CG Paddy Custom Milling Scame: राईस माफियाओं के 80 रुपए कमीशन पर सरकार ले सकती है बड़ा फैसला, 1640 करोड़ अब राईस मिलरों की जेब में नहीं
CG Paddy Custom Milling Scame: छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार करप्शन पर बड़ी कार्रवाई करते हुए राईस माफियाओं के 80 रुपए कमीशन के खेल पर अंकुश लगाने जा रही है। इससे फायदा यह होगा कि 2023-24 की धान खरीदी का 1640 करोड़ अब राईस मिलरों की जेब में नहीं जाएगा। राईस मिलरों को प्रति क्विंटल 80 रुपए देकर 40 रुपए लौटाने वाला आरगेनाइज खेल पिछली सरकार में हुआ था।
CG Paddy Custom Milling Scame: रायपुर। शराब में एफएल-10 समाप्त कर लायसेंसी सिस्टम समाप्त करने का फैसला लेने वाली छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार अब सबसे बड़े कस्टम मीलिंग स्कैम में राईस माफियाओं को बड़ा झटका देने जा रही है। करोड़ों के इस घोटाले की पर्वतन निदेशालय याने ईडी जांच कर रही है। ईडी अभी तक इस केस में मार्केटिंग फेडरेशन के एमडी और स्पेशल सिकरेट्री फूड मनोज सोनी और राईस मिलर संघ के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
ये है मामला
आर्थिक मामलों की देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ईडी ने ईओडब्लू में इस केस को दर्ज करने के लिए जो प्रतिवेदन भेजा था, उसमें इस बात का उल्लेख है कि राईस मिलरों को फायदा पहुंचाने के लिए प्रोत्साहन राशि को 40 रुपए से बढ़ाकर 120 रुपए किया गया। उसमें राईस माफियाओं से सौदा यह हुआ था कि चावल की मीलिंग में प्रोत्साहन राशि में 80 रुपए की वृद्धि की जाएगी, पेमेंट मिलने पर राईस मिलर उसमें से 40 रुपए कैश में लौटा देंगे। सौदा यह भी हुआ था कि 120 मीलिंग चार्ज में से पहली किस्त में 60 रुपए दिया जाएगा और फिर बचा 60 रुपए दूसरी किस्त में। 2023-24 में छत्तीसगढ़ में 107 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। इसके मीलिंग प्रोत्साहन राशि के तौर पर सरकार ने पहली किस्त के तौर पर 500 करोड़ मिलरों को दिया। इसमें से 175 करोड़ की वसूली की गई। ऐसा ईडी ने ईओडब्लू को सौंपे अपने प्रतिवेदन में कहा है।
पूरा माल मिलरों की जेब में
ईडी ने प्रतिवेदन में पहले किस्त के भुगतान का उल्लेख किया है। ईडी ने इसके लिए उच्च लेवल के लोगों शब्द का इस्तेमाल किया है, जिनके पास मार्कफेड के एमडी मनोज सोनी और राईस मिल एसोसियेशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर वसूली करके पहुंचाते थे। मगर पहली किस्त जारी होने के बाद सरकार बदल गई। अब मनोज सोनी और रोशन चंद्राकर को ईडी गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। बहरहाल, नई सरकार ने दूसरी किश्त के तौर पर 40 प्रति क्विंटल वाली राशि जारी की है, उसमें उच्च लेवल के लोगों का 20 रुपए कमीशन भी राईस मिलरों की जेब में चला गया होगा। क्योंकि, यही सरकार कस्टम मीलिंग की जांच करा रही। सो, इस समय बिचौलियों का सवाल ही पैदा नहीं होता। ऐसे में, दूसरी किस्त का करीब 214 करोड़ रुपए बनता है 20 रुपए के हिसाब से। यह राशि राईस मिलरों की जेब में गया होगा।
राईस मिलरों की जेब में 1640 करोड़
ईडी के प्रतिवेदन के अनुसार प्रोत्साहन राशि तीगुना बढ़ाने वाली सरकार के नहीं रहने से छत्तीसगढ़ के राईस मिलरों की किस्मत खुल गई है। पिछले साल की दूसरी किस्त का उपर जाने वाला पैसा जेब में गया ही अब इस साल याने 2023-24 में 124 लाख मीट्रिक धान हुआ है। इसका प्रोत्साहन राशि बढ़ोतरी के 80 रुपए में से 40 रुपए उपर जाता, वह अब सीधे राईस मिलरों की जेब में जाएगा। 40 रुपए मिलिंग प्रोत्साहन राशि के तौर पर यह करीब 1640 करोड़ बैठता है। वैसे, राईस मिलर तो पहले से ही फायदे में थे। पहले उन्हें 10 रुपए मीलिंग चार्ज और 30 रुपए प्रोत्साहन राशि मिलाकर 40 रुपए प्रति क्विंटल मिलते थे। पिछली सरकार ने एकदम से तीगुना बढ़ाकर 120 रुपए कर दिया। इसमें जांच एजेंसियों का जैसा कि आरोप है 80 रुपए में से 40-40 रुपए की हिस्सेदारी बंटनी थी राईस मिलरों और उच्च स्तर के लोगों में। इसमें राईस मिलरों के खाते में आता 120 रुपए के हिसाब से। बाकी 40 रुपए उन्हें कैश में लौटाना था। लिहाजा राईस मिलरों की प्रोत्साहन राशि 80 रुपए मिल रही थी। मगर सरकार बदलने के बाद तो अब पूरा ही मिलरों की जेब में जा रहा...120 रुपए।
सरकार अब ये करेगी
सूत्रों के अनुसार कस्टम मीलिंग के खेल पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जल्द ही बड़ा फैसला करने वाले हैं। पता चला है, पिछली सरकार ने 40 रुपए मीलिंग चार्ज को तीगुना बढ़ाते हुए 120 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया था, उसे अब कम किया जाएगा। याने 80 रुपए की वृद्धि हुई थी, उसमें से बड़ा हिस्सा कम हो जाएगा। इसके लिए दूसरे राज्यों के रेट का अध्ययन किया जा रहा है। जानकारों का मानना है, छत्तीसगढ़ में चावल का वौल्यूम काफी ज्यादा है, इसलिए दूसरे राज्यों से यहां मीलिंग चार्ज कम ही होना चाहिए। राईस मिलरों और बड़े लोगों की युगलबंदी से राज्य के खजाने को जो नुकसान हो रहा था, वह पैसा अब बचेगा। अफसरों की मानें मीलिंग चार्ज अगर 70 रुपए भी किया जाएगा तो भी सरकार का सात सौ-से-आठ सौ करोड़ बचेगा।