Chhattisgarh News: जमीन की गाइड लाइन दर पर छूट खत्म: कांग्रेस ने की चुनाव आयोग से शिकायत, उधर एमपी में सरकार ने नई दर पर लगाई रोक...
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Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने जमीन की गाइड लाइन दर में बदलाव कर दिया है। राज्य सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री पर मिल रही 30 प्रतिशत की छूट को खत्म कर दिया है। आचार संहिता के दौरान सरकार की तरफ से जारी इस आदेश पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति की है। कांग्रेस ने आज इस मामले में चुनाव आयोग से लिखित में शिकातय की है। साथ ही सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की है। उधर, मध्य प्रदेश में मोहन यादव की सरकार ने जमीन की नई गाइड लाइन दरों को फिलहाल लागू नहीं करने का फैसला किया । एमपी के पंजीयन विभाग के महानिरीक्षक पंजीयक एम सेलवेंद्र ने इस संबंध में रविवार की रात को एक आदेश किया है। आदेश में लिखा है कि लोकसभा चुनाव आचार संहिता के प्रभावी होने से साल 2023-24 की प्रभावी बाजार मूल्य गाइडलाइन की समयावधि आगामी आदेश तक बढ़ाई जाए।
इधर, छत्तीसगढ़ कांग्रेस की तरफ से चुनाव आयोग से की गई शिकायत में एमपी सरकार के इस निर्णय का भी उल्लेख किया गया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या आचार संहित के दौरान सरकार ऐसा कोई फैसला कर सकती है। इस पर जानकारों का कहना है कि चुनाव के दौरान सरकार कोई लोक लुभाव घोषणा या नीति नहीं लागू कर सकती। जमीन की गाइड लाइन दर के मामले में विष्णुदेव साय सरकार ने केवल गाइड लाइन दर में मिल रही छूट को खत्म करने का फैसला किया है। यह किसी भी तरह से आचार संहित का उल्लंघन नहीं है। इसके बावजूद चुनाव आयोग चाहे तो सरकार के इस फैसले पर रोक लगा सकता है।
सरकार के सूत्रों के अनुसार जमीन की गाइड लाइन को लेकर सरकार की तरफ से कोई आदेश जारी नहीं किया गया गया है। दरअसल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 2019 में गाइड लाइन दर में 30 फीसदी कमी करने का फैसला किया था। कांग्रेस सरकार के दौरान इसकी समय सीमा हर साल बढ़ाई गई। अंतिम बार अप्रैल 2023 में इसकी मियाद बढ़ाई गई थी जो 31 मार्च 2024 तक लागू थी। मौजूदा सरकार ने छूट को आगे बढ़ाने का कोई आदेश जारी नहीं किया है। ऐसे में छूट अपने आप खत्म हो गई है।
किसानों और सरकार को होगा फायदा
जमीन की गाइड लाइन दर में दी जा रही छूट को खत्म करने से राज्य के किसानों और सरकार को फायदा होगा। सरकार के खजाने में करीब 800 करोड़ रुपये आएंगे। वहीं, किसानों को भी जमीन की अधिक कीमत मिलेगी। गौर करने वाली बात यह है कि राज्य में पिछले 5 सालों से जमीन के सरकारी दरों में बढ़ोतरी भी नहीं की गई है।