Himachal Flood: बारिश के कहर से हिमाचल प्रदेश में हाहाकार, 71 लोगों ने गंवाई जान
Himachal Flood: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश के कारण हुए भूस्खलन से पिछले 3 दिनों में 80 से अधिक लोगों की मौत हुई है। हिमाचल में कई स्थानों पर भूस्खलन में ढहे मकानों से घायलों को बचाने और मलबे से शव निकालने का अभियान जारी है।
Himachal Flood: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश के कारण हुए भूस्खलन से पिछले 3 दिनों में 80 से अधिक लोगों की मौत हुई है। हिमाचल में कई स्थानों पर भूस्खलन में ढहे मकानों से घायलों को बचाने और मलबे से शव निकालने का अभियान जारी है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बारिश से हुए नुकसान से उबरने और बुनियादी ढांचे को विकसित करने में कम से कम एक साल लगेगा। उन्होंने कहा कि उनके सामने पहाड़ जैसी चुनौती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में 13 अगस्त से जारी भारी बारिश के कारण राजधानी शिमला सहित कई जिलों में भूस्खलन हुआ है। यहां समर हिल, फागली और कृष्णा नगर के इलाके भूस्खलन से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। प्रधान सचिव (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा ने कहा, "पिछले 3 दिनों में कम से कम 71 लोगों की मौत हो गई और 13 अभी भी लापता हैं। रविवार रात से अब तक कुल 57 शव बरामद किए गए हैं।"
शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने कहा, "समर हिल और कृष्णा नगर इलाकों में बचाव अभियान जारी है। बुधवार को समर हिल साइट से एक और शव बरामद किया गया।" उन्होंने कहा, "अब तक समर हिल से 13, फागली से 5 और कृष्णा नगर से 2 शव बरामद किये गये हैं। समर हिल में सोमवार को ढहे शिव मंदिर के मलबे में अभी भी कुछ शवों के दबे होने की आशंका है।"
कांगड़ा के उपायुक्त निपुण जिंदल ने कहा कि पिछले 24 घंटों में जिले के इंदौरा और फतेहपुर उपमंडलों के बाढ़ प्रभावित इलाकों से 1,731 लोगों को बचाया गया है और यहां करीब 27 पंचायतें बाढ़ प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, "भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों, सेना के जवानों और NDRF की मदद से बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालने का अभियान जारी है। इन सभी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।"
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून के 54 दिनों में ही 742 मिमी बारिश हो चुकी है, जबकि 1 जून से 30 सितंबर के बीच यहां औसतन 730 मिमी बारिश होती है। शिमला मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक सुरिंदर पॉल ने बताया कि इस साल जुलाई में राज्य में दर्ज की गई मानसून की बारिश ने पिछले 50 सालों के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए, जिसके कारण यहां आपदा जैसे हालात बने हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, भूस्खलन की आशंका के कारण कृष्णा नगर में लगभग 15 घरों को खाली करा लिया गया है और परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है। 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से राज्य में बारिश से संबंधित घटनाओं में कुल 214 लोगों की मौत हुई है, जबकि 38 अभी भी लापता हैं। राज्य में इस साल के मानसून की बारिश से 75,000 करोड़ रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है।
उत्तराखंड में भी पिछले 3 दिनों से जारी बारिश ने जमकर कहर बरपाया है। यहां बारिश से संंबंधित घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। पौड़ी जिले के लक्ष्मण झूला में भारी बारिश के बाद भूस्खलन की चपेट में आए एक रिसॉर्ट के मलबे से दंपति और उनके बेटे सहित 4 शव बरामद किए गए। इसी बीच SDRF ने बुधवार को रुद्रप्रयाग जिले में मद्महेश्वर मंदिर के पैदल मार्ग पर फंसे 293 तीर्थयात्रियों को बचाया।
उत्तराखंड में विभिन्न क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण मलबा आने से 323 सड़कें बंद हैं। बुधवार को अमसौड़ में भूस्खलन के मलबे से पौड़ी-कोटद्वार-दुगड्डा राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध होने से यातायात बाधित रहा। राज्य के आपदा नियंत्रण केंद्र ने कहा कि पीपलकोटी भरेनपानी के पास ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग का एक हिस्सा बह गया, जिसके कारण यहां आवाजाही प्रभावित है। अधिकारियों का कहना है कि सड़कों को फिर से खोलने के प्रयास किये जा रहे हैं।
बुधवार को पोंग और भाखड़ा बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण पंजाब बाढ़ का सामना कर रहा है। यहां होशियारपुर, गुरदासपुर और रूपनगर जिलों के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राज्य सरकार स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है और बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव अभियान चलाया रहा है। इसी बीच बाढ़ प्रभावित जिलों में प्रशासन ने आज निजी और सरकारी स्कूलों को बंद रखने के आदेश दिए हैं।