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Education News: माशिमं ने वापस लिया विवादित आदेश: स्कूल प्रबंधन के साथ ही स्टूडेंट्स को भी मिली बड़ी राहत

Education News: माध्यमिक शिक्षा मंडल ने विभाग की वेबसाइट पर स्टूडेंट का नाम एंट्री करने के लिए स्कूलों को 25000 रुपए जमा करने की शर्त रख दी थी। NPG ने इस खबर को ना केवल प्रमुखता के साथ उठाया था, साथ ही स्कूल प्रबंधन और स्टूडेंट की परेशानी को भी सामने रखा था। एनपीजी में खबर प्रसारित होने के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल ने विवादित आदेश को वापस ले लिया है। इससे स्कूल प्रबंधन के साथ ही स्टूडेंट्स को भी राहत मिलेगी।

Education News: माशिमं ने वापस लिया विवादित आदेश: स्कूल प्रबंधन के साथ ही स्टूडेंट्स को भी मिली बड़ी राहत
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By Radhakishan Sharma

Education News: बिलासपुर। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने प्रदेशभर के उन हजारों स्कूलों की समस्या बढ़ा दी थी जिनके यहां बच्चों की बोर्ड के पोर्टल में एंट्री नहीं हो पाई थी। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने एक बार फिर पोर्टल ओपन तो किया लेकिन फीस इतना अधिक रखा की संस्था प्रमुखों के होश उड़ गए। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने इसके लिए फीस 25 हजार तय कर दिया था।

माध्यमिक शिक्षा मंडल के अव्यवाहरिक आदेश को लेकर NPG ने प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित किया था। एनपीजी की खबर का असर भी उसी अंदाज में हुआ है। माशिंम ने अपने विवादित आदेश को वापस ले लिया है। पूर्व के आदेश पर नजर डालें तो जिन स्कूलों में बोर्ड परीक्षा के एक या दो बच्चों के नाम ही पोर्टल में एंट्री होने के लिए बच गए थे उन स्कूलों को भी भारी भरकम फीस चुकानी पड़ती।

NPG में खबर प्रसारित होने के बाद सबसे पहले सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक विवेक दुबे ने माशिम के अधिकारियों से मोबाइल के जरिए बात की और विरोध दर्ज कराया। साथ ही दुबे ने मंडल को अवगत कराया और पोर्टल में सुधार की मांग की। माशिम ने अपने विवादित आदेश को वापस ले लिया है। अब जिन स्कूलों में एक या दो बच्चे ही छूटे हैं, उनके लिए फीस एक और दो हजार ही रहेगी। माध्यमिक शिक्षा के आदेश के बाद स्कूलों में बोर्ड के ऐसे बच्चे जिनका पोर्टल में नाम एंट्री नहीं हो पाया था आनलाइन एंट्री का काम भी प्रारंभ कर दिया है। रायपुर के एक शासकीय स्कूल की फीस जो पहले 25000 थी और जहां दो बच्चे छूटे थे उनकी फीस अब दो हजार रुपए हो गई है।

माशिमं के आदेश के बाद दुबे ने एसएमएस के जरिए दी स्कूलों को जानकारी

माध्यमिक शिक्षा मंडल की वेबसाइट में एंट्री के लिए जिन स्कूलों में बच्चों का नाम छूट गया है वह माध्यमिक शिक्षा मंडल की वेबसाइट में अपने यहां की स्थिति यानी आपके यहां कितने बच्चे छूटे हैं, उसकी जानकारी देते हुए ( नाम , कक्षा इत्यादि ) माध्यमिक शिक्षा मंडल को मेल कर दीजिए ([email protected] में ), वह पोर्टल में आपके यहां के शुल्क को रिवाइज करेंगे। अभी सभी के यहां 25000 रुपये दिखा रहा है, जिनके यहां एक या दो बच्चे त्रुटिपूर्ण तरीके से छूट गए हैं उनका फीस रिवाइज किया जाएगा। दुबे ने भेजे संदेश में साफ कहा है कि आपके यहां जितने छात्र छूटे हैं उनकी जानकारी स्पष्ट रूप से देना अनिवार्य है।

सबसे पहले NPG ने माशिमं की उगाही का किया खुलासा

माध्यमिक शिक्षा मंडल के इस अव्यवहारिक आदेश को लेकर सबसे पहले NPG ने खबर प्रकाशित की थी।

10वीं और 12वीं में अध्यनरत विद्यार्थियों की माशिंम के पोर्टल पर एंट्री की जाती है। छात्रों की पोर्टल में एंट्री, लेट फीस 25000 रुपए कर दी थी।

ऐसे मिली जानकारी

दरअसल माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड के पास इस बात की सूचना पहुंची थी की बहुत से स्कूलों में एक या दो बच्चे एंट्री के लिए छूट गए हैं। इसलिए पोर्टल फिर से खोला जाए। इस पर माध्यमिक शिक्षा मंडल ने पहले स्कूलों से जिला शिक्षा अधिकारी के नाम से आवेदन मंगाया और उसके बाद जिन स्कूलों में बच्चों के नाम छूट गए थे उन्होंने जूझकर जानकारी जमा की। जिसके बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल ने पूरी सूची जारी कर दी। इसके अनुसार माध्यमिक शिक्षा मंडल के वेब पोर्टल पर 1247 बच्चों की एंट्री होना है ।

31 अगस्त को बंद कर दिया था पोर्टल

माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 31 अगस्त को पोर्टल बंद कर दिया था। ऐसे में यदि आपको छात्र की एंट्री करनी है तो लेट फीस देना होगा और उस लेट फीस की गणना स्कूल द्वारा माध्यमिक शिक्षा मंडल को की गई लिखित शिकायत या जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा भेजी गई एकमुश्त सूची की तिथि यानी 25 सितंबर तक की मानी जाएगी। लिहाजा 25 दिन का विलंब शुल्क विद्यालयों के संस्था प्रमुखों को भरना होगा। माशिमं ने लेट फीस प्रतिदिन एक हजार रुपये तय कर दिया था। इसका मतलब यह कि यदि किसी स्कूल प्रबंधन को यदि एक छात्र की भी एंट्री करनी है तो 25000 रुपये उसे पहले माध्यमिक शिक्षा मंडल को देना होगा इसके बाद ही वह एंट्री कर पाएंगे। माध्यमिक शिक्षा मंडल की वेबसाइट में बकायदा इस शुल्क की गणना कर प्रदर्शित भी किया जा रहा था।

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