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Chhattisgarh News: छत्‍तीसगढ़ के वन अमले ने असम में कर दिया बड़ा कांड: पकड़ने गए थे एडल्ट वन भैंसा, पकड़ लाए...

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Chhattisgarh News: छत्‍तीसगढ़ के वन अमले ने असम में कर दिया बड़ा कांड: पकड़ने गए थे एडल्ट वन भैंसा, पकड़ लाए...
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By Sanjeet Kumar

Chhattisgarh News: रायपुर। छत्तीसगढ़ से वन भैंसा पकड़ने गई असम गई वन विभाग की टीम द्वारा किए गए उत्पात को लेकर रायपुर के वन्य जीव प्रेमी ने वन मंत्री से शिकायत कर जांच की मांग की है। पत्र में बताया गया है कि वर्ष 2023 में असम से वन भैंसा लाने के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षण (वन्यप्राणी) छत्तीसगढ़ ने 17 लोगों की टीम गठित की। टीम लीडर और नोडल अधिकारी, उप निदेशक उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व गरियाबंद को और वन्यप्राणी चिकित्सक जंगल सफारी और कानन पेंडारी जू को वन भैंसा पकड़ने की प्रमुख जिम्मेदारी सौंप गई। टीम को कड़े निर्देश दिए गए कि टीम के अधिकारी नियमित रूप से दैनिक प्रगति दूरभाष के माध्यम से देंगें।

वन्‍य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि टीम 10-11 मार्च को रायपुर से निकली, 1700 किलोमीटर वाहन में निरन्तर चलके 13 मार्च को मानस टाइगर रिजर्व असम पहुंची, जहां से वन भैंसे पकड़ कर लाने थे। वन्यप्राणी चिकित्सक 14 मार्च को भोर सुबह 3:00 बजे उठ गए, बेहोश करने वाली बंदूके तैयार की।

14 मार्च 2023 की सुबह 6:18 बजे एक सब एडल्ट मादा वन भैंसा उम्र 2.5 वर्ष पकड़ा।

14 मार्च 2023 को ही सुबह 10:15 बजे दूसरा सब एडल्ट मादा वन भैंसा उम्र 2.5 वर्ष पकड़ा।

15 मार्च 2023 को एक सब एडल्ट मादा वन भैंसा उम्र 2.5 वर्ष पकड़ा।

17 मार्च 2023 को एक सब एडल्ट मादा वन भैंसा उम्र 1.5 वर्ष पकड़ा।

होश आया अधिकारियों को

चर्चा अनुसार प्रधान मुख्य वन रक्षक (वन्यप्राणी) छत्तीसगढ़ दिन में पांच से दस बार वन भैंसा पकड़ने की प्रगति की जानकारी लेते रहे। वन भैसों को पकड़ने के बाद प्रधान मुख्य वन रक्षक (वन्यप्राणी) छत्तीसगढ़ को होश आया कि भारत सरकार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और असम विभाग ने 2020 ने तो मादा (एडल्ट) वन भैंसा पकड़ने की अनुमति दी थी और उन्होंने बिना आदेश के सब एडल्ट मादा वन भैंसे पकडवा दिए। इसके बाद रायपुर से उच्च स्तर से मैनेजमेंट चालू हुआ और 14 मार्च 2023 की तारीख में मुख्य वन्य जीव संरक्षक असम से चार सब एडल्ट मादा वन भैंसे को पकड़ने का आदेश जारी कराया गया। परन्तु मुख्य वन्य जीव संरक्षक असम के कार्यालय के बाबू की चूक से छत्तीसगढ़ वन विभाग का उत्पात उजागर हो गया।

क्या कहना है असम के मुख्य वन्यजीव संरक्षक का

मुख्य वन्यजीव संरक्षक असम ने बताया कि वन भैंसा पकड़ने के आदेश की तारीख 14 मार्च तो है परन्तु आदेश में सील लगी है जो बताती है कि 14 मार्च का आदेश 20 मार्च को जारी (इशू) किया गया। आदेश 20 मार्च को ही ईमेल किया गया। मुख्य वन्यजीव संरक्षक असम ने आदेश को ना तो प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) छत्तीसगढ़ को ना ही फील्ड डायरेक्टर मानस टाइगर रिजर्व को व्हाट्सएप पर भेजा ना ही किसी व्हाट्सएप ग्रुप में डाला।

क्या कहना है प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) छत्तीसगढ़ का

प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) छत्तीसगढ़ और फील्ड डायरेक्टर मानस टाइगर रिजर्व ने बताया कि आदेश उन्हें 20 मार्च को ईमेल से मिला और व्हाट्सहैप पर कोई आदेश नहीं मिला।

मोबाइल अपडेट होने से नहीं बता सकते कब मिला आदेश

इससे परे हट कर नोडल अधिकारी उप निदेशक उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व ने बताया कि वन भैंसा पकड़ने के आदेश जारी करने की मौखिक सूचना उन्हें 14 मार्च को मिली, इसके कुछ दिनों पश्चात व्हाट्सएप पर आदेश मिला। व्हाट्सएप पर आदेश कब प्राप्त हुआ, यह वह इसलिए नहीं बता सकते कि उनका मोबाइल अपडेट होने के कारण से जानकारी उपलब्ध नहीं है। नोडल अधिकारी के पास वन भैंसा पकड़ने का कोई भी आदेश नहीं है।

किसने बताया 3 बजे सुबह कि आदेश जारी हो गया? क्या रात को ऑफिस खुलवाया गयाॽ

वन मंत्री को लिखे पत्र में सवाल उठाये गए है कि 14 मार्च को ही सुबह 6:18 पर एक वन भैंसा पकड़ा, सुबह 10:15 पर दूसरा वन भैंसा पकड़ा, तो क्या 13 मार्च की तारीख की रात या 14 मार्च की भोर सुबह तीन बजे को मुख्य वन्यजीव संरक्षक असम का कार्यालय खुलवाकर आदेश जारी करवाया गया? जब कि वहा भी सुबह 10 बजे ऑफिस खुलते है। नोडल अधिकारी को 14 मार्च की भोर सुबह तीन बजे कैसे मौखिक सूचना प्राप्त हुई कि 14 मार्च को आदेश जारी हो चूका है जिससे सुबह 6:18 बजे उन्होंने उन्होंने पहला वन भैंसा पकड़ लिया? जब मुख्य वन जीव संरक्षण असम ने व्हाट्सएप भेजा ही नहीं तो नोडल अधिकारी को कैसे मिल गयाॽ

वन मंत्री को पत्र लिखा

आजीवन कैद किये गए असम के वन भैसों को वन में छोड़ने और वापस असम भिजवाने के लिए संघर्षरत वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने पत्र में आरोप लगाया गया है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) छत्तीसगढ़ के संरक्षण तहत 4 सब एडल्ट वन भैंसों को असम के मुख्य वन्य जीव संरक्षक के आदेश के बिना पकड़ा और बाद में आदेश जारी कराया गया। वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 51 प्रावधानित करती है कि कोई भी कृत्य जो वन जीव (संरक्षण) अधिनियम के विरुद्ध किया गया है अपराध है और अवैध तरीके से वन्यजीव पकड़ना शिकार करने बराबर भी अपराध है। वन मंत्री को उन्होंने दस्तावेज प्रस्तुत किये है और मांग की है कि असम सरकार को शिकायत की जांच उपरांत दोषी अधिकारियों के विरोध कार्यवाही करने के अनुशंसा करे।





Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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