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Bhukamp In Ambikapur: जा‍निए क्‍यों... अंबिकापुर में बार-बार डोल रही है धरती, 5 महीने में दूसरी और सालभर में 4 बार लगे झटके

Bhukamp In Ambikapur: छत्‍तीसगढ़ के अंबिकापुर क्षेत्र में भूकंप की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसी वर्ष मार्च में भी वहां भूकंप आया था।

Bhukamp In Ambikapur: जा‍निए क्‍यों... अंबिकापुर में बार-बार डोल रही है धरती, 5 महीने में दूसरी और सालभर में 4 बार लगे झटके
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By Sanjeet Kumar

रायपुर। अंबिकापुर की धरती सोमवार की रात में कुछ ही देर के अंतराल में दो बार ढोली। भूकंप (Earthquake) का पहला झटका रात 8 बजेकर 4 मिनट पर लगा। रिएक्‍टर स्‍केल पर इसकी तीव्रता 4.9 दर्ज की गई। दहशत में लोग घरों से निकल कर खुले में आ गए। अभी लोग फिर से घर के अंदर जाने की सोच ही रहे थे कि 25 मिनट बाद रात 8 बजकर 26 मिनट पर फिर झटका लगा। इस बार भूकंप की तीव्रता 3.8 थी, जो पहले से अपेक्षाकृत कम थी।

पांच महीने के दौरान अंबिकापुर क्षेत्र में दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। इससे पहले मार्च में भी वहां भूकंप आया था। बात एक सालभर की करें तो एक वर्ष के दौरान वहां चौथी बार भूकंप आया है। भूकंप के लिहाज से छत्‍तीसगढ़ को अपेक्षाकृत सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है। यह भूकंप के जोन-3 में आता है। इसके बावजूद विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सरगुजा क्षेत्र में फिर भूकंप आ सकता है। एक्‍सपर्ट यह राय पिछले पांच साल के जो आंकड़े हैं, उसके आधार पर रिसर्चर कह रहे हैं। छत्‍तीसगढ़ में भूकंप का खतरा बढ़ने की दो बड़ी वजह बताई जा रही है। एक तो यह कि छत्तीसगढ़ का सरगुजा वाला हिस्सा भूकंप के खतरे के लिहाज से बांटे गए जोन-3 में आता है, जहां इसकी संभावना बनी रहती है। दूसरा कारण कोयले का खनन है। इस इलाके में लगातार कोयले का खनन हो रहा है, जिससे जमीन खोखली हो रही है। खाली स्थानों पर जो पानी है, उसे बड़े बोर से निकाला जा रहा है। टेक्टोनिक प्लेट के मूवमेंट के लिए यह भी एक कारण है, जिससे भूकंप आता है। राजधानी स्थित साइंस कॉलेज के प्रोफेसर एसएस भदौरिया भी यह मानते हैं कि सरगुजा इलाके में भूकंप के लिए कोयला खनन और खदान कारण हो सकते हैं।

जो आंकड़े सामने आए वह चिंताजनक टेक्टोनिक प्लेट पृथ्वी के ऊपरी सतह जिसे क्रस्ट कहा जाता है के नीचे का हिस्सा है। ऐसी कई प्लेटें हैं, जिसमें मूवमेंट होता है। इन प्लेटों में जब घर्षण होता है, खिंचाव होता है या ये प्लेटें एक-दूसरे से टकराती हैं तो उससे कंपन पैदा होता है। यही भूकंप है। अंबिकापुर स्थित राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के रिसर्च असिस्टेंट यमलेश कुमार निषाद और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रंजीत कुमार ने 2018 के बाद हुई भूकंप की घटनाओं और केंद्र सरकार की अलग-अलग एजेंसियों से मिले डाटा के आधार पर जो अनुमान लगाया है, उसके मुताबिक सरगुजा इलाके में भूकंप की संभावना बनी रहेगी।

