CG Liquor: छत्तीसगढ़ में शराब की लिमिट की गई फ्री? पांच बोतल से अधिक भी खरीद सकते हैं, गांवों में ब्लेंडर प्राइड की डिमांड सबसे अधिक
CG Liquor: छत्तीसगढ़ में शराब की लिमिट फ्री कर दी गई है। मगर कुछ दिनों के लिए ही। दरअसल, पंचायत चुनाव के लिए पड़ोसी राज्यों से शराब की अवैध तस्करी को देखते शराब दुकानों को यह अघोषित निर्देश दिया गया है। अघोषित मतलब आबकारी विभाग ने कोई अधिकारिक आदेश नहीं निकाला है। मगर पिछले एक हफ्ते से कार्रवाई भी नहीं हो रही। दरअसल, लिमिट के चलते खामोख्वाह मध्यप्रदेश, ओड़िसा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों को राजस्व का फायदा हो रहा था और छत्तीसगढ़ को नुकसान। जाहिर है, चुनाव में शराब भारत की कोई भी राजनीतिक पार्टी शराब को रोक नहीं सकती। ये ऐसा विषय है कि जिस पर पक्ष-विपक्ष दोनों सहमत होगी क्योंकि बांटना दोनों को ही पड़ता है।

CG Liquor: रायपुर। छत्तीसगढ़ में शराब खरीदने की एक लिमिट निर्धारित है। याने अंग्रेजी शराब पांच बोतल याने पांच लीटर से ज्यादा नहीं खरीद सकते तो देशी में 15 पौव्वा। हालांकि, पहले ये 27 पौव्वा था मगर वर्तमान सरकार ने इसे कम किया है।
छत्तीसगढ़ में पंचायत चुनाव चल रहा है। आखिरी तीसरे चरण के लिए आज वोटिंग हो रही है। चुनाव में शराब की खपत बढ़ जाती है। गांवों में शराब की चलन और ज्यादा है। चुनाव के चलते गांवों की रातें बकरा और दारु से गुलजार हो रही हैं।
छत्तीसगढ़ में लिमिट का चक्कर के चलते बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश, ओड़िसा, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से शराब की तस्करी हो रही थी। इससे पड़ोसी राज्यों को शराब से मिलने वाले राजस्व में भारी इजाफा हो गया था।
बॉडर पर शराब पकड़ा भी रही थी। चुनाव के समय अगर ज्यादा कार्रवाई कर दे तो वो भी ठीक नहीं। सो, शराब दुकानों से लिमिट को अघोषित तौर पर हटा दिया गया है। हालांकि, इसका कोई आदेश जारी नहीं हुआ है मगर सभी जगह मैसेज है कि पुलिस या आबकारी विभाग चुनाव तक नहीं पकड़ेगा आप चाहे जितने भी बोतल खरीद लो। हालांकि, आज आखिरी वोटिंग है तो एक-दो दिनों बाद फिर लिमिट से अधिक खरीदने पर कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
राजस्व बढ़ा
इस संदेश के फैलते ही कि लिमिट से अधिक पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, शराब दुकानों की बिक्री का ग्राफ एकाएक हाई हो गया है। जानकारों का दावा है कि फरवरी महीने में शराब से रिकार्ड राजस्व प्राप्त होगा। क्योंक, चुनाव में बांटने के लिए प्रत्याशियों द्वारा कैरेट-के-कैरेट शराब खरीद जा रही।
अंग्रेजी ज्यादा
गांवों में अब देशी शराब की चलन कम हो रहा है। वहां के लोग भी अब अंग्रेजी को अहमियत दे रहे हैं। यही वजह है कि इस पंचायत चुनाव में देशी से अधिक अंग्रेजी की खपत हो रही है। अंग्रेजी में ब्लेंडर प्राइड की डिमांड सबसे अधिक है।
आबकारी विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं। ग्रामीण इलाकों की शराब दुकानों से ब्लेंडर प्राइड गायब है। सरपंच, जनपद और जिला पंचायत के प्रत्याशी शहरों से अंग्रेजी शराब मंगवा रहे हैं।