Chhattisgarh Legislative Assembly: विधानसभा का बजट सत्र: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित
Chhattisgarh Legislative Assembly: विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन की सदन में दिवंगतों को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यवाही शुरू होते ही स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने निधन का उल्लेख किया।
Chhattisgarh Legislative Assembly: रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा ने आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि दी। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन का उल्लेख किया। इस दौरान डॉ. रमन ने पूर्व पीएम के साथ काम करने का अपना अनुभव साझा किया। सदन में डॉ. मनमोहन सिंह के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि मेरा उनके साथ 10 साल तक काम करने का अनुभव है। जब मैं छत्तीसगढ़ का सीएम था तब डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। डॉ. रमन ने बताया कि जब भी छत्तीसगढ़ की योजनाओं को लेकर हम दिल्ली में डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात करते थे तो वे बहुत की विनम्रता और सहजता से सुनते थे। अधिकारियों को निर्देशित भी करते थे। इतना ही नहीं जब भी कोई केंद्रीय मंत्री छत्तीसगढ़ आता था तो डॉ. मनमोहन सिंह उनसे कहते थे कि छत्तीसगढ़ के विकास में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि देते हुए उनके विनम्र स्वभाव और कार्तव्यप्रयणता का उल्लेख किया। इस दौरान उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह के व्हील चेयर पर बैठकर मतदान करने आने का जिक्र किया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि देते हुए डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यों का उल्लेख किया। बताया कि मैं उनके साथ राज्यमंत्री के रुप में काम किया हूं।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह ने देश के विभाजन का दंश झेला और विपरित परिस्थितियों में अपने जीवन की शुरुआत की। प्रोफेसर, गर्वनर और वित्त मंत्री के रुप में उनका कार्यकाल रहा। जब 1991 से 96 तक वे वित्त मंत्री बने तो उदारीकरण की शुरुआत की। प्रधानमंत्री के रुप में उन्होंने 10 साल तक देश की सेवा की। किसानों के समर्थन मूल्य बढ़ाया। मनरेगा की शुरुआत की। कोरोनाकाल में भी यही मनरोगा गरीबों के आर्थिक स्वलंबन का आधार बना। उनकी आवाज धीमी थी, लेकिन आवाज में ताकत थी।