पांच साल में सरगुजा क्षेत्र में आए भूकंप के झटके

तारीख

तीव्रता

02 सितंबर 2018

3.0

22 फरवरी 2019

3.5

11 अप्रैल 2021

3.7

12 दिसंबर 2021

3.4

11 जुलाई 2022

4.3

29 जुलाई 2022

4.6

04 अगस्त 2022

3.0

14 अक्‍टूबर 2022

4.8

23 मार्च 2023

3.9

28 अगस्त 2023

4.9 व 3.8


ऐसे समझें रिक्टर स्केल पर झटकों का असर

  • 0-1.9 - सिर्फ सिस्मोग्राफ पर पता चलेगा।
  • 2-2.9 - हल्के झटके आएंगे।
  • 3-3.9 - कोई ट्रक नजदीक से गुजर जाए ऐसा असर।
  • 4-4.9 - खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती है।
  • 5-5.9 - फर्नीचर हिल सकता है। मकानों में दरारें आ सकती हैं।
  • 6-6.9 - कच्चे मकान गिर सकते हैं। इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान।
  • 7-7.9 - इमारतें-मकान गिर जाते हैं। काफी नुकसान। जैसा भुज में 2001 में और नेपाल में 2015 में हुआ था।
  • 8-8.9 - इमारतों समेत बड़े पुल भी गिर जाते हैं। सुनामी का खतरा।

अंबिकापुर से 4 किमी दूर भूकंप का केंद्र

सोमवार की रात को भूकंप का केंद्र अंबिकापुर से 4 किलोमीटर के दायरे में था। इसकी वजह से भूकंप का झटका सरगुजा जिले के साथ सूरजपुर, बलरामपुर और कोरिया में भी महसूस किया गया। वहीं सूरजपुर जिले के भटगांव और विश्रामपुर क्षेत्र में एसईसीएल की भूमिगत खदानों में तेज झटका महसूस किए जाने की सूचना है।

छत्तीसगढ़ में भूकंप के हैं कई केंद्र, सरगुजा फाल्ट जोन में

सरगुजा जिला फाल्ट जोन में है जो कोरबा से सरगुजा के लखनपुर, अंबिकापुर, सूरजपुर जिले के शिवप्रसादनगर क्षेत्र से होकर कोरिया जिले के सोनहत तक है। यह फाल्ट लाइन मध्यप्रदेश के शहडोल से होकर जबलपुर तक है। इस कारण यहां भूकंप की आशंका बनी रहती है। 10 अक्टूबर 2000 को कोरबा-सरगुजा के बीच सुरता में 4.5 तीव्रता का भूकंप आया था। इसका व्यापक असर हुआ था। वहीं वर्ष 2001 में अंबिकापुर क्षेत्र के गोरता में 3.6 तीव्रता का भूकंप आया था।

भूकंप के जिस जोन में कौन सा प्रदेश

जोन -5 इस जोन में पूरे पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात के कच्छ के कुछ हिस्से, उत्तर बिहार और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्से शामिल हैं।

जोन - 4 इस जोन में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के शेष भाग, केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से, गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र के छोटे हिस्से शामिल हैं।

जोन-3 इस जोन में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीप समूह, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल के शेष भाग, पंजाब के कुछ हिस्से, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड के कुछ हिस्से, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।

जोन-2 देश के जो बाकी हिस्‍से बच गए वह इस जोन में आते हैं।

किस जोन में कितना खतरा

भूकंप के खतरे के लिहाज से जोन-5 सबसे संवेदनशील है। इस जोन में भूकंप का खतरा सबसे ज्‍यादा बना रहता है। वहीं, जोन-2 सबसे सुरक्षित क्षेत्र है। इस जोन में भूकंप की संभावना बिल्‍कुल भी नहीं रहती है। जोन-4 में भी भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। इस जोन में शामिल क्षेत्रों में अक्‍सर हल्‍के झटके लगते रहते हैं। जोन-3, जोन-4 की तुलना में सुरक्षित क्षेत्र माना जाता है।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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