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Chhattisgarh Police: गृह मंत्री का निर्देश- जनाब...रोजनामचा, मुचलका और गिरफ्तारी को सीजी पुलिस कहेगी बाय-बाय...पढ़ि‍ये क्‍या है पूरा मामला

Chhattisgarh Police: छत्‍तीसगढ़ पुलिस अब जनाब, रोजनामचा, मुचलका और गिरफ्तारी सहित इस तरह के कई और शब्‍दों का प्रयोग नहीं करेगी। इसको लेकर राज्‍य के डिप्‍टी सीएम और गृह मंत्री विजय शर्मा ने एक निर्देश जारी किया है।

Chhattisgarh Police: गृह मंत्री का निर्देश- जनाब...रोजनामचा, मुचलका और गिरफ्तारी को सीजी पुलिस कहेगी बाय-बाय...पढ़ि‍ये क्‍या है पूरा मामला
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh Police: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ पुलिस अब किसी को पकड़ेगी तो उसे गिरफ्तारी नहीं बताएगी। अब राज्‍य पुलिस कहेगी हिरासत या अभिरक्षा में लिया गया है। इसी तरह नकबजनी के बदले पुलिस के रिकार्ड में गृहभेदन या सेंधमारी लिखा जाएगा। चश्मदीद गवाह को अब प्रत्यक्षदर्शी या साक्षी कहा जाएगा। प्रदेश के डिप्‍टी सीएम और गृह मंत्री विजय शर्मा के निर्देश पर पुलिस इन शब्‍दों को बाय-बाय कहने जा रही है।

दरअसल, प्रदेश ही नहीं देशभर में पुलिस अभी अपनी कागजी कार्यवाही में जिन शब्‍दों का प्रयोग करती है उनमें ज्‍यादातर उर्दू-फारसी शब्‍द है। ये शब्‍द भी अब आम बोलचाल से बाहर हो चुके हैं। इसके बावजूद पुलिस इन्‍हें ढो रही है। अब गृह मंत्री शर्मा ने गृह विभाग के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि पुलिस की कार्यप्रणाली में चलन से बाहर हो चुके शब्दों को हटाकर जनता की समझ में आने वाले शब्दों का उपयोग किया जाए।

बताया जा रहा है कि वर्ष 1861 में जब देश में अंग्रेजों का शासन था। तब अंग्रेजों ने भारत में पुलिस अधिनियम लागू कर पुलिस सिस्‍टम का गठन किया था। उस समय हिंदी भाषी राज्यों में मुगलिया प्रभाव के चलते बोलचाल की भाषा में उर्दू, अरबी और फारसी शब्दों का खूब प्रयोग किया जाता था। अंग्रेजों ने इस मिली-जुली भाषा को सरकारी दस्तावेजों में लिखा-पढ़ी की भाषा के तौर पर इस्तेमाल किया। आजादी के 75 साल बाद अन्य विभागों ने अपनी भाषा बदल दी. लेकिन पुलिस अभी भी दस्तावेजों की लिखा- पढ़ी में परंपरागत तौर पर अंग्रेजों की उसी भाषा का इस्तेमाल करती है।

ऊर्दू-फारसी के शब्‍द और उनका हिंदी शब्‍द

चिक खुराक - थाने में आरोपित के खाने पर हुआ खर्च

नकल रपट - किसी लेख की नकल

नकल चिक - एफआइआर की प्रति

मौका मुरत्तिब - घटनास्थल पर की गई कार्रवाई

बाइस्तवा - शक, संदेह,

तरमीम - बदलाव करना अथवा बदलना

चस्पा - चिपकाना

जरे खुराक - खाने का पैसा

जामा तलाशी- वस्त्रों की छानबीन

बयान तहरीर - लिखित कथन

नक्शे अमन- शांति भंग

माल मसरूका- लूटी अथवा चोरी गई संपत्ति,

मजरूब- पीड़ित

मुजामत- झगड़ा अदम मौजूदगी - बिना उपस्थिति

अहकाम- महत्वपूर्ण

गोस्वारा - नक्शा

इस्तगासा- दावा, परिवाद

इरादतन - साशय

कब्जा- आधिपत्य

कत्ल/कातिल/कतिलाना - हत्या,वध/हत्यारा/प्राण-घातक

गुजारिश - प्रार्थना, निवेदन

गिरफ्तार/हिरासत - अभिरक्षा

मुचलका- व्यक्तिगत पत्र

रोजनामचा आम- सामान्य दैनिक

रोजनामचा खास- अपराध दैनिक

सफीना - बुलावा पत्र

हाजा - स्थान अथवा परिसर

अदम तामील- सूचित न होना

अदम तकमीला- अंकन न होना

नकबजनी - गृहभेदन, सेंधमारी

चश्मदीद गवाह - प्रत्यक्षदर्शी, साक्षी

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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