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Bilaspur News: CIMS के डीन डा सहारे की याचिका खारिज- एक महीने बाद ही सही हाई कोर्ट ने राज्य शासन के निर्णय को सही ठहराया

Bilaspur News: एक महीने बाद ही सही सिम्स के तत्कालीन डीन डा केके सहारे के खिलाफ राज्य शासन द्वारा जारी निलंबन आदेश को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सही ठहराया है। डा सहारे की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही पूर्व में शासन के निलंबन आदेश पर लगाई रोक को भी कोर्ट ने हटा लिया है। बता दें कि निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए डा सहारे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने शासन के फैसले पर रोक लगा दी थी। तब सिम्स में दो-दो डीन कामकाज कर रहे थे। हाई कोर्ट के फैसले के बाद शासन की भद भी पिटी थी।

Bilaspur News: CIMS के डीन डा सहारे की याचिका खारिज- एक महीने बाद ही सही हाई कोर्ट ने राज्य शासन के निर्णय को सही ठहराया
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur News: बिलासपुर। एक महीने बाद ही सही सिम्स के तत्कालीन डीन डा केके सहारे के खिलाफ राज्य शासन द्वारा जारी निलंबन आदेश को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सही ठहराया है। डा सहारे की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही पूर्व में शासन के निलंबन आदेश पर लगाई रोक को भी कोर्ट ने हटा लिया है। बता दें कि निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए डा सहारे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने शासन के फैसले पर रोक लगा दी थी। तब सिम्स में दो-दो डीन कामकाज कर रहे थे। हाई कोर्ट के फैसले के बाद शासन की भद भी पिटी थी। हाई कोर्ट के इस फैसले से अब जाकर स्वास्थ्य मंत्री व राज्य शासन को राहत मिली है।

राज्य शासन की ओर से कोर्ट के समक्ष पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारी ने बताया कि सिम्स के तत्कालीन डीन डा सहारे के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ियों के मामले में जांच की जा रही है। जांच में डा सहारे का रवैया असहयोगात्मक रहा है। वे जांच दल को सहयोग नहीं कर रहे हैं। उनसे जो जवाब मांगा जा रहा है वे नहीं दे रहे हैं। इससे जांच भी लगातार प्रभावित हो रहा है और अनावश्यक विलंब भी हो रहा है। ला अफसर का यहां तक कहना था कि वित्तीय गड़बड़ियों की जांच के दौरान उनका महत्वपूर्ण पद पर बने रहना उचित नहीं होगा। जांच की दिशा बदलेगी और काफी हद तक जांच को प्रभावित भी कर सकते हैं। इन दोनों ही बातों से इंकार नहीं किया जा सकता। ला अफसर की बातों और तर्कों से सहमति जताते हुए कोर्ट ने डा सहारे को जांच में सहयोग करने की हिदायत दी साथ ही इस बात को लेकर नाराजगी भी जताई कि जांच में सहयोग ना करना अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना जाएगा।

हाई कोर्ट के फैसले को राज्य शासन ने दी थी चुनौती

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य शासन ने अपील पेश की थी। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसर ने पैरवी करते हुए बताया कि डा सहारे के कार्यकाल में हुई गड़बड़ियों की जांच चल रही है। फिलहाल कोई नया अपडेट भी नहीं है। ऐसी स्थिति में स्थगन आदेश को बनाए रखना उचित नहीं होगा। कोर्ट ने राज्य शासन के तर्कों और डा सहारे के संबंध में बताई गई बातों को सही ठहराते हुए निलंबन आदेश पर पूर्व में लगाई रोक को हटा लिया है। याने डा सहारे की याचिका को खारिज कर दिया है।

निलंबन आदेश को डा सहारे ने दी थी चुनौती, ये कहा था

डा सहारे ने अपनी याचिका में कहा था कि 22 सितंबर 2024 को उन्होंने चिकित्सा शिक्षा आयुक्त के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था। इसमें अपने भाई के निधन होने के कारण तीन दिन की छुट्टी ली थी। इसी दौरान स्वास्थ्य मंत्री डॉ. श्याम बिहारी जायसवाल ने सिम्स में शासी निकाय की बैठक बुलाई थी। उन्होंने बैठक में अनुपस्थित रहने की जानकारी पहले ही दे दी थी। याचिकाकर्ता डॉ. सहारे केअधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि भाई के निधन की जानकारी देने के बाद भी दुर्भावनावश उन्हें निलंबित किया गया है।

केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना के संचालन में बरती लापरवाही

राज्य शासन ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि तत्कालीन डीन डा सहारे ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना में लापरवाही बरती है। इसके अलावा नियमित अस्पताल नहीं आने और सर्जरी में भी लापरवाही बरतने का गंभीर आरोप है। साथ ही योजनाओं के संचालन में वित्तीय गड़बड़ी भी सामने आई है।

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