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Chhattisgarh News: लग रहा है वन भैंसों को काजू-पिस्‍ता बदाम खिला रहा है वन विभाग: 2 वन भैंसों पर 1 साल में खर्च हो गया 17 लाख

Chhattisgarh News: वन भैंसा छत्‍तीसगढ़ का राजकीय पशु है। राज्‍य बनने के बाद से इसके संरक्षण की कोशिश की जा रही है, लेकिन स्थिति यह है कि अब दूसरे राज्‍यों से यहां वनभैंसा लाना पड़ रहा है। इन वन भैंसों को पालने में राज्‍य का वन विभाग अच्‍छा खर्च कर रहा है। यहां दो वन भैंसा मिलकर एक साल में खा गए 17 लाख का खाना और छ: ने मिलकर खाया 25 लाख का खाना।

Chhattisgarh News: लग रहा है वन भैंसों को काजू-पिस्‍ता बदाम खिला रहा है वन विभाग: 2 वन भैंसों पर 1 साल में खर्च हो गया 17 लाख
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh News: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ के वन विभाग ने 2 वन भैंसों के खाने पर एक साल में 17 लाख रुपये खर्च किया है। आरटीआई के जरिये मिले दस्‍तावेजों से यह बात सामने आई है। इसे देखते हुए लोग कह रहे हैं कि खर्च देखकर ऐसा लग रहा है कि वन विभाग वनभैंसों को घास और चारा के बदले काजू-पिस्‍ता और बादाम खिला रहा है।

असम से 2020 में बारनवापारा अभ्यारण लाकर बाड़े में रखे गए एक नर और एक मादा वन भैसों पर खर्च की जानकारी बताती है कि वर्ष 22-23 में दोनों के पौष्टिक आहार, दवाई और अन्य सामग्री पर पर 17 लाख 22 हजार 896 रुपए खर्च किये गए। बाद में अप्रैल 2023 में असम से चार मादा सब-एडल्ट वन भैंसा और लाई गई, इस प्रकार संख्या छ: हो गई। इन छ: पर वर्ष 23-24 में उनके भोजन, घास, बीज रोपण, चना, खरी, पैरा कुट्टी, दलिया और रखरखाव पर 24 लाख 94 हजार 474 खर्च किए गए।

असम से लाये वन भैंसों को छत्तीसगढ़ लाने का शुरू से विरोध कर रहे रायपुर के वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) से पूछा है कि असम के वन भैसों का छत्तीसगढ़ में क्या करेंगे? इसका खुलासा जनता को करें या हर साल जनता की गाढ़ी कमाई का 25 लाख खर्चा करेंगे? सिंघवी ने आरोप लगाया कि वन विभाग की अदुर्दार्शिता का परिणाम जनता भोग रही है, इन्हें वापस असम भेज देना चाहिए।


छत्तीसगढ़ के नर वन भैंसे से नहीं हो सकता प्रजनन

असम से लाई गई मादा वन भैसों को छत्तीसगढ़ के नर वन भैंसे से क्रॉस कर कर प्रजनन कराया जाना था। परंतु छत्तीसगढ़ में शुद्ध नस्ल का सिर्फ एक ही वन भैंसा छोटू है जो कि बूढा है और उम्र के अंतिम पड़ाव पर है, उसकी उम्र लगभग 24 वर्ष है। वन भैंसों की अधिकतम उम्र 25 वर्ष होती है। बुढ़ापे के कारण छोटू से प्रजनन कराना संभव नहीं है। उसका वीर्य निकाल कर प्रजनन करना भी असंभव है। वीर्य निकालना वैसा ही आत्मघाती होगा जैसे किसी 90 वर्ष के बुजुर्ग से जबरदस्ती वीर्य निकलवाना, छोटू ऐसा करने से मर भी सकता है, जिसकी जवाबदारी प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) की रहेगी। छोटू पूरी तरह से उमदराज हो चुका है और उसे आंख से भी कम दिखता है, छोटू उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व के बाड़े में बंद है।


असम के भैंसों को बारनवापारा अभ्यारण में भी नहीं छोड़ सकते

असम से एक नर और पांच मादा वन भैंसे लाये गए हैं। अगर इन्हें बारनवापारा अभ्यारण में छोड़ दिया जाता है तो एक ही पिता से नस्ल वृद्धि होगी जिससे जीन पूल ख़राब होगी।

उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व में भी नहीं छोड़ सकते

उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व में कई क्रॉस ब्रीड भैंसे विचरण करते है। अगर असम से लाई गई मादा वन भैंसों को वहां छोड़ा जाता है तो उनसे क्रॉस ब्रीड के बच्चे होंगे और आने वाले समय में असम के वन भैसों की नस्ल शुद्धता ख़त्म हो जाएगी।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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