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CG बी- फॉर्म: हर चुनाव के दौरान आप यह शब्‍द सुनते होगें, जानिए... ये बी- फॉर्म होता क्‍या है, चुनाव में और कौन-कौन से फार्म भरे जाते हैं

CG आप अक्‍सर बी- फॉर्म का नाम सुनते होंगे। कई बार आपके मन में सवाल भी उठता होगा कि आखिर यह बी- फॉर्म होता क्‍या है।

CG बी- फॉर्म: हर चुनाव के दौरान आप यह शब्‍द सुनते होगें, जानिए... ये बी- फॉर्म होता क्‍या है, चुनाव में और कौन-कौन से फार्म भरे जाते हैं
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By Sanjeet Kumar

एनपीजी न्‍यूज डेस्‍क

देश में संसद से लेकर पंचायत तक कई चुनाव होते हैं। इन चुनावों के दौरान आप अक्‍सर बी- फॉर्म का नाम सुनते होंगे। कई बार आपके मन में सवाल भी उठता होगा कि आखिर यह बी- फॉर्म होता क्‍या है। दरअसल, बी-फॉर्म इस बात का सबूत देता है कि उम्मीदवार किसी राजनीतिक दल द्वारा खड़ा किया गया है या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहा है। यह सुनिश्चित करता है कि उम्मीदवार को पार्टी का आरक्षित प्रतीक आवंटित किया जाए। पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे किसी भी नागरिक के लिए यह संभवतः सबसे महत्वपूर्ण फॉर्म है। लेकिन बी-फॉर्म या फॉर्म-बी क्या है? यह जानने से पहले हम आपकों लड़ने की पूरी प्रक्रिया बताते हैं।

समझिए फॉर्म- बी कितना महत्‍वपूर्ण है

चुनावी चर्चाओं के दौरान आपने सुना होगा कि फला का नाम घोषित हो गया, लेकिन अभी तक उसका बी- फॉर्म नहीं आया है। फॉर्म बी से जुड़ा अविभाजित मध्‍य प्रदेश के दौर का एक किस्‍सा आपको बताते हैं। यह बात 1998 के विधानसभा चुनाव की है। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और दिग्विजय सिंह मुख्‍यमंत्री थे। कांग्रेस ने बिलासपुर से पहले अनिल टाह को प्रत्‍याशी घोषित किया था। उनके नाम का फॉर्म बी जारी हो गया था, लेकिन नामांकन के ठीक पहले पार्टी ने प्रत्‍याशी बदल दिया। पार्टी ने किशन कुमार यादव (राजू यादव) को प्रत्‍याशी बना दिया गया। नामांकन जमा करने की समय सीमा खत्‍म हो रही थी, ऐसे में विशेष विमान से किशन यादव के नाम का बी फॉर्म बिलासपुर पहुंचाया गया।

चुनाव लड़ने के लिए योग्यता

अन्य योग्यता मानदंडों के अलावा संबंधित चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु निर्धारित की गई है। विभिन्न चुनावों के लिए आयु मानदंड निम्नलिखित हैं

लोकसभा (लोगों का सदन) - 25 वर्ष

विधान सभा (विधान सभा) – 25 वर्ष

राज्य सभा (राज्यों की परिषद) - 30 वर्ष

विधान परिषद (विधान परिषद)- 30 वर्ष

स्थानीय निकायों के चुनावों में अलग-अलग आयु मानदंड हो सकते हैं क्योंकि ये प्रासंगिक राज्य कानूनों द्वारा शासित होते हैं। चुनाव लड़ने के लिए योग्यता और अयोग्यता भारत के संविधान के अनुच्छेद 84, 102, 173 और 191 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 3 से 10 ए में दी गई है।

नामांकन दाखिल करना

एक बार चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की अधिसूचना जारी हो जाने के बाद, इच्छुक उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करते हैं। अलग-अलग चुनावों के लिए नामांकन पत्र का प्रारूप अलग-अलग होता है।

हर चुनाव के लिए अलग-अलग नंबर का फार्म

देश में होने वाले अलग-अलग चुनावों में प्रत्‍याशी को नामांकन फार्म भरना पड़ा है। हर चुनाव के लिए अलग-अलग नामांकन फार्म भरना पड़ता है। लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए फॉर्म 2ए में नामांकन पत्र। विधान सभा (विधान सभा) का चुनाव लड़ने के लिए फॉर्म 2 बी में नामांकन पत्र । राज्यसभा का चुनाव लड़ने के लिए फॉर्म 2सी में नामांकन पत्र। इसी प्रकार विधान परिषद चुनाव लड़ने के लिए अन्य फॉर्म भी हैं और सिक्किम में कुछ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए कुछ विशेष फॉर्म भी हैं।

नामांकन प्रपत्र के साथ एक शपथ पत्र दाखिल करना

प्रासंगिक नामांकन फॉर्म के साथ, फॉर्म 26 में निम्नलिखित विवरणों के साथ एक हलफनामा प्रस्तुत करना होता है।

आपराधिक पृष्ठभूमि, यदि कोई हो, (सजा के मामले और सभी लंबित मामले), पैन का विवरण और स्वयं, पति/पत्नी और आश्रितों के आयकर रिटर्न दाखिल करने की स्थिति, संपत्तियों (चल-अचल आदि) का विवरण, उनके वर्तमान मूल्य सहित, उम्मीदवार, पति/पत्नी और सभी आश्रितों की सरकारी और सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों के प्रति देनदारियों/बकाया का विवरण। उम्मीदवार और पति या पत्नी के पेशे या व्यवसाय का विवरण। उम्मीदवार की उच्चतम शैक्षणिक योग्यता। उम्मीदवारों को इस फॉर्म में सभी कॉलम भरने होंगे और कोई भी कॉलम खाली नहीं छोड़ा जा सकता है। यदि किसी आइटम के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो उन कॉलमों में 'शून्य' या 'लागू नहीं' या 'ज्ञात नहीं' जैसी टिप्पणियां दर्शाई जानी चाहिए। यदि कोई उम्मीदवार रिक्त स्थान भरने में विफल रहता है, तो नामांकन पत्र की जांच के समय रिटर्निंग अधिकारी द्वारा नामांकन पत्र खारिज कर दिया जा सकता है।

आयोग के नए नियमों के अनुसार अपराधिक पृष्‍ठभूमि वाले उम्‍मीदवरों को दैनिक समाचार पत्रों और न्‍यूज चैनलों में विज्ञापन के माध्‍यम सार्वजनिक सूचना देना जरुरी है।

तो फिर बी-फॉर्म क्या है?

प्रासंगिक नामांकन फॉर्म में, उम्मीदवार यह दर्शाते हैं कि क्या वे किसी राजनीतिक दल द्वारा खड़े किए गए हैं या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं। वे उम्मीदवार, जो इंगित करते हैं कि उन्हें एक राजनीतिक दल द्वारा खड़ा किया गया है, उन्हें यह साबित करने के लिए उपरोक्त फॉर्म के अलावा दो अन्य फॉर्म जमा करने की आवश्यकता होती है, ताकि यह साबित हो सके कि वे वास्तव में एक राजनीतिक दल द्वारा खड़े किए गए हैं।

फॉर्म ए : यह फॉर्म उन अधिकृत व्यक्तियों की सूची को इंगित करता है जो राजनीतिक दलों द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवारों के नामों की जानकारी दे सकते हैं। इस फॉर्म पर राजनीतिक दल के अध्यक्ष या सचिव को पार्टी की मुहर के साथ हस्ताक्षर करना होगा। इस फॉर्म में अधिकृत व्यक्तियों के हस्ताक्षर के नमूने भी हैं।

फॉर्म बी : फॉर्म बी या जिसे आमतौर पर बी-फॉर्म के रूप में जाना जाता है, उस पर पार्टी के अधिकृत व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किया जाता है, जिसमें उस राजनीतिक दल द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार का नाम दर्शाया जाता है। भरे हुए फॉर्म को एक विशिष्ट प्रारूप में उपलब्ध कराना होगा। फॉर्म में अनुमोदित उम्मीदवार का नामांकन खारिज होने की स्थिति में एक विकल्प का नाम देने का भी प्रावधान है।

एक उम्मीदवार को स्वतंत्र माना जाएगा और उसे पार्टी का आरक्षित प्रतीक आवंटित नहीं किया जाएगा जब तक कि उसका नाम बी-फॉर्म में इंगित न किया गया हो। इसलिए बी-फॉर्म को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है और यह अक्सर विद्रोहियों आदि से बचने के लिए अंतिम समय पर दिया जाता है।

देखें ऐसा होता है फॅार्म- बी


यह भी पढ़ें- घर बैठे मतदान: विधानसभा चुनाव में इन लोगों को घर से मतदान करने की मिल सकती है सुविधा, जाने क्‍या है प्रक्रिया

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा (Chhattisgarh Assembly Election 2023) के चुनाव में आयोग की तरफ से कुछ लोगों को घर बैठे मतदान करने की सुविधा दी जाएगी। राज्‍य के दौरे पर आए मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त राजीव कुमार ने आज यहां प्रेसवर्ता में यह जानकारी दी। मुख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त राजीव कुमार ने बताया कि ऐसे मतदाता जिनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक है, वे अपने घर से ही मतदान कर सकते हैं। बुजुर्गों के साथ ही यह सुविधा 40 प्रतिशत से अधिक द्विव्‍यांगता वाले वोटरों को भी मिलेगी।

जाने क्‍या है घर बैठे मतदान करने की प्रक्रिया घर बैठे मतदान की पत्रता रखने वाले वोटरों यानी 80 से अधिक उम्र के बुजुर्ग और 40 प्रतिशत से अधिक द्विव्‍यांगता वाले वोटरों को इस सुविधा का लाभ लेने के लिए नामांकन खत्‍म होने के पांच दिन के भीतर एक फार्म भरना होगा। यह फार्म का नाम 12 डी है। सही ढंग से भरने के बाद, मतदान की अधिसूचना के पांच दिनों के भीतर बीएलओ के पास जमा करना होगा।

ख्‍य निर्वाचन आयुक्‍त राजीव कुमार ने यहां आयोजित प्रेसवार्ता बताया कि शराब कैश आदि रोकने के लिए हमें आम नागरिकों की सूचना चाहिए। सीविजिल एप के जरिये नागरिक कहीं भी हो रही किसी भी गड़बड़ी की सूचना दे सकते हैं। इसके अलावा कोई जानकारी नहीं देने की जरुरत नहीं है। सूचना देने के 100 मिनट के अंदर आयोग की टीम वहां पहुंचकर जांच करेगी। इसके लिए पहचन बताने की जरुरत नहीं है। इस खबर को विस्‍तार से पढ़ने के लिए यहां क्‍लीक करें

यह भी पढ़ें- बड़े जिलों के कलेक्टर-SP रहे निर्वाचन आयोग के टारगेट में, दिन भर हुई खिंचाई...हटाने की चेतावनी भी

रायपुर। निर्वाचन आयोग के फुल बोर्ड ने आज सूबे के कलेक्टर, एसपी की बैठक ली। इसमें खास तौर से बड़े जिलों के कलेक्टर, एसपी टारगेट पर रहे। पूरे दिन उनकी खिंचाई होती रही। बार बार दो टूक चेतावनी भी...नहीं करोगे तो हटा दिए जाओगे। अलबत्ता, कांकेर की कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला और सारंगढ़ कलेक्टर फारिया आलम सिद्दकी दो ऐसे कलेक्टर रहीं, जिन्हें आयोग से शबासी मिली। दोनों ने अंग्रेजी में अपना प्रेजेंटेशन दिया...आयोग ने कहा, गुड।नया रायपुर के मेफेयर होटल में हुई इस बैठक को आधा दर्जन बड़े जिलों के कलेक्टर, एसपी कभी भूला नहीं पाएंगे। निर्वाचन आयोग ने उन्हें सीधे इनकंपिटेंट तो नहीं कहा, मगर बहुत कुछ कह दिया। छोटे जिलों के कलेक्टर, एसपी किस्मती रहे या आयोग ने उन्हें अहमियत नहीं दी। आयोग का पूरा फोकस बड़े जिलों के कलेक्टर, एसपी पर था। बड़ी बारीकी से चीजों को पकड़ी जा रही थी। एक जिले के एसपी से आयोग ने पूछ दिया, देशी शराब आप ज्यादा पकड़ रहे, अंग्रेजी क्यों नहीं। एक बार्डर जिले के एसपी ने मध्य प्रदेश से शराब तस्करी की बात कही तो आयोग ने खिंचाई कर दी, आप क्या कर रहे हो। एसपी ने कहा, हमारा बार्डर महाराष्ट्र पड़ता है, मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र होते शराब आ रही। आयोग ने इस पर एसपी की जमकर क्लास ले ली। आयोग का कहना था कि कर्नाटक में चुनाव के दौरान अफसरों ने लगातार कार्रवाई की, छत्तीसगढ़ में ऐसा क्यों नहीं हो रहा। आयोग इस पर भी सवाल उठाया कि बाहरी एजेंसियां यहां कार्रवाई कर रही है, आप लोग क्यों चुप बैठे हो। इस खबर को विस्‍तार से पढ़ने के लिए यहां क्‍लीक करें-

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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