बिलासपुर। रिश्वत लेते रहेंगे हाथ पकड़े गए रेलवे अधिकारी को अदालत में दो अलग-अलग धाराओं में तीन व चार साल की सजा सुनाई है। आरोपी को सीबीआई ने वर्ष 2017 में लिपिक से रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। जिसके बाद आरोपी अधिकारी के खिलाफ विवेचना कर चालान अदालत में प्रस्तुत किया गया था। विचारण पश्चात सश्रम कारावास की सजा व अर्थदंड से आरोपी को दंडित किया गया है।
पूरा मामला बिलासपुर रेलवे कार्यालय से जुड़ा है। सीनियर डिवीजनल पर्सनल ऑफिस एसईसीआर कार्यालय में प्रमोद कुमार ऑफिस सुप्रीडेंटेड बिल सेक्शन के पद पर पदस्थ थे। उनके खिलाफ मुकेश कुमार ने शिकायत दर्ज करवाई थी। मुकेश कुमार जूनियर क्लर्क के पद पर चीफ क्रू कंट्रोल कार्यालय एसईसीआर बिजुरी जिला अनूपपुर में पदस्थ थे। मुकेश कुमार की रोकी गई सैलरी व एरियर्स राशि तकरीबन डेढ़ लाख रुपए भुगतान के एवज में प्रमोद कुमार ने तीस हजार रुपए की मांग की थी। बाद में भाव ताव के बाद 28 हजार रुपए में प्रमोद कुमार तैयार हो गया था।
प्रार्थी मुकेश कुमार से रिश्वत की रकम लेने के दौरान 21 फरवरी 2017 को बिलासपुर रेलवे स्टेशन के पास सिटी बस स्टॉप डिवीजनल कैश पे एंड ऑफिस के सामने आरोपी प्रमोद कुमार को सीबीआई की टीम ने पकड़ा था।आरोपी के विरुद्ध 29 जून 2017 को चालान सीबीआई की विशेष अदालत रायपुर में पेश की गई। 17 जुलाई 2018 को आरोप तय किये गए। अदालत ने 3 अक्टूबर 2018 से मामले का ट्रायल शुरू किया। सीबीआई की तरफ से न्यायालय में आरोपी के खिलाफ 17 गवाहों को पेश किया गया।
ट्रायल के बाद सीबीआई की स्पेशल जज ममता पटेल ने दोष सिद्ध पाते हुए आरोपी प्रमोद कुमार को धारा 7 पीसी एक्ट 1988 में तीन वर्ष सश्रम कारावास व 5 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। तथा धारा 13 (1)(डी) सहपठित धारा 13(2) पीसी एक्ट 1988 4 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। दोनों सजायें साथ साथ चलेंगी। अर्थदंड न पटाने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।