IAS News: जब IAS को विवस्त्र कर दिया उग्र भीड़ ने, छत्तीसगढ में भड़का था व्यापारियों और लोगों का गुस्सा
IAS News: छत्तीसगढ़ वैसे तो शांत प्रदेश माना जाता है, मगर समय-समय पर ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है। बलौदा बाजार में कल कलेक्ट्रेट्र, एसपी, ऑफिस, जिला पंचायत भवन, तहसील कार्यालय, कुटुंब न्यायालय को उग्र भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। उससे लोगों को छत्तीसगढ़ का इमली खरीदी कांड याद आ गया। इसमें SDM को विवस्त्र कर दिया गया था।
IAS News: रायपुर। छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में कल हुई तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा की घटना से छत्तीसगढ़ स्तब्ध है। धार्मिक विवाद के बाद भड़की हिंसा की लपेटे में सिर्फ सरकारी कार्यालय ही नहीं बल्कि पूरा बलौदा बाजार था। पूरे शहर भर बाइक और चार पहिया गाड़ियां धू-धूकर जल रही थीं। पूरा शहर में धुंए और आग का गुबार फैला हुआ था। पुलिस थानों में दुबकी हुई थी, प्रशासन शीर्षासन कर रहा था। आलम यह था कि हिंसा में घायल पुलिस कर्मियों और कार्यपालिक मजिस्ट्रेट को अस्पताल कैसे पहुंचाया जाए, ये बड़ी समस्या थी। दोपहर करीब चार बजे आईजी अमरेश मिश्रा रायपुर से फोर्स लेकर बलौदा बाजार पहुंचे तो फोर्स में थोड़ी उर्जा आई। फिर दमकल बुलाकर शहर की जलती गाड़ियों को बूझाने का काम प्रारंभ हो पाया।
बस्तर का इमली कांड
बलौदा बाजार की घटना से छत्तीसगढ़ के लोगों को बस्तर का इमली कांड आ गया। ये घटना छत्तीसगढ़ राज्य बनने के तुरंत बाद की है। बस्तर के कलेक्टर थे प्रवीण कृष्ण। उन्होंने इमली का रेट अधिक-से-अधिक मिले, इसलिए व्यापारियों की खरीदी पर रोक लगा दिया था। उस समय की सरकार ने भी तय किया था कि समितियों द्वारा इमली खरीदी जाए, जिससे लोगों को अच्छा रेट मिले। व्यापारी औने-पौने दाम में इमली खरीद लेते थे। लेकिन, समितियों के पास उतना पैसा नहीं था कि सारे आदिवासियों के इमली एक साथ खरीद ले। फिर समितियों द्वारा खरीदी की एक प्रक्रिया होती है। उससे पहले गांव के लोग भले ही कम रेट मिलता था मगर साप्ताहिक बाजार में इमली बेचकर आवश्यक सामान खरीद लेते थे। मगर समितियों की खरीदी सिस्टम से लोगों के साथ व्यापारी भी नाराज थे। क्योंकि, इससे नुकसान व्यापारियों का हो रहा था। सो, आग में घी डालने का काम भी किया गया।
अफसर को नंगा करने का शर्मनाक वाकया
एनपीजी न्यूज का मकसद किसी अफसर का अपमान करना नहीं, सिर्फ घटना के बारे में बताना है। इसलिए, हम न जगह का नाम नहीं दे रहे और न अफसर का। उग्र भीड़ द्वारा अफसर को नंगा करने की घटना जगदलपुर से लगे एक सब डिवीजन कार्यालय के गांव के बाजार में हुई थी। अभी के आईएएस उस समय एसडीएम थे। वे इमली खरीदी व्यवस्था का जायजा लेने साप्ताहिक बाजार गए थे। वहां एसडीएम के विरोध की पूरी तैयारी कर रखी थी लोगों ने। जैसे ही एसडीएम गांव पहुंचे, भीड़ ने उन्हें घेर लिया। फिर झूमाझटकी, मारपीट के साथ ही कपड़े फाड़ दिए गए। यहां तक कि अंडर वियर भी। इस घटना से सरकार हिल गई थी। इस घटना के कुछ दिन बाद प्रवीर कृष्ण को हटाकर फिर 94 बैच की आईएएस ऋचा शर्मा को बस्तर का कलेक्टर बनाकर भेजा गया। उस समय सिर्फ कांकेर जिला अलग हुआ था। बाकी छह जिले उस समय बस्तर के अंतगर्त आते थे। इसलिए सही ही कहा गया है कि भीड़ का कोई विवेक नहीं होता। छत्तीसगढ़ से लेकर देश में कहीं भी इस तरह की घटनाएं होती है, उसमें उग्र भीड़ जब नेतृत्वविहीन हो जाती है, तो फिर सब कुछ अनियंत्रित हो जाती है।
भीड को नियंत्रित करने का कौशल
भीड़ को अगर समय रहते नियंत्रित नहीं किया तो बड़ी संख्या में एक जगह अगर प्रदर्शनकारी जमा हो गए तो फिर उन्हें संभालना मुश्किल होता है। इसी लिए बेरिकेटिंग के साथ नाकेबंदी की जाती है।