Earthquake in Korba: छत्तीसगढ़ के कोरबा में भूकंप के झटके, जमीन हिली, घरों में दरारें, घबराहट में लोग घरों से बाहर निकल आए
Earthquake in Korba: छत्तीसगढ़ की उर्जा और कोयला नगरी कहे जाने वाले कोरबा और उसके पड़ोसी जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में आज सुबह भूकंप से अफरातफरी मच गई। पलंग हिलने लगा, लोग घरों से बाहर निकल आए।
Earthquake in Korba: कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा में भूकंप के झटके महसूस किए गए है। भूकंप के झटके से पसान इलाके कुछ घरों में दरार पड़ गए। झटके से लोगों में अफरा-तफरी की स्थिति भी निर्मित हो गई। बताया जा रहा है कि सुबह 9 बजकर 9 मिनट में भूकंप के झटके लोगों ने महसूस किए। रिएक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 आंकी गई है। जिसका केंद्र कोरबा जिले में 22.79 अक्षांश और 82.16 देशांतर पर जमीन के 0.5 किमी नीचे था।
वहीं, कोरबा के पड़ोसी जिला गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में भी हल्के झटके महसूस किए गए। फिलहाल इस झटके से किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है। मौसम विशेषज्ञ का कहना है कि धरती मुख्यत: चार परतों से बनी हुई है। इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है। अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है। ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है। कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं। इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है। कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते। जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है।
फिर आ सकता है भूकंप! सरगुजा संभाग के बड़े एरिया में कोल माइनिंग, पांच साल में 7 बार झटके, इसलिए..
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा क्षेत्र में फिर भूकंप आ सकता है। ये हम नहीं कह रहे, बल्कि पिछले पांच साल के जो आंकड़े हैं, उसके आधार पर रिसर्चर यह अनुमान लगा रहे हैं। इसके दो कारण हैं। एक तो यह कि छत्तीसगढ़ का सरगुजा वाला हिस्सा भूकंप के खतरे के लिहाज से बांटे गए जोन-3 में आता है, जहां इसकी संभावना बनी रहती है। दूसरा कारण कोयले का खनन है। इस इलाके में लगातार कोयले का खनन हो रहा है, जिससे जमीन खोखली हो रही है। खाली स्थानों पर जो पानी है, उसे बड़े बोर से निकाला जा रहा है। टेक्टोनिक प्लेट के मूवमेंट के लिए यह भी एक कारण है, जिससे भूकंप आता है।
बता दें कि महीनेभर में तीसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। पहले 11 जुलाई को कोरिया में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसकी तीव्रता 4.3 थी। इसके बाद कोरिया में ही 29 जुलाई को भूकंप आया। इसकी तीव्रता 4.6 थी। 4 अगस्त को सूरजपुर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर भूकंप आया। इसकी तीव्रता 3.0 थी।
सीएम भूपेश बघेल भी इशारों-इशारों में कह चुके हैं कि बार-बार भूकंप आना चिंता का विषय है। राजधानी स्थित साइंस कॉलेज के प्रोफेसर एसएस भदौरिया भी यह मानते हैं कि सरगुजा इलाके में भूकंप के लिए कोयला खनन और खदान कारण हो सकते हैं।
सूरजपुर में भूकंप के बाद यह तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें दीवार पर दरार पड़ गई।
जो आंकड़े सामने आए वह चिंताजनक
टेक्टोनिक प्लेट पृथ्वी के ऊपरी सतह जिसे क्रस्ट कहा जाता है के नीचे का हिस्सा है। ऐसी कई प्लेटें हैं, जिसमंं मूवमेंट होता है। इन प्लेटों में जब घर्षण होता है, खिंचाव होता है या ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं तो उससे कंपन पैदा होता है। यही भूकंप है। अंबिकापुर स्थित राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के रिसर्च असिस्टेंट यमलेश कुमार निषाद और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रंजीत कुमार ने 2018 के बाद हुई भूकंप की घटनाओं और केंद्र सरकार की अलग-अलग एजेंसियों से मिले डाटा के आधार पर जो अनुमान लगाया है, उसके मुताबिक सरगुजा इलाके में भूकंप की संभावना बनी रहेगी।
पांच साल में सरगुजा क्षेत्र में आए भूकंप के झटके
तारीख - तीव्रता
02 सितंबर 2018 - 3.0
22 फरवरी 2019 - 3.5
11 अप्रैल 2021 - 3.7
12 दिसंबर 2021 - 3.4
11 जुलाई 2022 - 4.3
29 जुलाई 2022 - 4.6
04 अगस्त 2022 - 3.0
Earthquake of Magnitude:4.6, Occurred on 29-07-2022, 00:56:48 IST, Lat: 23.31 & Long: 82.53, Depth: 16 Km ,Location: 69km WNW of Ambikapur, Chhattisgarh, India for more information Download the BhooKamp App https://t.co/JN81zr5cOA pic.twitter.com/kgmow6OkL5
— National Center for Seismology (@NCS_Earthquake) July 28, 2022
ऐसे समझें रिक्टर स्केल पर झटकों का असर
0-1.9 - सिर्फ सिस्मोग्राफ पर पता चलेगा।
2-2.9 - हल्के झटके आएंगे।
3-3.9 - कोई ट्रक नजदीक से गुजर जाए ऐसा असर।
4-4.9 - खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती है।
5-5.9 - फर्नीचर हिल सकता है। मकानों में दरारें आ सकती हैं।
6-6.9 - कच्चे मकान गिर सकते हैं। इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान।
7-7.9 - इमारतें-मकान गिर जाते हैं। काफी नुकसान। जैसा भुज में 2001 में और नेपाल में 2015 में हुआ था।
8-8.9 - इमारतों समेत बड़े पुल भी गिर जाते हैं। सुनामी का खतरा।