CG Collector News: छत्तीसगढ़ के ऐसे कलेक्टरः आदिवासी जमीन के मामले में देखिए दोहरा रुप, अपनी गलती छिपाने के लिए...
CG Collector News: छत्तीसगढ़ के एक कलेक्टर ने पहले तो आदिवासी जमीन की अनुमति देने के आवेदन को खारिज कर दिया और जमीन बिकने पर जब बवाल मचना शुरू हुआ तो रजिस्ट्री अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने कमिश्नर को पत्र लिख डाला। खबर में आवेदन खारिज का आदेश और कार्रवाई करने कमिश्नर को लिखा पत्र, दोनों लगा है, इससे आप समझ जाएंगे कि माजरा क्या है।
CG Collector News: रायपुर। आदिवसी की जमीन गैर आदिवासी को बेचने के एक मामले कलेक्टर के रुख चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले में उप पंजीयक के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई से यह मामला सुर्खियों में आ गया है। छत्तीसगढ़ पंजीयन एवं मुद्रांक संघ निलंबन की कार्रवाई को गलत ठहराते हुए सवाल खड़ा कर रहा है कि क्या प्रदेश के सभी कलेक्टरों को अब निलंबित किया जाएगा।
मामला सक्ती जिला का है। सक्ती के ग्राम कंचनपुर की रहने वाली आदिवासी महिला जानकी बाई ने अपनी जमीन बेचने की अनुमति के लिए कलेक्टर के पास आवेदन किया था। आवेदन में पैसे की आवश्यकता की पूर्ति के लिए जमीन बेचने की अनुमति मांगी थी। जानकी बाई ने बताया कि कोई आदिवासी वह जमीन खरीदने को तैयार नहीं है, इसलिए गैर आदिवासी को बेचने की अनुमति दी जाए।
जानकी बाई के इस आवेदन पर 22 जुलाई 2024 को आर्डर जारी किया। कलेक्टर ने अपने इस आर्डर में लिखा है कि चूंकि जमीन ड्रायवर्टेड है, इस वजह से अनुमति की आवश्यकता नहीं है। कलेक्टर के इस आर्डर के आधार पर जानकी बाई ने अपनी जमीन 25 जुलाई को मुस्कान बंसल को बेच दी।
इस वजह से चर्चा में आया यह मामला
आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को बेचे जाने का विरोध करते हुए गोंडवाना गणतंत्र ने मोर्चा खोल दिया। इससे यह मामला सुर्खियों में आ गया और इसकी शिकायत उच्च स्तर तक पहुंच गई। मामले की गंभीरता को भांपते हुए कलेक्टर सक्ती ने जमीन की खरीदी- बिक्री का पूरा ठिकरा उप पंजीयक प्रतीक खेमुका पर फोड़ते 8 नवंबर 2024 को महानिरीक्षक पंजीयक को पत्र लिखकर उप पंजीयक के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा कर दी। इसके बाद 13 दिसंबर 2024 को बिलासपुर संभाग आयुक्त को पत्र लिखकर उप पंजीयन को निलंबित करने की अनुशंसा कर दी। कलेक्टर के इस पत्र के आधार पर संभाग आयुक्त ने निलंबन आदेश जारी कर दिया।
अब पंजीयन एवं मुद्रांक संघ ने इस आदेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संघ का कहना है कि उप पंजीयक ने कलेक्टर के आदेश के आधार पर रजिस्ट्री किया। पूरे राज्य में डायवर्टेड जमीन का कलेक्टर की अनुमति के बिना ही रजिस्ट्री होता है और ऐसा करने के लिए स्वयं कलेक्टर ही आदेश पारित करते हैं। ऐसे कई आवेदन डायवर्टेड आदिवासी भूमि की बिक्री के अनुमति के लिए लगते हैं। ऐसे आवेदनों पर कलेक्टर ही लिख कर देते हैं कि इसमें अनुमति की आवश्यकता नहीं है। संघ की तरफ से सवाल किया जा रहा है तो क्या सरकार इन सभी कलेक्टर को भी सस्पेंड करेगी।