Bilaspur: गली-गली में जमीन दलाल, टोकन मनी, एग्रीमेंट के जरिये जरूरमंदों को कैसे फंसा कर लाखों, करोड़ों कमा रहे दलाल
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ का दूसरे सबसे बड़े शहर बिलासपुर को न्यायधानी भी कहा जाता है। मगर अब ये शहर भूमाफियाओं के नाम से जाने जाना लगा है। जमीन की सौदेबाजी में बिलासपुर के भूमाफियाओं जैसा चालाकी और कहीं देखने और सुनने को नहीं मिलता। जमीन का सौदा करने के बाद ये भूमि स्वामी या किसानों से एग्रीमेंट कर लेते हैं। टोकन मनी देने के बाद सौदेबाजी में लग जाते हैं। जैसे ही बड़े ग्राहक या ऊंची कीमत मिलती है जमीन बेच देते हैं। रजिस्ट्री जमीन मालिक करते हैं। किसी तरह की गड़बड़ी हुई तो जमीन मालिक के खिलाफ एफआईआर और जेल की सजा। जमीन किसी की दस्तावेज भी उनके पास नहीं पर माफिया का रोल सबसे बड़ा।
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ बिलासपुर शहर का शांत और रहने सुकून से रहने लायक शहर समझा जाता था। मगर भूमाफियाओं के चलते शहर में अब अपराधों का ग्राफ ऐसा बढ़ा कि लोग अपने को असुरक्षित समझने लगे हैं। इससे आप भूमाफियाओं की दहशतगर्दी का अंदाजा लगा सकते हैं कि कांग्रेस शासन काल में पिछले साल जमीन दलालों के प्रेशर में कांग्र्रेस के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष को आत्महत्या करनी पड़ गई।
न हींग लगे न फिटकिरी
बिलासपुर में भूमाफियाओं का धंधा न हींग लगे न फिटकिरी वाला हो गया है। थोड़े से पैसे टोकन मनी के नाम पर टिका कर भोले-भाले लोगों से एग्रीमेंट करा लो और जब महंगे रेट का खरीददार मिल जाए, तो उसकी रजिस्ट्री करा दो। इसमें लाखों, करोड़ों रुपए का वारा-न्यारा किया जा रहा है।
एक और खुलासा
भू माफियाओं और राजस्व अमले की मिलीभगत का एक और खुलासा हुआ है। शहर के लगे मोपका और आसपास के गांव व नगर निगम के वार्डों में कृषि जमीन का बड़ा खेला हुआ है। खेती की जमीन का गुपचुप तरीके से डायवर्सन करा लिया है। नगर निगम से ले आउट पास ना होने के कारण मामला अटका हुआ है। सरकारी जमीन के अफरा-तफरी को लेकर बदनाम शहर से लगे निगम के वार्ड मोपका में सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आई है। यहां तकरीबन 40 ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें डायवर्सन तो हो गया है पर ले आउट पास नहीं हो पाया है। इस बड़े खुलासे के बाद नगर निगम ने 165 के करीब भूमि स्वामियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
खेल भू माफियाओं का और फंस गए भूमि स्वामी
बता दें कि खेती योग्य जिन जमीनों का डायवर्सन हो गया है अधिकांश जमीन की सौदा भी तय हो गया है। भू माफियाओं ने किसानों से सौदा कर एग्रीमेंट कराने के बाद अपना खेल खेलना शुरू किया है। डायवर्सन के बाद आगे की कहानी अटक जाने के कारण गड़बड़ी सामने आ गई है। मोपका के अलावा कोनी, बहतराई, खमतराई, लिंगियाडीह में इस तरह की गड़बड़ी सामने आई है। अवैध प्लॉटिंग को लेकर नगर निगम ने मोपका, मंगला, कोनी, उसलापुर, खमतराई, बहतराई, अशोक नगर, चिल्हाटी, लिंगियाडीह को लेकर राजस्व विभाग को पत्र लिखकर जानकारी मोगी थी।
0 रिपोर्ट में ऐसा खुलासा
राजस्व विभाग की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अधिकांश जगहों पर कृषि जमीन का डायवर्सन करा लिया गया है।अवैध प्लाटिंग करने वाले भू माफिया पर्दे के पीछे हैं। सीधेतौर पर इनकी संलिप्तता नहीं है,लिहाजा कार्रवाई भी नहीं हो पा रही है। अब पूरा मामला भूमि स्वामी और किसानों की ओर पलट गया है।
0 खेती की जमीन, हो गया अवैध प्लाटिंग व डायवर्सन
0 लगरा
46/2, 50/1, 53/2, 62/1, 77/1, 77/5, 78/2, 78/24, 78/29, 84/1 समेत 12 खसरा नंबरों की जमीन में अवैध प्लॉटिंग की शिकायतें हैं।
0 मंगला
43/2, 43/4, 50/2, 71/1, 98/57, 98/87, 98/12, 125/2, 125/1, 125/5 समेत अलग- अलग 40 खसरों पर अवैध प्लॉटिंग की गई है।
0 मोपका
5/4, 33/2, 33/3, 33/4,36/2, 35/7, 360/8, 377/2, 360/8, 444/1, 459/1 समेत 39 खसरा नंबर की जमीन पर अवैध प्लॉटिंग है।
0 तिफरा
792/1, 793/1, 794/1, 795/2 समेत 28 खसरा नंबर में अधिकांश खेती की जमीन है, जिसका डायवर्सन के बाद अवैध प्लॉटिंग हो चुकी है।
0 खमतराई
9/3, 9/1, 8/2, 74/3, 83/4, 83/3, 85/3 समेत 40 खसरा नंबरों की जमीन पर अवैध प्लॉटिंग हुई है।
0 बिजौर
42/4, 425/2, 529/1,177/1, 178/1 समेत 16 खसरा नंबरों की जमीन पर रजिस्ट्री बैन है।
0 चांटीडीह
124/1, 124/2, 101/1, 101/2, 214/45, 533/4 खसरा नंबरों की जमीन पर अवैध प्लॉटिंग है।
0 लिंगियाडीह
9/5, 15/6, 9/77, 9/12, 15/94, 15/533 खसरा नंबर में अवैध प्लॉटिंग की गई है।
------
0 नोटिस में भूमि स्वामियों के नाम,माफिया नदारद
लिंगियाडीह पटवारी हल्का नंबर 31 में 4, मंगला पटवारी हल्का नंबर 35 में 39, मोपका पटवारी हल्का नंबर 35 में 39, तिफरा पटवारी हल्का नंबर 40 में 10, खमतराई पटवारी हल्का नंबर 25 में 40, बिजौर पटवारी हल्का नंबर 30 में 10, चांटीडीह पटवारी हल्का नंबर 33 में 6, लगरा पटवारी हल्का नंबर 27 में 12 को नोटिस जारी किया गया है।