Bodhghat Project: 49 हजार करोड़ की बोधघाट परियोजना अब उतरेगी जमीन पर, जिस पर पीएम मोदी से चर्चा के बाद जगी उम्मीद, बिजली के साथ आधे छत्तीसगढ़ को मिलेगी सिंचाई सुविधा...
Bodhghat Project: बस्तर में नक्सलवाद के समाप्तिकरण के साथ ही एक बड़ी खबर आई है। 45 साल से लटकी बस्तर की बोधघाट परियोजना अब जमीन पर उतरेगी। जिस पर पीएम मोदी से चर्चा के बाद जगी उम्मीद। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कल इसी मसले को लेकर अचानक दिल्ली गए थे। दिल्ली से लौटकर मुख्यमंत्री ने आज रायपुर एयरपोर्ट पर मीडिया के साथ बातचीत की। उसमें उन्होंने बताया कि बोधघाट परियोजना से सात लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी। महानदी से लिंकिंग करने से छत्तीसगढ के मैदानी इलाकों के किसानों को भी लाभ होगा।

Bodhghat Project
Bodhghat Project: रायपुर। छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी खबर है। 1980 से अधर में लटकी बोधघाट सिंचाई परियोजना का काम जल्द ही प्रारंभ हो जाएगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में इस पर मुहर लग गई है। मुख्यमंत्री कल देर शाम प्रधानमंत्री से मिले थे। ऐसा पता चला है कि पीएम मोदी बस्तर के साथ ही छत्तीसगढ़ के विकास के लिए इस प्रोजेक्ट को अपने स्तर पर मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सिंचाई मंत्री के सामने इसका प्रेजेटेशन दिया जाए। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।
सिंचाई के साथ बिजली उत्पादन
बोधघाट परियोजना का आगाज 1980 में हुआ था। मगर नक्सलवाद के उभार की वजह से काम चालू होने से पहले ही इस परियोजना ने दम तोड़ दिया था। 49000 करोड़ की इस परियोजना से दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर के साथ कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव, कवर्धा और मुंगेली तक सिंचाई होगी। वहीं कोरबा के बांगो की तरह बोधघाट परियोजना से सिंचाई तो होगी, वहां हाइड्रो पावर का उत्पादन भी किया जाएगा।
125 मेगावॉट बिजली
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मीडिया को बताया कि बोधघाट परियोजना से सिंचाई के साथ ही बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इस हाइड्रो पावर प्लांट से करीब 125 मेगावॉट बिजली का प्रोक्शन किया जाएगा।
7 हजार हेक्टेयर सिंचित
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को बताया कि प्रधानमंत्री से कल छत्तीसगढ़ से जुड़े दो अहम मसलों पर बात हुई। इसमें बोधघाट के अलावा रिवर लिंकिंग के बारे में। उन्होने बताया कि बोधघाट और रिवर लिंंकंग से करीब सात लाख हेक्टेयर एरिया में सिंचाई होगी। इसके अलावे चार लाख टन मत्स्य भी मिलेगा।
छत्तीसगढ़ के लिए वरदान
45 साल से अटकी यह महत्वाकांक्षी परियोजना बस्तर के साथ ही आधे छत्तीसगढ़ के लिए लाइफ लाइन होगी। महानदी से इसे जोड़ने की वजह से राजनांदगांव, कवर्धा और मुंगेली इलाकों तक इसका पानी पहुंचाया जा सकेगा। बता दें, बोधघाट के बाद आंध्रप्रदेश के पोलावरम परियोजना शुरू हुई और वह बनकर तैयार हो गई किंतु बोधघाट वहीं का वहीं रह गया।
क्या है बोधघाट परियोजना
बस्तर की इंद्रावती नदी पर 45 साल पहले बोधघाट के नाम से एक परियोजना की शुरुआत की गई थी। इसका प्रारंभिक मकसद था बिजली बनाना। मगर बाद मेंं इसे बिजली के साथ सिंचाई जोड़ दिया गया। मगर केंद्र सरकार ने नया वन संरक्षण अधिनियम 1980 लागू कर दिया। इसके साथ ही नए सिरे से अनुमति की जरूरत पड़ गई। बताते हैं, 1985 में एक बार फिर से भारत सरकार से स्वीकृति मिली। मगर तब तक बस्तर में नक्सलवाद सिर उठाने लगा था। उधर ग्रामीणों ने इसके लिए जमीन देने के खिलाफ सड़क पर उतर आए।
सिंचाई रकबा दुगुना
बोधघाट परियोजना के सर्वे में यह जानकारी सामने आई है कि इससे दंतेवाड़ा जिले में सिंचाई का रकबा 65.73 फीसदी, सुकमा में 60.59 फीसदी और बीजापुर में सिंचाई का रकबा 68.72 फीसदी तक बढ़ेगा.
359 गांव प्रभावित
बोधघाट परियोजना से दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर के 359 गांव प्रभावित होंगे। याने इन गांवों को सिंचाई सुविधा मिलेगी। इनमें दंतेवाड़ा का 151 गांव, सुकमा का 90 और बीजापुर के 218 गांव शामिल हैं। परियोजना में 5704.332 हेक्टेयर वन भूमि, 5010.287 हेक्टेयर निजी भूमि, 3068.528 हेक्टेयर सरकारी जमीन याने कुल 13783.147 हेक्टेयर जमीन की जरूरत पड़ेंगी।
दो दर्जन गांव डूब में
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार बोध घाट परियोजना से करीब दो दर्जन गांव डूब में आएंगे। वहीं आंशिक रूप से करीब 14 गांव डूबेंगे। विस्थापित किए जाने वाले परिवारों की संख्या 2 हजार से उपर होगी।
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