इन्हें विशेष पिछड़ी जनजाति के रूप में शामिल कर लिया गया है। यह इस रूप में अनुसूचित जनजाति कैटेगरी में आते हैं। इनके विकास के लिए हर साल करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया जाता है मगर फिर भी यह इनका विकास उस गति से नहीं हो पा रहा है। आज के समय में भी बहुत ही कम पहाड़ी कोरवा कृषि को अपना पेशा बना पाए हैं, बाकी वन्य उपज पर ही निर्भर हैं। कंदमूल इनका मूल भोजन है और यह प्रकृति से जुड़े हुए हैं। हिंदू धर्म से ही इनके रीति रिवाज मिलते-जुलते हैं इनके ग्राम देवता का नाम ड़ीह है व सतबहिनी देवी इनकी देवी है। हर कोरवा जनजाति बस्ती में सतबहिनी देवी का मंदिर होता है।