Chhattisgarh News: धरमजयगढ़ फारेस्ट एरिया, हाथियों के लिए बन गया कब्रगाह, 3 साल में 20 की मौत
Chhattisgarh News: रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ फारेस्ट एरिया हाथियों के सुरक्षित वन क्षेत्र के बजाय कब्रगाह साबित हो रहा है। बीते तीन साल के आंकड़ों पर नजर डालें धरमजयगढ़ फारेस्ट रेंज में 20 हाथियों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा किसी भी हालत में कम नहीं है। बेहद चौंकाने वाला और गंभीर कहा जा सकता है। बिजली करंट से हो रही मौत को सहज नहीं कहा जा सकता। शिकार और तस्करी की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। यह पूरा फारेस्ट रेंज हाथियों के लिए जहां कब्रगाह बन गया है वहीं शिकारियों और तस्करों के लिए स्वर्ग से कम नहीं। हाथियों की मौत पर बात इसलिए कि बुधवार को इसी रेंज में एक चार साल के हाथी के बच्चे की तालाब में डुबने से मौत हो गई है।
Chhattisgarh News: बिलासपुर। सरगुजा से लेकर जशपुर के घने जंगलों के बीच जिस तरह वन्यप्राणियों की मौत की खबर रह-रहकर आ रही है,इससे तो इस बात की आशंका ज्यादा जोर पकड़ने लगी है कि इस पूरे सरहदी वन इलाके में शिकारी और तस्कर सक्रिय हैं। वन विभाग के अफसरों ने अपनी नाकामी छिपाने और इस तरह की गतिविधियों पर पर्दा डालने के लिए इसे मानव-हाथी द्वंद का खुबसूरत नाम दे दिया है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर द्वंद किस बात की। घने जंगलों के बीच हाथियों की हो रही मौत पर सवाल उठने लगा है। वन विभाग का आंकड़ा भी विचलित करने वाला है। हाथियों के मौत की संख्या देखकर और पढ़कर चौंकना तो स्वाभाविक है।
4 फरवरी 2022 से लेकर 20 दिसंबर 2023 तक रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ फारेस्ट एरिया में 13 हाथियों की मौत हुई है। यह वन विभाग का आंकड़ा है। धरमजयगढ़, लैलूंगा, छाल, बोरो व बाकारूमा ये ऐसे रेंज है जो हाथियों के लिए बेहद खतरनाक है। इन्हीं रेज एरिया में हाथियों की मौत हुई है। वन विभाग का आंकड़ा बताता है कि यही वह रेंज है जो हाथियों का कब्रगाह बन गया है। एक दो को छोड़ दें तो अधिकांश मौते करंट से हुई है। सबसे ज्यादा मौत धरमजयगढ़ रेंज में हुई है। 27 अक्टूबर को तमनार फारेस्ट रेंज के चुहकीमार के जंगल में करंट की चपेट में आने से तीन हाथियों की मौत हो गई थी।
तालाब में डुबने से हाथी की मौत
गुरुवार को धरमजयगढ़ रेंज में एक और घटना घट गई। छाल रेंज के हाटी गांव के पास तालाब में हाथी का बच्चा डुब गया। इससे उसकी मौत हो गई है। हाथी शावक का उम्र तकरीबन तीन से चार महीने की बताई जा रही है। घटना की सूचना के बाद वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं।