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CG Ayushman Yojana: CG फर्जीवाड़ा का अस्पताल: आयुष्मान योजना में मरीजों से वसूली पर हुआ इन हॉस्पिटलों पर बड़ा जुर्माना, कड़ी कार्रवाई की मांग

CG Ayushman Yojana: आयुष्‍मान भारत योजना में फर्जीवाड़ा करने वाले प्रदेश के अस्‍पताल संचालकों के खिलाफ सरकार ने कड़ी कार्यवाही की है। सरकार प्रदेश के 30 अस्‍पतालों पर कार्यवाही करते हुए जुर्माना भी वसूल किया है।

CG Ayushman Yojana: CG फर्जीवाड़ा का अस्पताल: आयुष्मान योजना में मरीजों से वसूली पर हुआ इन हॉस्पिटलों पर बड़ा जुर्माना, कड़ी कार्रवाई की मांग
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By Sanjeet Kumar

CG Ayushman Yojana: रायपुर। आयुष्मान योजना में पंजीकृत निजी अस्पताल प्रबंधन की मनमानी और फर्जीवाड़े पर विष्णु देव सरकार सख्त कदम उठा रही है। विष्णु के सुशासन में अब मेडिकल माफियाओं की खैर नही है। जन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने विष्णु सरकार के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग अस्पतालों पर कार्यवाही में लग गया है। आयुष्मान भारत मे अस्पतालो कि शिकायत रहती है कि पेमेंट सही समय और उच्ची अप्रोच पर ही हो पाता था, विष्णुदेव सरकार के निर्देशानुसार अब फीफा के माध्यम से फर्स्ट कम फर्स्ट आउट के आधार पर पेमेंट किया जा रहा। अब अस्पतालो को पेमेंट के लिए कोई जुगाड़ लगाना नही पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग द्वारा 30 से अधिक पंजीकृत अस्पतालों पर स्वास्थ्य विभाग ने कार्यवाही की है और लाखों रुपये का जुर्माना लगाया है।

संचालक स्वास्थ्य सेवाएं सह मुख्य कार्यपालन अधिकारी, राज्य नोडल एजेंसी ऋतुराज रघुवंशी ने प्राप्त हो रही शिकायतों पर जिला स्तर पर जिला शिकायत निवारण समिति (DGRC) तथा राज्य स्तर पर राज्य शिकायत निवारण समिति (SGRC) में निराकरण कर रहे है और शिकायत सही पाए जाने पर जुर्माना और ब्लैक लिस्टिंग की कार्यवाही की जा रही है। शिकायतों पर राज्य एवं जिला स्तरीय निरीक्षण टीम के द्वारा नियमित रूप से योजना की समीक्षा की जाती है। इसी क्रम में राज्य के 30 पंजीकृत अस्पतालों के विरुद्ध कार्यवाही की गई है।

आयुषमान योजना के द्वारा ईलाज हेतु भर्ती मरीजों से 104 आरोग्य सेवा के द्वारा फीडबैक भी ली जा रही है। जिसमें मरीजों से अतिरिक्त राशि लिए जाने, उपचार में कोई शिकायत, अस्पताल में साफ सफाई के साथ साथ चिकित्सक तथा स्टाफ़ के व्यवहार संबंधी जानकारी है। ऐसे अस्पताल जिनके द्वारा अतिरिक्त राशि लेने की पुष्टि हुई है उसके विरुद्ध अर्थदंड की कार्यवाही की जा रही है। कुछ अस्पताल हेल्थ पैकेज कोड के विपरीत क्लेम बुक किये है ऐसे क्लेम को निरस्त या आंशिक भुगतान की गई है। मरीज जिनका इलाज ओ पी डी में की जा सकती है उन मरीजों को आई पी डी के रूप में भर्ती कराया जाता है ऐसे अस्पताल के विरुद्ध भी गाइडलाइन के अनुसार सख्ती से कार्यवाही निरंतर जारी है। जिले के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारीयों को निर्देशित किया गया है कि जिला स्तर पर विशेषज्ञ चिकित्सक की टीम द्वारा औचक निरीक्षण किया जाए । जिन अस्पताल में एक ही प्रकार के क्लेम की संख्या अधिक रिपोर्ट की जा रही हो वहां स्थल निरीक्षण भी की जा रही है और भर्ती मरीज से सीधे जानकारी ली जाकर कार्यवाही शामिल हैं।

विभिन्न माध्यमों में प्राप्त शिकायतों के आधार पर रायपुर जिले के 11 बिलासपुर 9 तथा महासमुंद , बलौदाबाजार ,कोंडागांव, दुर्ग के अस्पताल संचालकों को नोटिस जारी किए गए है।

रायपुर: अशोका सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल , सी आई एम् टी हास्पिटल , हेरिटेज अस्पताल , मित्तल इंस्टीट्यूट, सत्यम अस्पताल , दानी केयर , श्री राम मल्टी स्पेशिलिटी, कालडा बर्न एवं प्लास्टिक सेंटर , अंकुर अस्पताल , न्यू वंदना अस्पताल , साईं समर्थ अस्पताल

बिलासपुर: स्टार चिल्ड्रन अस्पताल, सराफ ई एन टी अस्पताल , प्रभा हास्पिटल एवं ट्रामा केयर, ओंकार अस्पताल , केयर एवं क्योर अस्पताल, आरबी इंस्टीट्यूट, यशोदा अस्पताल, आर बी अस्पताल , किम्स अस्पताल

दुर्ग: कृष्णा अस्पताल दुर्ग

महासमुंद: जय पताई माता अस्पताल , श्री राम अस्पताल, श्री उत्तम साईं केयर हास्पिटल जिला महासमुंद

कोंडागांव: एकता हॉस्पिटल, शिव अमृता अस्पताल कोंडागांव

सारंगढ़: दक्ष अस्पताल बिलाईगढ़ जिला सारंगढ़

गरियाबंद: माँ यशोदा अस्पताल गरियाबंद

आरोग्यम सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल पर 11 लाख 41 हजार जुर्माना

आरोग्यम सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल, दुर्ग द्वारा आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना के अंतर्गत नियम विरुद्ध किये गये कार्यों की जांच की गई हितग्राहियों से अतिरिक्त नगद राशि लिए जाने की पुष्टि की गई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के दिशा निर्देश रुपये 2 लाख 28 हजार की पांच गुना राशि रुपये 11लाख 41 हजार का अर्थदण्ड लगाया गया। साथ ही भविष्य में पुनरावृत्ति करने पर निलंबन की कार्यवाही करने की चेतावनी दी गई।

जय तुलसी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल 3 महीने के लिए योजना से निलंबित

आयुष्मान भारत जन अरोग्य योजनांतर्गत पंजीकृत अस्पताल जय तुलसी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल स्टेडियम रोड बसंतपुर, राजनांदगांव के विरुद्ध हीरालाल साहू के शिकायत पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला राजनांदगांव द्वारा जांच समिति गठित किया गया था। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि अस्पताल के द्वारा मरीज को जनरल वार्ड में भर्ती कराया गया था परंतु आयुष्मान कार्ड से आई.सी.यू का पैकेज रेट अनुसार राशि की कटौती की गई। इसके अतिरिक्त मरीज से अस्पताल में भर्ती के समय ओ.पी.डी. पंजीयन के दौरान तीन हजार रूपये नगद राशि ली गई। नियमानुसार यह राशि मरीज को वापस किया जाना था किन्तु नहीं किया गया। अस्पताल द्वारा किये गये उक्त कृत्य योजना के नियमों का उल्लंघन की श्रेणी में पाये जाने पर उक्त अस्पताल को 03 माह के लिए योजना से निलंबित किये जाने की अनुशंसा किया गया। अतः राज्य नोडल एजेंसी के द्वारा इस आशय का आदेश प्रसारित किया गया एवं यह भी निर्देशित किया गया कि मरीज से ली गई नगद राशि वापस की जावे।

यह है आयुष्मान भारत योजना

गरीब और जरूरतमंद लोगों को अच्छे एवं आधुनिक अस्पतालों में ईलाज की सुविधा आसानी से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना में सामाजिक, आर्थिक एवं जातीय जनगणना अंतर्गत् चिन्हांकित श्रेणी के परिवार, अन्त्योदय एवं प्राथमिकता राशन कार्डधारी परिवारों को केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा, आयुष्मान कार्ड के जरिए हर वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रूपए तक निःशुल्क ईलाज प्रदान किया जा रहा है। इसके साथ ही राज्य के बाकी राशन कार्डधारी परिवारों को राज्य सरकार शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष प्रति परिवार 50 हजार रूपए तक ईलाज मुफ्त ईलाज की सुविधा दे रही है।

फर्जीवाड़ा करने वालों पर जुर्म दर्ज कर तत्काल गिरफ्तारी की मांग

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़ा कर लाखों करोड़ों का घोटाला करने वाले 30 से अधिक अस्पतालों को महज जुर्माना लगा कर क्यों छोड़ा जा रहा है? सोशल एंड आरटीआई एक्टविस्ट कुणाल शुक्ला ने कहा कि सवाल यह है कि पुलिस में एफआईआर क्यों दर्ज नहीं कराई जा रही है? मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले रसूखदारों पर एफआईआर नहीं करवाने के लिए किसका दबाव है?क्या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत है इसलिए पुलिसिया कार्यवाही से बचा जा रहा है? मरीजों और सरकार के साथ फर्जीवाड़ा करने वाले 30 से अधिक रसूखदार अस्पतालों के संचालकों पर जुर्म दर्ज कर उनकी तत्काल गिरफ्तारी की जाए।

यह भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में अस्पताल मालिकों की लूट! बजट 800 करोड़ और क्लेम कर दिया 2200 करोड़, किराये पर मजदूरों को भर्ती कर आयुष्मान योजना में डाला डाका

रायपुर। पिछली सरकार में अस्पताल मालिकों के सिंडिकेट को आयुष्मान योजना में लूट का लायसेंस मिल गया था। तब, जितना लूट सको तो लूट लो...कि ऐसी होड़ मची कि छोटे से लेकर बड़े अस्पताल मालिक ईमान-धरम भूल गए। अब सरकार ने पेमेंट रोक दिया है तो अस्पताल संचालक बिन पानी की मछलियों की तरह छटपटा रहे हैं। क्योंकि, गड़बड़झाला तो किए ही हैं। अगर इसकी ऑडिट हो जाए, तो अधिकांश अस्पतालों के मालिक जेल में होंगे।

बहरहाल, छत्तीसगढ़ में कुछ पुराने डॉक्टरों में इंसानियत जिंदा है, जमीर अभी बची हुई है। छत्तीसगढ़ के नंबर वन न्यूज वेबसाइट एनपीजी न्यूज को प्रदेश के एक ऐसे जमीर वाले डॉक्टर ने पत्र लिखकर अस्पताल मालिकों की करतूतों का पर्दाफाश किया है। उन्होंने आग्रह किया है कि छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ के लोगों को लूटने से बचाने के लिए कुछ करना होगा। क्योंकि, पैसा सरकार देती है मगर वह है तो आम आदमी का ही। एनपीजी ने डॉक्टर के पत्र को बिना एडिट प्रकाशित कर रहा है। आप भी पढ़िये...उनकी पीड़ा...

मैं स्वयं एक डॉक्टर हूं और मैं आज आयुष्मान भारत में पूरे छत्तीसगढ़ में और शायद पूरे भारत में होने वाले घिनौनापन का सत्य उजागर करना चाहता हूं जो सचमुच बहुत ही घिनौना है और पैसे के लिए आदमी और डॉक्टर कहां से कहां पहुंच जाता है,स क्या से क्या कर सकते हैं इसका इससे बड़ा और दूसरा कोई उदाहरण नहीं हो सकतास मैं एक बच्चों का डॉक्टर हूं और इस स्पेशलिटी में होने वाले घिनौनापन का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहता हूंस गांव में और छोटे छोटे शहरों में बैठने वाले लगभग हर झसला छाप डॉक्टर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गांव की दाइयां और न जाने कितने लोग इन बड़े-बड़े अस्पतालों के एवं कारपोरेट अस्पतालों के दलाल बन गए हैं। जैसे कोई भी प्रेग्नेंट लेडी डिलीवरी के लिए उनके पास पहुंचती है या कोई भी मरीज इनके पास पहुंचता है वह इनको लेकर अपने गंतव्य हॉस्पिटल में पहुंचता है जहां उसकी बिना जरुरत के ऑपरेशन या क्रिटिकल केयर में डाला जाता है।

डिलीवरी के बाद जो भी शिशु रोग विशेषज्ञ अस्पताल में डिलीवरी अटेंड करने जाता है उसके देखते ही बच्चों को किसी न किसी प्रकार का सीरियस प्रॉब्लम चालू हो जाता है और उसको तुरंत, बिना मरीज के अटेंडेंट रिश्तेदार लोगों को बताएं बिना उनके पीडियाट्रिक अस्पताल में भरती कर दिया जाता है, फिर चालू होता है उसका सीरियस होने का खेल, उस मरीज को नहीं नहीं करते-करते कुछ एक महीने डेढ़ महीने जब तक उसका आयुष्मान से रिलीज होने वाला पूरा पैसा या लगभग पूरा पैसा खत्म नहीं हो जाता या जब तक मरीज संबंधित अस्पताल से लड़ाई झगड़ा करके छुट्टी नहीं कर। पाता तब तक उस मरीज को भर्ती करके रखा जाता है इनमें कुछ मरीज बिना मतलब के भर्ती वाले होते हैं और कुछ मरीज ऐसे होते हैं जिनको एक दो महीने भर्ती करने के बाद भी बात भी मरीज को कोई फायदा नहीं होता, नर्सिंग होम अपना बिल वसूलते हैं और मरीज के रिश्तेदार अपना विकलांग बच्चा या बिना किसी काम के बच्चे को लेकर घर पहुंचता है और कुछ दिन बाद फिर से किसी दूसरे तीसरे चौथे अस्पताल में बच्चों को लेकर बेचारा घूमता रहता है। अगर इन मरीजों को अपने पेमेंट पर अस्पताल में रहना पड़े तो यह दो दिन से ज्यादा अस्पताल में नहीं रुकते। लेकिन आयुष्मान का पैसा सरकार दे रही है यह अस्पताल में पड़े रहते हैं। आंख और दांतों के अस्पताल के बाद सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा किसी भी स्पेशलिटी में हो रहा है तो वह है नवजात शिशु अस्पताल में। इस खबर को आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें-

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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