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Bilaspur News: चाचा-भतीजे ने साजिश कर LIC से हासिल किया 36 लाख रुपये का क्‍लेम, ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा का खुलासा, अब...

Bilaspur News: भारतीय जीवन बीमा निगम LIC से क्लेम के लिए चाचा-भतीजा ने गजब का फर्जीवाड़ा किया। एलआईसी एजेंट के माध्यम से पहले भारी भरकम बीमा करा लिया। इसके बाद भतीजे को मृत बताकर चाचा ने एलआईसी से बतौर मृत्यु दावा 36 लाख रुपये का क्लेम भी ले लिया। लालच ने फर्जीवाड़ा करने वाले चाचा-भतीजा को जेल के सींखचों के पीछे पहुंचा दिया है। चाचा-भतीजे की करतूत अपने आप में सनसनीखेज है।

Bilaspur News: चाचा-भतीजे ने साजिश कर LIC से हासिल किया 36 लाख रुपये का क्‍लेम, ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा का खुलासा, अब...
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By Radhakishan Sharma

Bilaspur News: बिलासपुर। भारतीय जीवन बीमा निगम LIC से क्लेम के लिए चाचा-भतीजा ने गजब का फर्जीवाड़ा किया। एलआईसी एजेंट के माध्यम से पहले भारी भरकम बीमा करा लिया। इसके बाद भतीजे को मृत बताकर चाचा ने एलआईसी से बतौर मृत्यु दावा 36 लाख रुपये का क्लेम भी ले लिया। लालच ने फर्जीवाड़ा करने वाले चाचा-भतीजा को जेल के सींखचों के पीछे पहुंचा दिया है।

एलआईसी एजेंट व बीमा कंपनी के अफसर को धोखे में रखकर चाचा-भतीजे ने एलआईसी को 36 लाख रुपये का चूना लगाया है। चाचा ने पहले भतीजे के नाम पर एलआईसी कराया। उसके बाद फर्जी तरीके से उसका मृत्यु प्रमाण पत्र हासिल कर लिया। डेथ सर्टिफिकेट के जरिए बीमा कंपनी में अपने एजेंट के माध्यम से क्लेम किया। पेश दस्तावेज के आधार पर बीमा कंपनी के अफसरों ने मृत भतीजे के मृत्यु दावा पर चाचा को 36 लाख रुपये का चेक जारी कर दिया।पहली बार में फर्जीवाड़ा पर किसी को शक नहीं हुआ तो हौसला बढ़ गया और 51 लाख रुपये की दूसरी पालिसी का क्लेम का दावा किया और राशि लेने गए तब एलआईसी के अफसरों को आशंका हुई। वेरिफिकेशन के लिए पुलिस को सूचना दी। पुलिस को सूचना देने के साथ ही पूरा मामला भी बताया। जांच पड़ताल में मामला फर्जीवाडा का निकला।

क्या है मामला

छत्तीसगढ़ बिलासपुर के व्यापार विहार निवासी विजय पांडेय ने अपने भतीजों ओम प्रकाश पांडेय व रमेश पांडेय के व खुद के नाम पर एलआईसी से पालिसी ली थी। एलआईसी से पालिसी लेने के बाद इसे तीन साल तक चलाया। तीन साल बाद विजय ने अपने भतीजे ओम प्रकाश पांडेय के नाम पर फर्जी तरीके से मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के बाद एलआईसी एजेंट के माध्यम से मृत्यु दावा क्षतिपूर्ति के लिए एलआईसी में क्लेम किया। इसके लिए सभी जरुरी दस्तावेज भी जमा करा दिया। इसमें सबसे पहले प्रमुख फर्जी डेथ सर्टिफिकेट था, जिसके आधार पर क्लेम सेटल होना था। दस्तावेजों के आधार पर एलआईसी ने 36 लाख रुपये का चेक जारी कर दिया।

लालच ने फंसाया,अब खाएंगे जेल की हवा

36 लाख रुपये का फर्जी क्लेम लेने के बाद चाचा और दोनों भतीजे का हौसला भी बढ़ गया था। साथ ही मन में लालच भी आ गया। दूसरे भतीजे के नाम पर रमेश पांडेय का उसी तर्ज पर डेथ सर्टिफिकेट बनवाकर 51 लाख रुपये का क्लेम एलआईसी में पेश किया। एक घर में लगातार दो मौतों ने बीमा कंपनी के अफसरों को भी अचरज में डाल दिया। चूंकि क्लेम की रकम बड़ी थी लिहाजा एलआईसी अफसरों को साजिश की आशंका हुई। सिविल लाइन थाने में दस्तावेज पेश कर मामले की जांच पड़ताल की मांग की। पुलिस ने जब पतासाजी शुरू की और आसपास के लोगों से पूछताछ की मामले का खुलासा हुआ। दरअसल जिस भतीजे के नाम पर चाचा ने क्लेम लिया था और जिसे भतीजे के नाम पर क्लेम का दावा किया था, दोनों पालिसी होल्डर जीवित मिले।

साजिश के तहत पालिसी ली ,क्लेम भी उसी अंदाज में किया

एलआईसी के नियमों व मापदंडों का पालिसी होल्डर ने पहले क्लेम में जमकर फायदा उठाया था। नियमों पर गौर करें तो तीन साल बाद अगर किसी पालिसी होल्डर की मौत हो जाती है तो बिना किसी जांच पड़ताल के एलआईसीस क्लेम की राशि दे देता है। यही कारण है कि तीनों पालिसी में तीन साल तक प्रीमियम की राशि तय समय पर जमा होते रही है। तीन साल की अवधि पूरी होने के बाद योजना के तहत डेथ सर्टिफिकेट बनावकर क्लेम की राशि हड़पने की योजना बनाई थी। एक पालिसी में 36 रुपये हड़प भी लिया था। दूसरे में पुलिस के हत्थे चढ़ गए।

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