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CG पुलिस की चेतावनी : गृह विभाग के अवर सचिव के नाम फर्जी चिट्ठी वायरल होने के बाद पुलिस सख्त, दोषी भेजे जाएंगे जेल

CG पुलिस की चेतावनी : गृह विभाग के अवर सचिव के नाम फर्जी चिट्ठी वायरल होने के बाद पुलिस सख्त, दोषी भेजे जाएंगे जेल
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By NPG News

रायपुर. छत्तीसगढ़ के गृह विभाग के अवर सचिव के नाम पर ब्राह्मणों के खिलाफ देशद्रोह की कार्रवाई करने जैसी फर्जी चिट्ठी वायरल करने का मामला सामने आने के बाद अब पुलिस ने सख्ती के संकेत दिए हैं. रायपुर एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने लोगों से ऐसी फर्जी चिटिठयों को सोशल मीडिया में वायरल करने से बचने का आग्रह किया है. साथ ही, फर्जी चिट्ठी तैयार करने और उसे सोशल मीडिया में पोस्ट करने वालों को जेल भेजने की चेतावनी भी दी है.

दरअसल, गृह विभाग के अवर सचिव मनोज श्रीवास्तव के नाम से एक चिठ्ठी सोशल मीडिया में वायरल होने लगी, जिसमें कश्मीरी पंडितों की तरह पलायन करने वाले कान्यकुब्ज, सरयूपारिण और पुजारी ब्राह्माण जो छत्तीसगढ़ के पुरातात्विक मंदिरों में अनाधिकृत कब्जा कर छत्तीसगढ़ में हिंदू राष्ट्र बनाने, अंध विश्वास फैलाने पर देहद्रोह के तहत केस दर्ज करने उल्लेख था. यह हुबहू सरकारी चिट्ठी की तरह था, जिसमें आवक-जावक नंबर और सील भी लगा था. बड़ी संख्या में लोगों ने इसकी सत्यता को परखे बिना सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया. सरकार की जानकारी में आने पर अवर सचिव श्रीवास्तव ने राखी थाने में रिपोर्ट लिखाई है.

इधर, रायपुर एसएसपी प्रशांत अग्रवाल ने ऐसे लोगों को चेतावनी दी है कि कूटरचित दस्तावेज के जरिये राज्य शासन की छवि खराब करने की कोशिश करने वालों को जेल जाना पड़ेगा. उन्होंने लोगों से सोशल मीडिया में सतर्कता बरतने की अपील की है.

धारा 419 और 469 के तहत अपराध

कूटरचित दस्तावेज तैयार करना और सोशल मीडिया में शेयर करना आईपीसी की धारा 419 और 469 के तहत आता है. धारा 419 में प्रतिरूपण द्वारा छल के लिए दंड का प्रावधान है. इस धारा के अनुसार जो कोई प्रतिरूपण द्वारा छल करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दंडित किया जाएगा.

इसी तरह से धारा 469 के अनुसार, जो कोई कूटरचना इस आशय से करेगा कि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख जिसकी कूटरचना की जाती है, किसी पक्षकार की ख्याति की अपहानि करेगी, या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि इस प्रयोजन से उसका उपयोग किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा.

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