रायपुर। सीबीआई मे अपनी प्रतिनियुक्ति पूरी कर आईपीएस राम गोपाल गर्ग छतीसगढ़ वापस लौट आये हैं। वे छतीसगढ़ कैडर के 2007 बैच के आईपीएसअफसर हैं। वे 2015 से डेपुटेशन पर सीबीआई गए हुए थे।
मूलतः पँजाब के रहने वाले 2007 बैच के आईपीएस रामगोपाल गर्ग ने अपनी कैरियर की शुरुवात छतीसगढ़ के राजनांदगांव जिले से की थी। वे 2008-09 में राजनांदगांव जिले में प्रशिक्षु आईपीएस थे। गरियाबंद में 2011 में नक्सली हमले में एडिशनल एसपी राजेश पवार व अन्य जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद गर्ग को गरियाबंद जिले का एसपी बना कर भेजा गया। वे यहां 11 से 13 तक ढाई वर्षों तक पदस्थ रहें। यहां पोस्टिंग के दौरान उन्होंने जिले के अंदरूनी क्षेत्रो में 6 नए थाने खोले व नक्सल गतिविधियों में अंकुश लगाया। इसके बाद उन्होंने कोरिया जिले में 6 माह तक एसपी रहे। इस दौरान उन्होंने अपराधों पर प्रभावी कार्यवाही की। फिर बालोद जिले में उन्होंने तीन माह अपनी सेवा दी। फिर एक साल तक पीएचक्यू में एसआईबी के एसपी रहे। वे एक साल तक राज्यपाल बलरामजी दास टण्डन के परिसहाय भी रहें।
2015 में आईपीएस गर्ग केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में एसपी के पद पर चले गए। इस दौरान वो दिल्ली व चंडीगढ़ में पदस्थ रहें। उन्होंने कई आर्थिक अपराध व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर सीबीआई को सौपे गए केसों की जांच की। सीबीआई में रहने के दौरान डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के मामले की जांच कर उसकी कुंडली निकाल एसी तगड़ी चालान गर्ग ने बनाई कि सबूतों व जांच रिपोर्ट के आधार पर पंचकुला की सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरुमीत राम रहीम को दोषी करार दिया।