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Chhattisgarh News: पेट्रोलियम माफिया का खेल: छत्‍तीसगढ़ को हर साल लग रहा 200 करोड़ से ज्‍यादा का झटका, जानिये कैसे

Chhattisgarh News: उत्तर प्रदेश में डीजल में वैट टैक्स छत्तीसगढ़ के मुकाबले कम है। वैट में कमी का फायदा पेट्रोलियम माफिया जमकर उठा रही हैं। उत्तर प्रदेश का डीजल उत्तर छत्तीसगढ़ होते हुए समूच छत्तीसगढ़ में खपाया जा रहा है। इसका खामियाजा राज्य सरकार को भुगतनी पड़ रही है। आंकड़ों पर बात करें तो उत्तर प्रदेश से आ रहे डीजल के कारण छत्तीसगढ़ सरकार को प्रतिवर्ष 200 करोड़ का नुकसान हो रहा है। यह वैट टैक्स के रूप में सरकार को तब मिलता जब डीजल पंप संचालक छत्तीसगढ़ के पेट्रोलियम डीपो से डीजल लेते और बिक्री करते। पर ऐसा नहीं हो रहा है। एक जानकारी के अनुसार सरगुजा के रास्ते होते हुए छत्तीसगढ़ के औद्योगिक इलाकों और प्रमुख औद्योगिक शहरों में बड़ी मात्रा में आपूर्ति की जा रही है। खासकर कोरबा,रायपुर और बिलासपुर में भारी वाहनें उत्तर प्रदेश के डीजल से चल रहे हैं।

Chhattisgarh News: पेट्रोलियम माफिया का खेल: छत्‍तीसगढ़ को हर साल लग रहा 200 करोड़ से ज्‍यादा का झटका, जानिये कैसे
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By Radhakishan Sharma

Chhattisgarh News: बिलासपुर। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में प्रति लीटर डीजल पर वैट टैक्स 25 प्रतिशत तय किया है। टैक्स के अलावा दो फीसदी सेस के रूप में टैक्स वसूला जाता है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में वैट टैक्स छत्तीसगढ़ से कम 14.7 है। वैट के मामले में यूपी के मुकाबले छत्तीसगढ़ भारी भरकम टैक्स वसूल रहा है। दो प्रतिशत सेस अलग। यही कारण है कि डीजल पंप संचालक वैट टैक्स बचाने छत्तीसगढ़ के डीपो से डीजल ना खरीदकर सीधे उत्तर प्रदेश से डीजल की खरीदी कर रहे हैं। यूपी के डीपो से सीधे डीजल पंप संचालकों को डीजल की आपूर्ति भी की जा रही है।

यही नहीं यूपी के साथ ही मध्यप्रदेश के रास्ते भी पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा उत्तर छत्तीसगढ़ के जरिए डीजल खपाया जा रहा है। मध्यप्रदेश में डीजल में वैट टैक्स 18 प्रतिशत है।

पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा कंज्यूमर आउटलेट में यूपी से सीधे डीजल की आपूर्ति उत्तर छत्तीसगढ़ में की जा रही है। यूपी से डीजल खरीदने के कारण संचालकों का प्रति लीटर वैट टैक्स के रूप में आठ रुपये की बचत हो रही है। इसे इस अंदाज में आप समझ सकते हैं कि प्रति लीटर आठ रुपये का वैट टैक्स के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार को झटका लग रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार को वैट टैक्स के रूप में लग रहे करोड़ों के झटके के लिए पेट्रोलियम कंपनियों को भी कम जिम्मेदारी नहीं ठहराया जा सकता। कंपनियों द्वारा उत्तर छत्तीसगढ़ में जगह-जगह कंज्यूमर आउटलेट खोला है। इन्हीं आउटलेट में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के डीपो से डीजल की सीधे आपूर्ति की जा रही है। यह आपूर्ति आन डिमांड हो रही है।

बलरामपुर के रास्ते हो रही सप्लाई

सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले की सीमा उत्तर प्रदेश से लगी हुई है। सीमा पार उत्तर प्रदेश है। लिहाजा बलरामपुर के रास्ते पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा धड़ल्ले से डीजल की आपूर्ति उत्तर छत्तीसगढ़ में की जा रही है। बलरामपुर के रास्ते उत्तर छत्तीसगढ़ के जिलों व यहां से बिलासपुर,कोरबा व रायपुर जैसे प्रदेश के बड़े औद्योगिक क्षेत्र में इसकी आपूर्ति की जा रही है।

नियम की आड़ में हो रहा बड़ा खेल

इंडियन आयल ने गाइड लाइन बनाया है। कोयला कंपनियों के अलावा सीमेंट उद्योग व बड़े परिवहनकर्ताओं को कंज्यूमर आउटलेट दिया जाता है। इसके लिए पेट्रोलियम कंपनी और औद्योगिक समूह के बीच एग्रीमेंट होता है। एग्रीमेंट में यह बताना होता है कि कंपनी द्वारा सीधे की जा रही डीजल की आपूर्ति वे अपने लिए उपयोग करेंगे। ओपन मार्केट में इसकी सेलिंग नहीं करेंगे। ऐसा नहीं हो रहा है। आउटलेट से सीधे ओपन मार्केट में डीजल खपाया जा रहा है।

ऐसे उठा रहे फायदा

यूपी व मध्य प्रदेश के रास्ते उत्तर छत्तीसगढ़ में आ रहे डीजल को प्रदेश के अलग-अलग हिस्सो में आपूर्ति की जाती है। प्रतिदिन 60 से 65 टैंकर डीजल खपाया जा रहा है। एक टैंकर में 9 हजार लीटर डीजल होता है। एक आउटलेट संचालक को वैट के रूप में डेढ़ से पौने दो लाख का सीधे-सीधे फायदा होता है। मतलब साफ है इतने का नुकसान छत्तीसगढ़ सरकार को हो रहा है।

रिटेल और कंज्यूमर आउटलेट में ये है फर्क

रिटेल आउटलेट में बिक्री के अनुसार आपूर्ति की जाती है। कंज्यूमर आउटलेट में आन डिमांड आपूर्ति होती है। इसकी निगरानी का कोई मापदंड पेट्रोलियम कंपनियों के पास नहीं है। कंज्यूमर आउटलेट में जितनी डीजल की आपूर्ति की जा रही है वास्तव में औद्योगिक कंपनियों को उतनी जरुरत है भी या नहीं।

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