Begin typing your search above and press return to search.

Bilaspur Highcourt news: रेलवे ने काटे हरे-भरे 242 पेड़, चीफ जस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा- क्या रेलवे के पास..

Bilaspur Highcourt News: रेलवे के द्वारा 242 हरे-भरे पेड़ काटने को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। रेलवे के अफसरों को शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 25 नवंबर को होगी।

Bilaspur Highcourt news: रेलवे ने काटे हरे-भरे 242 पेड़, चीफ जस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा- क्या रेलवे के पास..
X
By Radhakishan Sharma

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। रेलवे जोन बिलासपुर में वंदेभारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए डिपो के निर्माण और नई लाइन के काम के लिए हरे भरे पेड़ों को काट दिया। इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश बिभु दत्त गुरु की युगलपीठ में सुनवाई हुई। जिसमें चीफ जस्टिस ने पेड़ कटाई को लेकर के नाराजगी जताई है। वही रेलवे के अफसर से शपथ पत्र के माध्यम से जवाब भी मांगा है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि रेलवे के पास कोई विशेषज्ञता है क्या, जो पेड़ को काटें..?

दरअसल वंदे भारत ट्रेनों के मेंटनेंस के लिए डिपो का निर्माण किया जा रहा है। रेलवे ने जहां डिपो बनाने का निर्णय लिया, वहां पूरी तरह हरियाली थी। निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई करनी थी। लिहाजा रेलवे अफसरों ने मई में 242 पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग को 14 मई 2024 को पत्र लिखा था। वन विभाग के अफसरों ने इस संबंध में अनुमति और कटाई का प्राक्कलन बनाने के लिए कार्रवाई शुरू की। उससे पहले वन विभाग की अनुमति के बगैर रेलवे के अफसरों ने पेड़ों की शिफ्टिंग का खेल भी खेला। इसके बाद सीधे पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। रेलवे के अफसरों के इशारे पर 242 पेड़ों को काट दिया गया है।

चीफ जस्टिस ने जताई नाराजगी

मीडिया रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस ने जनहित याचिका के रूप में रजिस्टर्ड करने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया था। पिछली शुक्रवार को जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए राज्य शासन व रेलवे के अफसरों से पूछा कि, बगैर अनुमति इस तरह का काम क्यों किया गया। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप लोगों की कोई चिंता है भी या नहीं। बड़ी संख्य में हरे-भरे पेड़ों की कटाई कर दी गई है। नाराज चीफ जस्टिस ने इस संबंध में रेलवे के अफसरों व राज्य शासन को शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करने के निर्देश दिए हैं।

महाधिवक्ता ने दिया जवाब

महाधिवक्ता ने कहा कि पेड़ों को काटने के लिये रेलवे ने राज्य शासन के वन विभाग के अधिकारी डीएफओ से अनुमति मांगी थी। वही अधिकारी ने पेड़ों के गणना पत्रक और वृक्ष विदोहन की प्राक्कलन राशि बनाने के लिए रेंजर को निर्देशित कर लेटर जारी किया था। लेकिन अनुमति के पहले ही रेलवे ने पेड़ों की कटाई शुरू कर दी। राज्य शासन की तरफ से वन विभाग के अधिकारी वन संरक्षक के दिए गए हलफनामे में बताया गया है कि 242 पेड़ों की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन पहले ही पेड़ों की कटाई की गई। वन विभाग ने बताया 160 पेड़ काटे गए, 54 विस्थापित किए गए और 72 मौजूद मिले। जिसमें बबूल, मुनगा और अन्य प्रजाति के पेड़ काटे गए हैं। गुरुवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में रेलवे की अधिवक्ता को निर्देश देते हुए पेड़ कटाई के संबंध में 2 सप्ताह का समय देते हुए शपथ पत्र के माध्यम जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 25 नवंबर को निर्धारित की गई है।

Next Story