Bhanwartank Tunnel: 107 साल पुराना है सीजी का यह भनवारटंक टनल: बेहद रोमांच से भरा होता है इसका सफर, अब रेलवे ने इस सेक्शन में किया यह बड़ा काम...
Bhanwartank Tunnel: बिलासपुर- कटनी रुट में रेल से सफर बेहद रोमांचक होता है। बड़े-बड़े पहाड़ और साल के घने वन। इनके बीच से कई सौ फीट की ऊंचाई पर सरपट दौड़ती ट्रेन और बीच में अंधेरी गुफा। यानी रोमांचक सफर की पूरी व्यवस्था...
Bhanwartank Tunnel: बिलासपुर। बिलासपुर-कटनी रेल रुट। यह रुट छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश के रींवा, सतना, कटनी, मैहर, चित्रकोट से लेकर पूरे उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ता है। बिलासपुर और कटनी के बीच की दूरी लगभग 300 किलोमीटर है, लेकिन सफर का असली आनंद और रोमांच इसी 300 किलोमीटर में आता है। इस रुट का बड़ा हिस्सा घने वन और पहाड़ों के बीच से गुजरता है। इसी रुट में भनवारटंक भी आता है। यह टन अंग्रेजों के दौर में 1907 में बना था, लेकिन आज भी यह पूरी मजबूती के साथ खड़ा है।
बिलासपुर मंडल में आना वाला भनवारटंक-खोडरी सेक्शन 100 साल से भी अधिक पुराने व सर्वाधिक जटिल माना जाता है।विषम परिस्थितियों के कारण इस रुट पर उचित संचार माध्यम की अनुपलब्धता दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के लिए कई वर्षों से चुनौती रही है । डबल लाइन से युक्त इस सेक्शन में चढ़ाई, घने जंगल तथा अन्य कारणों से किसी भी प्रकार का ब्रेकडाउन होने की स्थिति में संचार का उचित माध्यम नहीं होने से पहली सूचना मिलने में लंबा समय लग जाता है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए मंडल के संकेत एवं दूरसंचार विभाग द्वारा एक अनूठा पहल करते हुए इस सेक्शन में मौजूद भनवारटंक डाउन लाइन टनल के पास एक गुमटी में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के जरिये वाई-फ़ाई कॉलिंग की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
मौजूदा समय में स्मार्टफोन में मोबाइल नेटवर्क अनुपलब्ध होने की स्थिति में भी वाई-फ़ाई के जरिये वॉइस कॉलिंग तथा अन्य प्रकार का संचार आसानी से संभव होता है। इसी तकनीक का उपयोग कर रेलवे ने अपने नेटवर्क को दुर्गम पहाड़ियों के बीच बेहद कम समय में सेक्शन के रेलवे कर्मचारियों द्वारा उपलब्ध इंजिनियरिंग गुमटी तक पहुंचाया एवं 15 दिन से भी कम समय में यहां पर हाई स्पीड नेटवर्क की स्थापना की। इस गुमटी में 30 मीटर के दायरे में जो की इस दुर्गम भनवारटंक-खोडरी सेक्शन के बीचों बीच डाउन लाइन में टनल के समीप स्थित है। वहां सीधे मोबाइल से संपर्क स्थापित किया जा सकता है न केवल वॉइस कॉलिंग बल्कि वाट्सएप एवं अन्य एप का उपयोग कर सीधे साइड से सभी जानकारी आसानी से साझा की जा सकती है। ब्रेकडाउन की जानकारी जल्दी मिलने से विफलताओं को त्वरित ठीक किया जा सकेगा । जिससे परिचालन को आसानी से सुचारु किया जा सकेगा।
इस सुविधा की उपलब्धता से इस सेक्शन से गुजरने वाली गाड़ियों की समयबद्धता बेहतर होगी एवं यात्रियों को होने वाली असुविधा में कमी आएगी। संकेत एवं दूरसंचार विभाग द्वारा किए गए इस अनूठे कार्य की मंडल रेल प्रबंधक प्रवीण पाण्डेय ने प्रशंसा की एवं इस कार्य में सम्मिलित अधिकारियों व कर्मचारियों को पुरस्कृत किया गया।